"शाकाहार": अवतरणों में अंतर

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<br />इस लेख पर आधारित समाचार: विज्ञान दैनिक, 25 अप्रैल 2005 "लंबा जीवन के लिए भूमध्य आहार" http://www.sciencedaily.com/releases/2005/04/050425111008.htm</ref>
 
इंस्टीटयूट ऑफ़ प्रिवेंटिव एंड क्लिनिकल मेडिसिन, तथा इंस्टीटयूट ऑफ़ सायक्लोजिक्ल केमिस्ट्री द्वारा किये गये अध्ययन में 19 शाकाहारियों (लैक्टो-ओवो) के एक समूह की तुलना उसी क्षेत्र के 19 सर्वभक्षी समूह से की गयी। अध्ययन में पाया गया कि शाकाहारियों (लैक्टो-ओवो) के इस समूह में इस मांसाहारी समूह की तुलना में प्लाज्मा कार्बोक्सीमिथेलीसाइन और उन्नत ग्लिकेशन एंडोप्रोडक्ट्स (AGEs) की मात्रा बहुत अधिक है।<ref>{{cite web | url = http://www.biomed.cas.cz/physiolres/2002/issue3/krajcovic.htm | work = PHYSIOLOGY RESEARCH | title = Advanced Glycation End Products and Nutrition | accessdate = 2008-04-11 }}</ref> कार्बोक्सीमिथेलीसाइन एक ग्लिकेशन उत्पाद है जो "ओक्सीडेटिव तनाव प्रौढावस्था, धमनीकलाकाठिन्य (atherosclerosis) और मधुमेह में प्रोटीन की क्षति के एक आम चिह्नक' का प्रतिनिधित्व करता है।" "उन्नत ग्लिकेशन एंड उत्पाद (AGEs) धमनीकलाकाठिन्य, मधुमेह, प्रौढ़ावस्था और जीर्ण गुर्दे की खराबी की प्रक्रिया के मामले में एक महत्वपूर्ण प्रतिकूल भूमिका निभा सकता है।"
इंस्टीटयूट ऑफ़ प्रिवेंटिव एंड क्लिनिकल मे
 
आहार बनाम दीर्घायु तथा पश्चिमी रोगों के पोषक पर सबसे बड़ा अध्ययन चीनी परियोजना थी; यह एक "2,400 से अधिक काउंटी के उनके 880 मिलियन (96%) नागरिकों पर विभिन्न प्रकार के कैंसर से मृत्यु दर का सर्वेक्षण" था, इसका संयोजन विभिन्न मृत्यु दरों और अनेक प्रकार के आहार, जीवन शैली और पर्यावरणीय विशेषताओं के साथ संबंध के अध्ययन के साथ किया गया, यह अध्ययन चीन के 65 अधिकांशतः ग्रामीण काउंटियों में संयुक्त रूप से कोर्नेल विश्वविद्यालय, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और प्रिवेंटिव मेडिसिन की चीनी अकादमी द्वारा 20 वर्षों तक किया गया। चीन अध्ययन में भोजन में मांसाहार की मात्रा तथा पश्चिम में मौत के प्रमुख कारणों के बीच एक मजबूत खुराक-अनुक्रिया संबंध पाया गया है; पश्चिम में मृत्यु के कारण हृदय रोग, मधुमेह और कैंसर हैं।
 
