"अलसी": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 17:
'''अलसी''' या '''तीसी''' [[समशीतोष्ण]] प्रदेशों का पौधा है। रेशेदार फसलों में इसका महत्वपूर्ण स्थान है। इसके रेशे से मोटे कपड़े, डोरी, रस्सी और टाट बनाए जाते हैं। इसके [[बीज]] से [[तेल]] निकाला जाता है और तेल का प्रयोग [[वार्निश]], रंग, [[साबुन]], रोगन, पेन्ट तैयार करने में किया जाता है। [[चीन]] सन का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। रेशे के लिए सन को उपजाने वाले देशों में [[रूस]], [[पोलैण्ड]], [[नीदरलैण्ड]], [[फ्रांस]], [[चीन]] तथा [[बेल्जियम]] प्रमुख हैं और बीज निकालने वाले देशों में [[भारत]], [[संयुक्त राज्य अमरीका]] तथा [[अर्जेण्टाइना]] के नाम उल्लेखनीय हैं। सन के प्रमुख निर्यातक [[रूस]], [[बेल्जियम]] तथा [[अर्जेण्टाइना]] हैं।
तीसी भारतवर्ष में भी पैदा होती है। लाल, श्वेत तथा धूसर रंग के भेद से इसकी तीन उपजातियाँ हैं इसके पौधे दो या ढाई फुट ऊँचे, डालियां बंधती हैं, जिनमें बीज रहता है। इन बीजों से [[
[[आयुर्वेद]] में अलसी को मंदगंधयुक्त, मधुर, बलकारक, किंचित कफवात-कारक, पित्तनाशक, स्निग्ध, पचने में भारी, गरम, पौष्टिक, कामोद्दीपक, पीठ के दर्द ओर सूजन को मिटानेवाली कहा गया है। गरम [[पानी]] में डालकर केवल बीजों का या इसके साथ एक तिहाई भाग [[मुलेठी]] का चूर्ण मिलाकर, [[क्वाथ]] (काढ़ा) बनाया जाता है, जो [[रक्तातिसार]] और मूत्र संबंधी रोगों में उपयोगी कहा गया है।
|