"सातवाहन": अवतरणों में अंतर
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प्राचीन भारत में [[मौर्य वंश]] के अन्तर्गत पहली बार राजनैतिक एवं सांस्कृतिक एकता स्थापित करने का प्रयास किया। बाद में चलकर सातवाहन वंश ने इस प्रयास को आगे बढ़ाया। यद्यपि इतिहासकार सातवाहनों को दक्कन में मौर्यों का उत्तराधिकारी हैं तथापि इस वंश के उदय को अशोक के बौद्ध राज्य के विरूद्ध सामान्य जैन तथा हिन्दु प्रक्रिया के रूप में भी समझा जाना चाहिए। सातवाहन वंश की स्थापना मौर्य वंश के पराभव से लगभग पचास वर्ष पहले हुई। उनका साम्राज्य दक्षिण भारत का सबसे प्राचीन और बड़ा साम्राज्य था। उत्तर भारत निरन्तर बदलते राजवंशीय परिदृश्य (जहां मौर्यों के पतन के बाद छोटे-छोटे अन्तराल पर शुंग, कण्व तथा कुषाण वंशो की स्थापना हुई) के विपरित सातवाहनों ने दक्कन में अटूट, अविभाज्य तथा दीर्घकाल तक स्थाई रूप से चलने वाले एक साम्राज्य की स्थापना की जिसने लगभग साढ़े चार सौ वर्षों तक शासन किया।
इस काल के विषय में
== ऐतिहासिक स्रोत ==
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