=== खाद्य सुरक्षा ===
यूएसए टुडे (USA Today) के ब्लॉग में लिब्बी सांडे ने कहा है कि शाकाहार ''ई॰ कोलाइ'' (E. coli) संक्रमण को कम करता है,<ref>{{cite news
| last = Sande
| first = Libby
| title = Vegetarianism reduces ''E.&nbsp;coli'' infections
| publisher = USA Today
|date=2006-09-25
| url = http://blogs.usatoday.com/oped/2006/09/veggie_diet_red.html
| accessdate = 2007-04-28 |archiveurl=http://web.archive.org/web/20061027043124/http://blogs.usatoday.com/oped/2006/09/veggie_diet_red.html|archivedate=2006-10-27}}</ref> और [[न्यू यॉर्क टाइम्स|द न्यू यॉर्क टाइम्स]] के एक आलेख में खाद्य में ''ई॰ कोलाइ'' दूषण को औद्योगिक पैमाने के मांस और डेयरी फ़ार्म के साथ जोड़ा।<ref>{{cite news
| last = Sander
| first = Libby
| title = Source of Deadly ''E.&nbsp;Coli'' Is Found
| publisher = New York Times
|date=2006-10-13
| url = http://www.nytimes.com/2006/10/13/us/13spinach.html
| accessdate = 2006-10-13 }}</ref> 2006 के दौरान अमेरिका में ''ई॰ कोलाइ'' संक्रमण के लिए पालक और प्याज को जिम्मेवार पाया गया।<ref>{{cite news | title = E.&nbsp;Coli Outbreak | pages = | publisher = NBC News |date=2006-09-15 | url = http://www.kpvi.com/index.cfm?page=nbcstories.cfm&ID=3034 | accessdate = 2006-12-13 }} {{Dead link|date=October 2009}}</ref><ref>टैको बेल रिमूव्स ग्रीन ओनियंस आफ्टर आउटब्रेक 6 दिसम्बर 2006 एम्एसएनबीसी (MSNBC)</ref>
 
