"बसंती देवी": अवतरणों में अंतर

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बसंत देवी का जन्म २३ मार्च १८८० को अंग्रेजों के औपनिवेशिक शासन के तहत असम राज्य में हुआ। उनके पिता, बराडनाथ हल्दार, एक दिवान (वित्तीय मंत्री) थे। उन्होंने कोलकाता के लोरेतो हाउस में अध्ययन किया और सत्रह वर्ष की आयु में चित्तरंजन दास से शादी की।<ref>{{cite book | url=https://books.google.co.in/books?id=VVYqAAAAYAAJ&dq=basanti+devi+bangalar+katha&focus=searchwithinvolume&q=Ranjan+Das+ | title=Early Feminists of Colonial India: Sarala Devi Chaudhurani and Rokeya Sakhawat Hossain |trans_title=औपनिवेशिक भारत के शुरुआती नारीवादि: सरला देवी चौधुरानी और रोक्इया सखावत हुसैन | publisher=Oxford University Press | author=रे, भारती | year=२००२ | page=१४२ | isbn=9780195656978 |language=अंग्रेज़ी}}</ref> इन दोनों के तीन बच्चे १८९८ और १९०१ के बीच पैदा हुए थे।<ref name="Oxford">{{cite book | url=https://books.google.co.in/books?id=EFI7tr9XK6EC&pg=RA1-PA43&dq=basanti+devi+provincial+conference | title=The Oxford Encyclopedia of Women in World History |trans_title=विश्व इतिहास में महिला का ऑक्सफ़ोर्ड विश्वकोश | publisher=Oxford University Press | author=Smith, Bonnie G. | year=२००८ | pages=४२-४३ | isbn=9780195148909 |language=अंग्रेज़ी}}</ref>
 
अपने पति के साथ, बसंत देवी ने १९२० में [[सविनय अवज्ञा आंदोलन]], [[खिलाफत आंदोलन]] और [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के नागपुर सत्र जैसे विभिन्न आंदोलनों में भाग लिया। १९२१ में दास की बहनों उर्मिला देवी और सुनीता देवी के साथ उन्होंने "नारी कर्म मंदिर" नामक महिला कार्यकर्ताओं के लिए प्रशिक्षण केंद्र बनाया।<ref name="Perspective">{{cite book | url=https://books.google.co.in/books?id=npwz9iE5KMUC&pg=PA140 | title=Perspectives on Indian Women |trans_title=भारतीय महिला पर परिप्रेक्ष्य | publisher=APH Publishing | author=आर एस त्रिपाठी, आर पी तिवारी | year=1999 | pages=136, 140 | isbn=9788176480253 |language=अंग्रेज़ी}}</ref> १९२०-२१ में, उन्होने [[जलपाईगुड़ी]] से [[बाल गंगाधर तिलक|तिलक स्वराज कोष]] के लिये स्वर्ण गहने और २००० सोने के सिक्के इकट्ठा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जो [[बाल गंगाधर तिलक|तिलक स्वराज कोष]]के लिये थे|थी।<ref>{{cite book | url=https://books.google.co.in/books?id=joFkxloNlLsC&pg=PA118&dq=basanti+devi+provincial+conference | title=Congress Politics in Bengal 1919&ndash;1939 |trans_title=बंगाल में कांग्रेस की राजनीति १९१९-१९३९ | publisher=Anthem Press | author=चटर्जी, श्रीलाता | year=२००३ | page=३४ | isbn=9780857287571 |language=अंग्रेज़ी}}</ref>
 
१९२१ में [[असहयोग आंदोलन]] के दौरान, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने विदेशी वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाने का और धरना देने का आह्वान किया। कोलकाता में ५ स्वयंसेवकों के छोटे समूह सड़कों पर हाथों से बने [[खादी]] कपड़े को बेचने के लिए कार्यरत थे। दास कोलकाता में इस आंदोलन के प्रमुख व्यक्ति थे और उन्होंने अपनी पत्नी बसंती देवी कोके साथ ऐसा एक समूह बनाने का फैसला किया। [[सुभाष चंद्र बोस]] के विरोध करने के बावजूद देवी सड़क पर चली गई और उन्होंने अंग्रेजों को गिरफ्तार करने के लिए उकसाया। हालांकि उन्हें आधी रात से पहले रिहा कर दिया गया था।परंतु बसंत देवी की गिरफ्तारी व्यापक आंदोलन का प्रमुख प्रोत्साहन साबित हुई। कोलकाता की दो जेल ऐसे स्वयंसेवकों से भरे हुए थे और अधिक गिरफ्तार कार्यकर्ताओं के लिए निरोधक शिविरों की स्थापना करनी पड़ी। १० दिसंबर १९२१ को अंग्रेजों ने दास और बोस को गिरफ्तार कर लिया। यह ब्रिटिशों द्वारा बोस की ग्यारह गिरफ्तारियों में से पहली गिरफ्तारी थी।<ref>{{cite book | url=https://books.google.co.in/books?id=eYctAAAAQBAJ&pg=PT69&dq=basanti+devi+Subhas+Chandra+Bose | title=His Majesty's Opponent: Subhas Chandra Bose and India’s Struggle against Empire |trans_title=महामहिम के विरोधी: सुभाष चंद्र बोस और साम्राज्य के खिलाफ भारत का संघर्ष | publisher=Penguin UK | author=बोस, सुगाता | year=२०१३ | isbn=9788184759327 |language=अंग्रेज़ी}}</ref>
 
दास की गिरफ्तारी के बाद, बसंती देवी उनके साप्तहिक प्रकाशन ''बंगलार कथा'' (बंगाल की कहानी) की प्रभारी बनी।<ref>{{cite book | url=https://books.google.co.in/books?id=33xjAAAAMAAJ&q=basanti+devi+bangalar+katha&dq=basanti+devi+bangalar+katha&hl=en&sa=X&ved=0ahUKEwiamd32zaPKAhXDH44KHVwoCXYQ6AEIGzAA | title=Bangla Academy Journal, Volume 21, Issue 2 &ndash; Volume 22, Issue 2 | publisher=Bangla Academy | year=१९९५ | page=२३ |language=अंग्रेज़ी}}</ref> वह १९२१-२२ में बंगाल प्रांतीय कांग्रेस की अध्यक्ष थी। अप्रैल १९२२ [[चटगांव]] सम्मेलन में उनके भाषण के माध्यम से उन्होंने निम्नतम स्तर के आंदोलन को प्रोत्साहित किया। भारत मे चारों ओर यात्रा कर उन्होंने [[उपनिवेशवाद]] का विरोध करने के लिए कला के सांस्कृतिक विकास का समर्थन किया।<ref name="Oxford" />