"बसंती देवी": अवतरणों में अंतर

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अपने पति के साथ, बसंत देवी ने १९२० में [[सविनय अवज्ञा आंदोलन]], [[खिलाफत आंदोलन]] और [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के नागपुर सत्र जैसे विभिन्न आंदोलनों में भाग लिया। १९२१ में दास की बहनों उर्मिला देवी और सुनीता देवी के साथ उन्होंने "नारी कर्म मंदिर" नामक महिला कार्यकर्ताओं के लिए प्रशिक्षण केंद्र बनाया।<ref name="Perspective">{{cite book | url=https://books.google.co.in/books?id=npwz9iE5KMUC&pg=PA140 | title=Perspectives on Indian Women |trans_title=भारतीय महिला पर परिप्रेक्ष्य | publisher=APH Publishing | author=आर एस त्रिपाठी, आर पी तिवारी | year=1999 | pages=136, 140 | isbn=9788176480253 |language=अंग्रेज़ी}}</ref>
 
१९१५ में जब [[महात्मा गांधी]]जी भारत में सक्रिय राजनीति में शामिल हुए, उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में सुधार किया। राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू करने के लिए कांग्रेस को धन की कमी का सामना करना पड़ता था। गांधीजीगांधी ने एक करोड़ रुपये से अधिक का धन जमा किया और इसे [[बाल गंगाधर तिलक]] के स्मरणार्थ "तिलक स्वराज कोष" का नाम दिया।<ref>{{cite web|url=http://www.mkgandhi-sarvodaya.org/gphotgallery/1915-1932/pages/b1.htm |title=Headlines given in 'Bombay Chronicle' for his successful drive for the collection of one crore of rupees for The Tilak Swaraj Fund, 1921 |publisher=Bombay Chronicle |accessdate= ५ मई २०१७ |trans_title= तिलक स्वराज फंड, १९२१ के लिए एक करोड़ रुपए के संग्रह के लिए सफल अभियान के लिए 'बॉम्बे क्रॉनिकल' में दिया गया शीर्षक}}</ref><ref>{{cite book|url= https://books.google.co.in/books?id=Z0ydNvMbPI0C&pg=PA24&dq=tilak+swaraj+fund&hl=en&sa=X&ved=0ahUKEwi7x_j5r9_TAhXMvY8KHeInABkQ6AEIRzAH#v=onepage&q=tilak%20swaraj%20fund&f=false|title = What Congress & Gandhi Have done to the Untouchables |author=[[बाबासाहेब अम्बेडकर]] |publisher= Gautam Book Center|year= १९४५ |isbn=9788187733997 |accessdate= ५ मई २०१७ |Page= १९ |language=अंग्रेज़ी |trans_title= कांग्रेस और गांधी ने अछूतों के साथ क्या किया}}</ref> देश भर से स्वयंसेवक धन इकट्ठा करने और दान करने लगे। १९२०-२१ में, देवीनेदेवी ने [[जलपाईगुड़ी]] से तिलक स्वराज कोष के लिये स्वर्ण गहने और २००० सोने के सिक्के इकट्ठा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।<ref>{{cite book | url=https://books.google.co.in/books?id=joFkxloNlLsC&pg=PA118&dq=basanti+devi+provincial+conference | title=Congress Politics in Bengal 1919&ndash;1939 |trans_title=बंगाल में कांग्रेस की राजनीति १९१९-१९३९ | publisher=Anthem Press | author=चटर्जी, श्रीलाता | year=२००३ | page=३४ | isbn=9780857287571 |language=अंग्रेज़ी}}</ref>
 
१९२१ में [[असहयोग आंदोलन]] के दौरान, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने विदेशी वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाने का और धरना देने का आह्वान किया। कोलकाता में ५ स्वयंसेवकों के छोटे समूह सड़कों पर हाथों से बने [[खादी]] कपड़े को बेचने के लिए कार्यरत थे। दास कोलकाता में इस आंदोलन के प्रमुख व्यक्ति थे और उन्होंने अपनी पत्नी बसंती देवी के साथ ऐसा एक समूह बनाने का फैसला किया। [[सुभाष चंद्र बोस]] के विरोध करने के बावजूद देवी सड़क पर चली गई और उन्होंने अंग्रेजों को गिरफ्तार करने के लिए उकसाया। हालांकि उन्हें आधी रात से पहले रिहा कर दिया गया परंतु बसंत देवी की गिरफ्तारी व्यापक आंदोलन का प्रमुख प्रोत्साहन साबित हुई। कोलकाता की दो जेल ऐसे स्वयंसेवकों से भरे हुए थे और अधिक गिरफ्तार कार्यकर्ताओं के लिए निरोधक शिविरों की स्थापना करनी पड़ी। १० दिसंबर १९२१ को अंग्रेजों ने दास और बोस को गिरफ्तार कर लिया। यह ब्रिटिशों द्वारा बोस की ग्यारह गिरफ्तारियों में से पहली गिरफ्तारी थी।<ref>{{cite book | url=https://books.google.co.in/books?id=eYctAAAAQBAJ&pg=PT69&dq=basanti+devi+Subhas+Chandra+Bose | title=His Majesty's Opponent: Subhas Chandra Bose and India’s Struggle against Empire |trans_title=महामहिम के विरोधी: सुभाष चंद्र बोस और साम्राज्य के खिलाफ भारत का संघर्ष | publisher=Penguin UK | author=बोस, सुगाता | year=२०१३ | isbn=9788184759327 |language=अंग्रेज़ी}}</ref>