रोगजनक ''ई॰ कोलाइ'' का प्रसार मलाशय-मुख संचरण के जरिये हुआ करता है।<ref name="Evans">{{cite web |url=http://www.gsbs.utmb.edu/microbook/ch025.htm |title=Escherichia Coli |accessdate=2007-12-02 |last=Evans Jr. |first=Doyle J. |coauthors=Dolores G. Evans |date= |work=Medical Microbiology, 4th edition |publisher=The University of Texas Medical Branch at Galveston}}</ref><ref name="haccp">{{cite web |url=http://www.cfsan.fda.gov/~dms/hret2-a3.html |title=Retail Establishments; Annex 3 - Hazard Analysis |accessdate=2007-12-02 |last= |first= |coauthors= |month=April | year=2006 |work=Managing Food Safety: A Manual for the Voluntary Use of HACCP Principles for Operators of Food Service and Retail Establishments |publisher=U.S. Department of Health and Human Services Food and Drug Administration Center for Food Safety and Applied Nutrition}}{{Dead link|date=October 2009}}</ref><ref>{{cite journal |last=Gehlbach |first=S.H. |coauthors=J.N. MacCormack, B.M. Drake, W.V. Thompson |year=1973 |month=April |title=Spread of disease by fecal-oral route in day nurseries |journal=Health Service Reports |volume=88 |issue=4 |pages=320–322 |pmid=4574421 |url= |quote= |pmc=1616047 }}</ref> संचरण के आम मार्गों में अस्वास्थ्यकर तरीके से भोजन बनाना<ref name="haccp" /> और फार्म संदूषण शामिल हैं।<ref name="spinach">{{cite news |author=Sabin Russell |coauthors= |title=Spinach E. coli linked to cattle; Manure on pasture had same strain as bacteria in outbreak |url=http://www.sfgate.com/cgi-bin/article.cgi?file=/c/a/2006/10/13/MNG71LOT711.DTL |publisher=San Francisco Chronicle |id= |date= अक्टूबर 13, 2006 |accessdate=2007-12-02 }}</ref><ref>{{cite journal |author=Heaton JC, Jones K |title=Microbial contamination of fruit and vegetables and the behaviour of enteropathogens in the phyllosphere: a review |journal=J. Appl. Microbiol. |volume=104 |issue=3 |pages=613–26 |year=2008 |month=March |pmid=17927745 |doi=10.1111/j.1365-2672.2007.03587.x |url=http://www3.interscience.wiley.com/resolve/openurl?genre=article&sid=nlm:pubmed&issn=1364-5072&date=2008&volume=104&issue=3&spage=613}}</ref><ref name="DeGregori">{{cite web |author=Thomas R. DeGregori |date=2007-08-17|url= http://www.cgfi.org/cgficommentary/maddening-media-misinformation-on-biotech-and-industrial-agriculture-part-5-of-5 |title=CGFI: Maddening Media Misinformation on Biotech and Industrial Agriculture |accessdate=2007-12-08 |work=}}</ref> डेयरी और बीफ मांस पशु मुख्य रूप से ''ई॰ कोलाइ'' प्रजाति ''O157:H7'' के खजाने हैं,<ref name="bach" /> और वे इसे स्पर्शोन्मुख रूप से वहन कर सकते हैं और उनके मल में इसे बहा देते हैं।<ref name="bach">{{cite journal |last=Bach |first=S.J. |coauthors=T.A. McAllister, D.M. Veira, V.P.J. Gannon, and R.A. Holley |year=2002 |month= |title=Transmission and control of ''Escherichia coli'' O157:H7 |journal=Canadian Journal of Animal Science |volume=82 |issue= |pages=475–490 |id= |url=http://pubs.nrc-cnrc.gc.ca/aic-journals/2002ab/cjas02/dec02/cjas02-021.html |accessdate= |quote= }}</ref> ''ई॰ कोलाइ'' प्रकोप के साथ जुड़े खाद्य उत्पादों में जमीन पर पड़ा कच्चा बीफ,<ref>{{cite book |last=Institute of Medicine of the National Academies |first= |authorlink= |coauthors= |editor= |others= |title=''Escherichia coli'' O157:H7 in Ground Beef: Review of a Draft Risk Assessment |url=http://www.nap.edu/catalog.php?record_id=10528 |edition= |series= |year=2002 |publisher=The National Academies Press |location=Washington, D.C. |isbn=0-309-08627-2 |pages= |chapter= |chapterurl= |quote= }}</ref> कच्चे अंकुरित बीज या पालक,<ref name="spinach" /> कच्चा दूध, बिना पैशच्युरैज्ड जूस और मलाशय-मुख के जरिये संक्रमित खाद्य कर्मियों द्वारा दूषित खाद्य शामिल हैं।<ref name="haccp" /> 2005 में, कुछ लोग जिन्होंने तिहरे-धोये पैक होने से पहले लेटस का सेवन किया था, वे ''ई॰ कोलाइ'' से संक्रमित हो गये थे।<ref>{{cite web|url=http://www.foodnavigator-usa.com/news/ng.asp?n=63793-fda-lettuce-e-coli |title=FDA targets lettuce industry with '&#39;E. coli'&#39; guidance |publisher=Foodnavigator-usa.com |date= |accessdate=2009-08-09}}</ref> 2007 में, पैक लेटस सलाद को वापस ले लिया गया था, जब उन्हें ''ई॰ कोलाइ'' से संदूषित पाया गया।<ref>डोल लेट्स रिकौल्ड इन यु.एस., लिसा लेफ द्वारा कनाडा एसोसिएटेड प्रेस</ref> ''ई॰ कोलाइ'' प्रकोप पैशच्युरैज्ड नहीं किये गये सेब,<ref>ऐपल साइडर और ई. कोलाई खाद्य सुरक्षा अद्यतन 26 जुलाई 2007</ref> संतरे के रस, दूध, रिजका या अल्फाल्फा के अंकुरों,<ref>एफडीए का कहना है कच्चे अंकुरित मुद्रा साल्मोनेला और ई. कोलाई 0157 जोखिम, मेडिकल रिपोर्टर 26 जुलाई 2007</ref> और पानी में पाया गया।<ref>{{cite web|author=health &amp; fitness |url=http://health.msn.com/dietfitness/articlepage.aspx?cp-documentid=100136394&wa=wsignin1.0 |title='&#39;E. coli'&#39;: Dangers of eating raw or undercooked foods |publisher=Health.msn.com |date= |accessdate=2009-08-09}}</ref>
 
