"बसंती देवी": अवतरणों में अंतर

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'''बसंतबसंती देवी''' (२३ मार्च १८८० - १९७४) भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान एक भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता थी। वह कार्यकर्ता [[चित्तरंजन दास]] की पत्नी थीं। १९२१ में दास की गिरफ्तारी और १९२५ में मृत्यु के बाद, उन्होंने विभिन्न आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई और स्वतंत्रता के बाद सामाजिक कार्य जारी रखा। १९७३ में उन्हें भारत सरकार ने [[पद्म विभूषण]] से सम्मानित किया।
 
== जीवन और कार्य ==
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१९२१ में [[असहयोग आंदोलन]] के दौरान, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने विदेशी वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाने का और धरना देने का आह्वान किया। कोलकाता में ५ स्वयंसेवकों के छोटे समूह सड़कों पर हाथों से बने [[खादी]] कपड़े को बेचने के लिए कार्यरत थे। दास कोलकाता में इस आंदोलन के प्रमुख व्यक्ति थे और उन्होंने अपनी पत्नी बसंती देवी के साथ ऐसा एक समूह बनाने का फैसला किया। [[सुभाष चंद्र बोस]] के विरोध करने के बावजूद देवी सड़क पर चली गई और उन्होंने अंग्रेजों को गिरफ्तार करने के लिए उकसाया। हालांकि उन्हें आधी रात से पहले रिहा कर दिया गया परंतु बसंत देवी की गिरफ्तारी व्यापक आंदोलन का प्रमुख प्रोत्साहन साबित हुई। कोलकाता की दो जेल ऐसे स्वयंसेवकों से भरे हुए थे और अधिक गिरफ्तार कार्यकर्ताओं के लिए निरोधक शिविरों की स्थापना करनी पड़ी। १० दिसंबर १९२१ को अंग्रेजों ने दास और बोस को गिरफ्तार कर लिया। यह ब्रिटिशों द्वारा बोस की ग्यारह गिरफ्तारियों में से पहली गिरफ्तारी थी।<ref>{{cite book | url=https://books.google.co.in/books?id=eYctAAAAQBAJ&pg=PT69&dq=basanti+devi+Subhas+Chandra+Bose | title=His Majesty's Opponent: Subhas Chandra Bose and India’s Struggle against Empire |trans_title=महामहिम के विरोधी: सुभाष चंद्र बोस और साम्राज्य के खिलाफ भारत का संघर्ष | publisher=Penguin UK | author=बोस, सुगाता | year=२०१३ | isbn=9788184759327 |language=अंग्रेज़ी}}</ref>
 
दास की गिरफ्तारी के बाद, बसंती देवी उनके साप्तहिक प्रकाशन ''बंगलार कथा'' (बंगाल की कहानी) की प्रभारी बनी।<ref>{{cite book | url=https://books.google.co.in/books?id=33xjAAAAMAAJ&q=basanti+devi+bangalar+katha&dq=basanti+devi+bangalar+katha&hl=en&sa=X&ved=0ahUKEwiamd32zaPKAhXDH44KHVwoCXYQ6AEIGzAA | title=Bangla Academy Journal, Volume 21, Issue 2 &ndash; Volume 22, Issue 2 | publisher=Banglaबांग्ला Academyअकादमी | year=१९९५ | page=२३ |language=अंग्रेज़ी}}</ref> वह १९२१-२२ में बंगाल प्रांतीय कांग्रेस की अध्यक्ष थी। अप्रैल १९२२ [[चटगांव]] सम्मेलन में उनके भाषण के माध्यम से उन्होंने निम्नतम स्तर के आंदोलन को प्रोत्साहित किया। भारत मे चारों ओर यात्रा कर उन्होंने [[उपनिवेशवाद]] का विरोध करने के लिए कला के सांस्कृतिक विकास का समर्थन किया।<ref name="Oxford" />
 
क्योकि चित्तरंजन दास सुभाष चंद्र बोस के राजनीतिक सलाहकार थे, बोस के देवी के साथ पारिवारिक संबंध थे। १९२५ में दास की मृत्यु के बाद, बोस देवी से अपने व्यक्तिगत और राजनीतिक संदेहों पर चर्चा करते।<ref>{{cite book | url=https://books.google.co.in/books?id=MWGcmlexd9QC&pg=PA30 | title=Encyclopaedia Eminent Thinkers (vol. : 16 The Political Thought Of Subhas Chandra Bose) |trans_title=एनसाइक्लोपीडिया - प्रख्यात विचारक (खंड 16: सुभाष चंद्र बोस की राजनीतिक विचार) | publisher=Concept Publishing Company | author=Pasricha, Ashu | year=२००८ | pages=३०, ३३ | isbn=9788180694967 |language=अंग्रेज़ी}}</ref> बोस ने उन्हे अपनी "दत्तक मां" माना था और वह बोस के जीवन में चार प्रमुख महिलाओं में से एक थी; अन्य तीनों में उनकी मां प्रभाबाती, उनकी भाभी बिभाती ([[शरतचंद्र बोस]] की पत्नी) और उनकी पत्नी/साथी [[एमिली शेंकल]] थी|<ref>{{cite book | url=https://books.google.co.in/books?id=3xd2xS5ELeQC&pg=PA35&dq=basanti+devi+Subhas+Chandra+Bose | title=An Outsider in Politics |trans_title=राजनीति में एक बाहरी व्यक्ति| publisher=Penguin Books India | author=बासु, कृष्ण | year=२००८ | page=५५ | isbn=9780670999552 |language=अंग्रेज़ी}}</ref>