"भाप का इंजन": अवतरणों में अंतर

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'''वाष्पयान''' या '''भाप का इंजन''' एक प्रकार का उष्मीय [[इंजन]] है जो कार्य करने के लिये जल-वाष्प का प्रयोग करता है। भाप के इंजन अधिकांशतः [[वाह्य दहन इंजन]] होते हैं जिसमें [[रैंकाइन चक्र]] (Rankine cycle) नामक उष्मा-चक्र (heat cycle) काम में लाया जाता है। कुछ वाष्पयान सौर उर्जा, नाभिकीय उर्जा या जिओथर्मल उर्जा से भी चलते हैं।
 
== [[औद्योगिक क्रान्ति|इतिहास]] ==
{{see also|औद्योगिक क्रान्ति}}
[[औद्योगिक क्रान्ति|वैसे तो भाप के इंजन का इतिहास बहुत पुराना है (कोई दो हजार वर्ष)। किन्तु पहले की युक्तियाँ शक्ति उत्पादन की दृष्टि से व्यावहारिक नहीं थीं। बाद में इनकी डिजाइन में बहुत सुधार हुआ जिससे ये औद्योगिक क्रान्ति के समय यांत्रिक शक्ति के प्रमुख स्रोत बनकर उभरे। यद्यपि अब भाप से चलने वाली रेलगाड़ियाँ एवं अन्य मशीने कालकवलित हो चुकीं हैं किन्तु पूरे संसार की विद्युत-शक्ति का लगभग आधी शक्ति आज भी वाष्प टर्बाइनों की सहायता से उत्पन्न किया जा रहा है।]]
 
[[औद्योगिक क्रान्ति|भाप इंजन बनाने के यत्न का सबसे प्राचीन उल्लेख अलेक्जैंड्रिया के हीरो के लेखों में मिलता है। हीरो उस विख्यात अलैक्जैंड्रीय संप्रदाय (300 ई.पू.-400 ई.ई। सन्) schwör bei koranका सदस्य था जिसमें टोलेमी, यूक्लिड, इरेटोस्थनीज जैसे तत्कालीन विज्ञान के महारथी सम्मिलित थे। हीरो ने अपने लेख में एक ऐसी युक्ति का वर्णन किया है जिसमें एक बंद बाक्स में वायु गर्म की जाती थी और एक नली के मार्ग से नीचे पानी भरे बर्तन की ओर फैलती थी। इसमें बर्तन का पानी दूसरी नली में चढ़ता था और एक नकली फुहारा बन जाता था। फिर इसके बाद इस संबंध में कहीं कोई विवरण नहीं मिलता है।]]
 
[[औद्योगिक क्रान्ति|1606 ई. में, हीरो से लगभग 2,000 वर्ष बाद, नेपोलियन अकादमी के संस्थापक और तत्कालीन यूरोप में विज्ञान के अग्रणी नेता मार्क्सेव देला पोर्ता ने हीरो के फुहारेवाले प्रयोग में हवा की जगह भाप का उपयोग किया। उन्होंने यह भी सुझाया कि किसी बर्तन को पानी से भरने के लिए यदि उसे एक नली द्वारा पानी से किसी तालाब से संबंधित कर दिया जाय और तब उस बर्तन में भाप भरकर फिर उसे ऊपर से पानी के द्वारा ठंडा किया जाय तो भीतर की भाप संघनित होकर निर्वात उत्पन्न करेगी और उसकी जगह तालाब से पानी बर्तन में भर जाएगा।]]
 
[[औद्योगिक क्रान्ति|1698 ई. में मार्क्सेव देला पोर्ता के इस सुझाव का उपयोग टामस सेवरी ने पानी चढ़ाने की एक मशीन में किया। इस प्रकार '''सेवरी पहला व्यक्ति था जिसने व्यावसायिक उपयोग का एक भाप इंजन बनाया''', जिसका उपयोग खदानों में से पानी उलीचने और कुओं में से पानी निकालने में हुआ।]]
 
[[औद्योगिक क्रान्ति|सेवरी के इंजन के आविष्कार के बाद भाप इंजन का अगला चरण '''न्यूकोमेन इंजन''' का आविष्कार था। इसका आविष्कार टामस न्यूकोमेन (1663-1729 ई.) ने किया। इस इंजन का खदानों और कुओं से पानी निकालने में 50 वर्षों तक उपयोग होता रहा। इसका ऐतिहासिक महत्व भी है, क्योंकि इसी से जेम्स वाट के आविष्कारों का मार्ग खुला। इस इंजन में पहली बार सिलिंडर और पिस्टन का उपयोग किया गया जो अब तक भाप इंजनों में प्रयुक्त किए जाते हैं।]]
 
[[औद्योगिक क्रान्ति|न्यूकामेन इंजन में भाप केवल निर्वात उत्पन्न करने के काम आती है। पिस्टन उठाने का काम, जिससे पानी चढ़ता है, वायुमंडलीय दाब करता है। लेकिन भाप को केवल संघनित करने में बहुत ईंधन व्यर्थ खर्च होता है।]]
 
[[औद्योगिक क्रान्ति|जेम्स वाट का महत्वपूर्ण कार्य भाप इंजन को सर्वश्रेष्ठ रूप देना है जिससे मनुष्य की शक्ति दस गुनी बढ़ गई और व्यावसायिक क्षेत्र में बृहद् परिवर्तन हो गया।]]
 
[[औद्योगिक क्रान्ति|जेम्स वाट ग्लासगो में एक चतुर वैज्ञनिक यंत्ररचयिता थे और 1763 में ग्लासगो विश्वविद्यालय के भौतिकी के प्रोफेसर से उन्हें एक न्यूकामेन इंजन की मरम्मत का ओदश मिला जो कभी ठीक न चलता था। मरम्मत करके समय वाट को ध्यान आया कि इसमें ईंधन बुरी तरह से व्यर्थ हो जाता है। विचारशील स्वभाव के वाट ने इससे श्रेष्ठ मशीन बनाने का विचार प्रारंभ कर दिया। इस प्रकार उन्होंने अनेक अन्वेषण किए और यंत्र बनाए, जिनसे भाप इंजन को उसका वर्तमान स्वरूप प्राप्त हुआ और वह उद्योग और सभ्यता की प्रगति में शक्तिशाली साधन]] बना।
 
== भाप इंजन के प्रकार ==