साल्मोनेला का प्रकोप मूंगफली के मक्खन, जमे हुए पॉट पाई और कुरमुरे सब्जी अल्पाहार में पाया गया।<ref>{{cite news|url=http://www.cbsnews.com/stories/2008/04/10/health/webmd/main4007944.shtml|title=CDC: U.S. Food Safety Hasn't Improved|publisher=CBS News|date=11 अप्रैल 2008}}</ref>
बीएसई, जिसे गाय रोग के नाम से भी जाना जाता है, को [[विश्व स्वास्थ्य संगठन]] ने मानव में क्रुत्ज़फेल्ट-जैकोब रोग से जोड़ा है।<ref>डब्ल्यूएचओ (WHO) 2002 "वेरियंट क्रूज़फेल्डट-जैकोब के रोग", तथ्य पत्रक N°180 http://www.who.int/mediacentre/factsheets/fs180/en/</ref>
 
भेड़ों में पाँव-और-मुँह की बीमारी, फ़ार्म की सैमन मछली में पीसीबी, मछली में पारा, पशु उत्पादों में डायोक्सिन की मात्रा, कृत्रिम हारमोन वृद्धि, एंटीबायोटिक, सीसा और पारा,<ref>{{cite book | last = Graham Farrell and John E. Orchard | first = Peter Golob| title = Crop Post-Harvest: Science and Technology: Principles and Practice: v. 1| publisher = Blackwell Science Ltd|year=2002| page = 29| isbn = 978-0632057238}}</ref> सब्जी और फल में कीटनाशकों की मात्रा, फलों को पकाने के लिए प्रतिबंधित रसायनों के इस्तेमाल की रिपोर्ट आ रही हैं।<ref>संयुक्त राज्य अमेरिका इंक उपभोक्ताओं संघ, क्या तुम जानते हो की तुम क्या खा रहे हो? - खाद्य पदार्थों में कीटनाशकों के अवशेषों पर एक अमेरिकी सरकार के आंकड़ों के विश्लेषण, फरवरी 1999. 9 जनवरी 2010 को पुनःप्राप्त.</ref><ref>{{cite web|url = http://www.ndtv.com/convergence/ndtv/story.aspx?id=NEWEN20070013183 |title = NDTV.com: Artificial ripeners used for mangoes |accessdate = 2008-06-23}}</ref><ref>{{cite web|url = http://www.thehindubusinessline.com/2005/05/16/stories/2005051600881500.htm |title = द हिन्दू बिज़नस लाइन : Something is rotten in fruit trade |accessdate = 2008-06-23}}</ref>
 
=== चिकित्सकीय प्रयोग ===
पश्चिमी दवा में, कभी-कभी मरीजों को शाकाहारी भोजन का पालन करने की सलाह दी जाती है।<ref name="diag">{{cite book | last = L M Tierney, S J McPhee
| first = M A Papadakis | title = Current medical Diagnosis & Treatment. International edition | publisher = Lange Medical Books/McGraw-Hill |year=2002
| location = New York | isbn = 0-07-137688-7}}</ref>
रुमेटी गठिया के लिए एक इलाज के रूप में शाकाहारी आहार का उपयोग किया जाता है, लेकिन यह कारगर है या नहीं, इसके प्रमाण अनिर्णायक हैं।<ref>{{cite journal |author=Hagen KB, Byfuglien MG, Falzon L, Olsen SU, Smedslund G |title=Dietary interventions for rheumatoid arthritis |journal=Cochrane Database Syst Rev |volume= |issue=1 |pages=CD006400 |year=2009 |pmid=19160281 |doi=10.1002/14651858.CD006400.pub2}}</ref>
डॉ॰डीन ओर्निश, एमडी, ने यूसीएसएफ (UCSF) में अनेक अच्छी तरह से नियंत्रित अध्ययन किये, जिसने कम वसा वाले शाकाहारी भोजन सहित जीवन शैली में हस्तक्षेप के जरिये कोरोनरी धमनी रोग को वास्तव में ठीक कर दिया।
[[आयुर्वेद]] और सिद्ध जैसी कुछ वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली एक सामान्य प्रक्रिया के रूप में शाकाहारी भोजन की सलाह देती हैं।{{#tag:ref|Maya Tiwara notes that Ayurveda recommends small portions of meat for some people, though "the rules of hunting and killing the animal, practiced by the native peoples, were very specific and detailed. Now, that such methods of hunting and killing are not observed, she does not recommend the use of "any animal meat as food, not even for the Vata types."<ref>Maya Tiwari. ''Ayurveda: A Life of Balance'' Healing Arts Press. Rochester, VT. 1995.</ref> |group="nb"}}
 
