"घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम, 2005": अवतरणों में अंतर

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* पीड़ित निशुल्क क़ानूनी सहायता की मांग कर सकती है
* पीड़ित भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत क्रिमिनल याचिका भी दाखिल कर सकती है, इसके तहत प्रतिवादी को तीन साल तक की जेल हो सकती है, इसके तहत पीड़ित को गंभीर शोषण सिद्ध करने की आवश्यकता [http://nyaaya.in/hi/law-explainers/domestic-violence/ हैl]
 
== किससे संपर्क करें? ==
पीड़ित के रूप में आप इस कानून के तहत 'संरक्षण अधिकारी' या 'सेवा प्रदाता' से संपर्क कर सकती हैं। पीड़ित के लिए एक ‘संरक्षण अधिकारी’ संपर्क का पहला बिंदु है।संरक्षण अधिकारी मजिस्ट्रेट के समक्ष कार्यवाही शुरू करने और एक सुरक्षित आश्रय या चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराने में मदद कर सकते हैं।प्रत्येक राज्य सरकार अपने राज्य में ‘संरक्षण अधिकारी’ नियुक्त करती हैl ‘सेवा प्रदाता’ एक ऐसा संगठन है जो महिलाओं की सहायता करने के लिए काम करता है और इस कानून के तहत पंजीकृत है lपीड़ित सेवा प्रदाता से, उसकी शिकायत दर्ज कराने अथवा चिकित्सा सहायता प्राप्त कराने अथवा रहने के लिए एक सुरक्षित स्थान प्राप्त कराने हेतु संपर्क कर सकती हैlभारत में सभी पंजीकृत सुरक्षा अधिकारियों और सेवा प्रदाताओं का एक डेटाबेस यहाँ उपलब्धहै।सीधे पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट से भी संपर्क किया जा सकता हैl आप मजिस्ट्रेट - फर्स्ट क्लास या मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट से भी संपर्क कर सकती हैं, किंतु किस क्षेत्र के मैजिस्ट्रेट से सम्पर्क करना है यह आपके और प्रतिवादी के निवास स्थान पर निर्भर करता है l १० लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में अमूमन मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट से संपर्क करने की आवश्यकता हो सकती है[http://nyaaya.in/hi/law-explainers/domestic-violence/ l]
 
== घरेलु हिंसा के मामले में कौन शिकायत दर्ज करा सकता है? ==
पीड़ित खुद शिकायत कर सकती हैl अगर आप पीड़ित नहीं हैं तो भी आप संरक्षण अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं। कोई भी ऐसा व्यक्ति जिसे किसी कारण से लगता है कि घरेलू हिंसा की कोई घटना घटित हुई है या हो रही है या जिसे ऐसा अंदेशा भी है की ऐसी घटना घटित हो सकती है, वह संरक्षण अधिकारी को सूचित कर सकता है l यदि आपने सद्भावना में यह काम किया है तो जानकारी की पुष्टि न होने पर भी आपके खिलाफ कार्यवाही नहीं की जाएगीl
 
सुरक्षा अधिकारी के अलावा पीड़ित ‘सेवा प्रदाता’ से भी संपर्क कर सकती है, सेवा प्रदाता फिर शिकायत दर्ज कर, ‘घरेलू हिंसा घटना रिपोर्ट’ बना कर मजिस्ट्रेट और संरक्षण अधिकारी को सूचित करता हैl
 
== केस दर्ज कराने पर अदालत से क्या अपेक्षा कर सकते हैं? ==
यदि आप अपनी समस्याओं का स्थायी समाधान चाहते हैं,तो आप अदालत में जा सकते हैं।इस अधिनियम के तहत ज़िम्मेदार न्यायाधीशों को'मजिस्ट्रेट्स'कहा जाता है।
 
पीड़ित को स्वयं आवेदन करने की ज़रुरत नहीं है, संरक्षण अधिकारी या सेवा प्रदाता के माध्यम से ऐसा किया जा सकता है lज़रूरी है कि मजिस्ट्रेट संरक्षण अधिकारी या सेवा प्रदाता द्वारा दर्ज की गयी पहली शिकायत के तथ्यों को ध्यान में रखेंl
 
इस अधिनियम के तहत शिकायत के अलावा पीड़ित अदालत में सिविल केस भी दाखिल कर सकती है। यदि पीड़ित सिविल केस भी दाखिल करती है और उसे घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत कोई राशि दी गयी है तो मजिस्ट्रेट यह राशि सिविल केस में तय राशि से घटा देगा।
 
मजिस्ट्रेट के ऊपर आवेदन मिलने के तीन दिन के अन्दर केस पर कार्यवाही शुरू करने की ज़िम्मेदारी हैl केस शुरू होने के पश्चात, मजिस्ट्रेट को अधिकतम ६० दिन के भीतर केस का निवारण करने की कोशिश करनी है[http://nyaaya.in/hi/law-explainers/domestic-violence/ l]
 
==धारा 4==
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===नियम 13 ===
परामर्शदाताओं की नियुक्ति संरक्षण अधिकारी द्वारा उपलब्ध सूची में से की जायेगी।
 
http://nyaaya.in/hi/law-explainers/domestic-violence/
 
{{भारतीय विधि}}