"अंतरराष्‍ट्रीय न्यायालय": अवतरणों में अंतर

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=== विवादास्पद विषय ===
इस तरह के मुकदमों में दोनो राज्य के लिए न्यायालय का निर्णय निभाना आवश्यक होता है। केवल राज्य ही विवादास्पद विषयों में शामिल हो सक्ते हैं : व्यक्यियां, गैर सरकारी संस्थाएं, आदि ऐसे मुकदमों के हिस्से नहीं हो सकते हैं। ऐसे अभियोगों का निर्णय अंतराष्ट्रीय न्यायालय द्वारा तब ही हो सकता है जब दोनो देश सहमत हो। इस सहमति को जताने के चार तरीके हैं :
 
 
*1. '''विशेष संचिद''' : ऐसे मुकदमों में दोनो देश अपने आप निर्णय लेना अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय को सौंपते हैं।
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*3. '''ऐच्छिक घोषणा''' : राज्यों को अधिकार है कि वे चाहे तो न्यायालय के हर निर्णय को पहले से ही स्वीकृत करें।
 
*4. '''अंतर्राष्ट्रीय न्याय के स्थाई न्यायालय का अधिकार''' : क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने अंतर्राष्ट्रीय न्याय के स्थाई न्यायालय की जगह ली थी, जो भी मुकदमें अंतर्राष्ट्रीय न्याय के स्थाई न्यायालय के अधिकार-क्षेत्र में थे, वे सब अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के अधिकार-क्षेत्र में भी हैं।
 
=== परामर्शी विचार ===