=== शरीर विज्ञान ===
इंसान सर्वभक्षी होते हैं, मांस और शाकाहारी खाद्य पचाने की मानव क्षमता पर यह आधारित है।<ref>{{cite web|url=http://www.vrg.org/nutshell/omni.htm |title=www.vrg.org |publisher=www.vrg.org |date= |accessdate=2009-08-09}}</ref><ref>{{cite web|url=http://www.beyondveg.com/billings-t/comp-anat/comp-anat-1a.shtml |title=www.beyondveg.com |publisher=www.beyondveg.com |date= |accessdate=2009-08-09}}</ref> तर्क दिया जाता है कि शरीर रचना की दृष्टि से मनुष्य शाकाहारियों के अधिक समान हैं, क्योंकि इनकी लंबी आंत होती है, जो अन्य सर्वभक्षियों और मांसाहारियों में नहीं होती हैं।<ref>{{cite web|url=http://www.huffingtonpost.com/kathy-freston/shattering-the-meat-myth_b_214390.html|title=Shattering The Meat Myth: Humans Are Natural Vegetarians| publisher=Huffington Post|date=2009-06-11|accessdate=2010-02-21}}</ref> पोषण संबंधी विशेषज्ञों का मानना है कि प्रारंभिक होमिनिड्स ने तीन से चार मिलियन वर्ष पहले भारी जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप मांस खाने की प्रवृत्ति विकसित की, जब जंगल सूख गये और उनकी जगह खुले घास के मैदानों ने ले लिया, तब शिकार तथा सफाई के अवसर खुल गये।<ref name="milton">मिल्टन, कैथरीन, "एक परिकल्पना मानव विकास में खाने के लिए समझाने के मांस की भूमिका, विकासवादी नृविज्ञान मुद्दे", समाचार और समीक्षाएं खंड 8, अंक 1, 1999, पेज: 11-21</ref><ref>{{cite web|url=http://www.abc.net.au/dimensions/dimensions_health/Transcripts/s792589.htm |title=ABC |publisher=ABC |date=2003-02-25 |accessdate=2009-08-09}}</ref>
 
