"अंतरराष्‍ट्रीय न्यायालय": अवतरणों में अंतर

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{{जानकारी
|name = '''संयुक्त राष्ट्र'''<br />अंतर्राष्ट्रीयअंतरराष्‍ट्रीय न्यायालय<br />
|image= International Court of Justice.jpg
|caption=संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीयअंतरराष्‍ट्रीय न्यायालय
|mapimage= [[चित्र: International Court of Justice.jpg]]
|mcaption=
|मुख्यालय= शांति महल (पीस पैलस), [[हेग]]
|सदस्य=192 सदस्य देश
|अध्यक्ष=अंतर्राष्ट्रीयअंतरराष्‍ट्रीय न्यायालय अध्यक्ष रोज़लिन हिग्गिंस
|[[सुरक्षा परिषद]]=चीन, फ़्रांस, संयुक्त राजशाही, रूस, संयुक्त राज्य
|भाषा=[[अंग्रेज़ी]], [[फ़्रांसीसी]]
|जालस्थल=http://www.un.org
}}
'''अंतर्राष्ट्रीयअंतरराष्‍ट्रीय न्यायालय''' [[संयुक्त राष्ट्र]] का प्रधान न्यायिक अंग है और इस संघ के पांच मुख्य अंगों मे से एक है। इस न्यायालय ने [[अंतर्राष्ट्रीय न्याय का स्थाई न्यायालय|अंतर्राष्ट्रीय न्याय के स्थाई न्यायालय]] की जगह ले ली थी।
 
1980 तक अंतर्राष्ट्रीय समाज इस न्यायालय का ज़्यादा प्रयोग नहीं करती थी, पर तब से अधिक देशों ने, विशेषतः विकासशील देशों ने, न्यायालय का प्रयोग करना शुरू किया है। फ़िर भी, कुछ अहम राष्ट्रों ने, जैसे कि [[संयुक्त राज्य]], अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के निर्णयों को निभाना नहीं समझा हुआ है। ऐसे देश हर निर्णय को निभाने का खुद निर्णय लेते है।
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== अधिकार-क्षेत्र ==
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के अभियोग दो तरह के होते है : विवादास्पद विषय तथा परामर्शी विचार।
 
=== विवादास्पद विषय ===
इस तरह के मुकदमों में दोनो राज्य के लिए न्यायालय का निर्णय निभाना आवश्यक होता है। केवल राज्य ही विवादास्पद विषयों में शामिल हो सक्ते हैं : व्यक्यियां, गैर सरकारी संस्थाएं, आदि ऐसे मुकदमों के हिस्से नहीं हो सकते हैं। ऐसे अभियोगों का निर्णय अंतराष्ट्रीय न्यायालय द्वारा तब ही हो सकता है जब दोनो देश सहमत हो। इस सहमति को जताने के चार तरीके हैं :
 
 
*1. '''विशेष संचिद''' : ऐसे मुकदमों में दोनो देश अपने आप निर्णय लेना अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय को सौंपते हैं।
 
*2. '''माध्यमार्ग ''' : आज-कल की संधियों में अक्सर एक शर्त डाली जाती है जिसके अनुसार, अगर उस संधि के बारे में कोई संघर्ष उठे, तो अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय को निर्णय लेने का अधिकार है।
 
*3. '''ऐच्छिक घोषणा''' : राज्यों को अधिकार है कि वे चाहे तो न्यायालय के हर निर्णय को पहले से ही स्वीकृत करें।
 
*4. '''अंतर्राष्ट्रीय न्याय के स्थाई न्यायालय का अधिकार''' : क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने अंतर्राष्ट्रीय न्याय के स्थाई न्यायालय की जगह ली थी, जो भी मुकदमें अंतर्राष्ट्रीय न्याय के स्थाई न्यायालय के अधिकार-क्षेत्र में थे, वे सब अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के अधिकार-क्षेत्र में भी हैं।
 
=== परामर्शी विचार ===