=== जानवर-से-मानव रोग संक्रमण ===
{{POV-अनुभाग|date= जनवरी 2010}}
मांस का उपभोग पशुओं से मनुष्यों में अनेक रोगों के संक्रमण का कारण हो सकता है।<ref name="hill">{{cite book |title= The case for vegetarianism |last= Hill |first= John Lawrence |authorlink= |coauthors= |year= 1996 |publisher= Rowman & Littlefield |location= |isbn= 0847681386 |page= 89 |pages= |url= http://books.google.com/?id=W-XR1T-pXFwC&printsec=frontcover#PPA89,M1 |accessdate= 2009-04-26}}</ref> साल्मोनेला के मामले में संक्रमित जानवर और मानव बीमारी के बीच संबंध की जानकारी अच्छी तरह स्थापित हो चुकी है; एक अनुमान के अनुसार एक संयुक्त राज्य अमेरिका में बिक रहे मुर्गे की एक तिहाई से आधा तक साल्मोनेला से संदूषित है।<ref name="hill" /> हाल ही में, वैज्ञानिकों ने संदेह करना शुरू किया है कि पशु मांस और मानव कैंसर, जन्म दोष, उत्परिवर्तन तथा मानवों की अनेक बीमारियों के बीच इसी तरह का संबंध है।<ref name="hill" /><ref name="stanley">{{cite book |title= Diet by Design |last= Stanley |first= Tyler |authorlink= |coauthors= |year= 1998|publisher= TEACH Services, Inc. |location= |isbn= 1572580968 |page= 14 |pages= |url= http://books.google.com/?id=MdS3x6Vn2q4C&printsec=frontcover#PPA14,M1 |accessdate= 2009-04-26}}</ref><ref name="trash1">{{cite book |title= Nutrition For Vegetarians |last= Trash |first= Agatha |authorlink= |coauthors= Calvin Trash |year= 1982 |publisher= New Lifestyle Books |location= Seale, Alabama |isbn= |page= |pages= 82–85 |url= |accessdate= 2009-04-26}}</ref><ref name="trash2">{{cite book |title= Nutrition For Vegetarians |last= Trash |first= Agatha |authorlink= |coauthors= Calvin Trash |year= 1982 |publisher= New Lifestyle Books |location= Seale, Alabama |isbn= |page= 84 |pages=|url= |accessdate= 2009-04-26}}</ref><ref name="oski">{{cite book |title= Don't Drink Your Milk |last= Oski |first= Frank |authorlink= |coauthors= |year= 1992 |publisher= TEACH Services Inc. |location= Brushton, New York |isbn= |page= |pages= 48–49 |url= |accessdate= 2009-04-26}}</ref><ref name="shelton">{{cite book |title= The Science and Fine Art of Food and Nutrition |last= Shelton |first= Herbert |authorlink= |coauthors= |year= 1984 |publisher= Natural Hygiene Press |location= Oldsmar, Florida |isbn= |page= 148 |pages= |url= |accessdate= 2009-04-26}}</ref><ref name="aflatoxins">{{cite book |title= Health Protection Branch Issues |last= "Aflatoxins" |first= |authorlink= |coauthors= |year= 1990 |publisher= Health Canada, May |location= Ottawa, Ontario |isbn= |page= |pages= 2–3 |url= |accessdate= 2009-04-26}}</ref> 1975 में, एक अध्ययन में सुपर मार्केट के गाय के दूध के नमूनों में 75 फीसदी और अंडों के नमूनों में 75 फीसदी ल्यूकेमिया (कैंसर) के वायरस पाए गये।<ref name="stanley" /> 1985 तक, जाँच किये गये अंडों का लगभग 100 फीसदी, या जिन मुर्गियों से वे निकले हैं, में कैंसर के वायरस मिले।<ref name="hill" /><ref name="stanley" /> मुर्गे-मुर्गियों में बीमारी की दर इतनी अधिक है कि श्रम विभाग ने पोल्ट्री उद्योग को सबसे अधिक खतरनाक व्यवसायों में एक घोषित कर दिया।<ref name="hill" /> सभी गायों का २० फीसदी गोजातीय ल्यूकेमिया वायरस (BLV) नाम से ज्ञात विभिन्न प्रकार के कैंसर से पीड़ित है।<ref name="hill" /> अध्ययन तेजी से HTLV-1 के साथ BLV को जोड़ रहे हैं, यह खोजा गया पहला मानव रेट्रोवायरस है जिससे कैंसर होता है।<ref name="hill" /> वैज्ञानिकों ने पाया है कि एक गोजातीय रोगक्षम-अपर्याप्तता वायरस (BIV), जो गायों में एड्स के वायरस के समान है, भी मानव कोशिकाओं को संक्रमित कर सकते हैं।<ref name="hill" /> यह माना जाता है कि मानव में अनेक घातक और धीमी गति के वायरस के विकास में BIV की भूमिका हो सकती है।<ref name="hill" />
 
औद्योगिक पैमाने के पशु फार्मिंग में पशुओं की निकटता से रोग संक्रमण की दर में वृद्धि हुई है।{{Citation needed|date=April 2010}} मानव में इन्फ्लूएंजा के वायरस के संक्रमण के प्रमाण दर्ज हो चुके हैं, लेकिन ऐसे मामलों में हुई बीमारियों की तुलना अब मानव द्वारा अनुकूलित हो चुके आम पुराने इन्फ्लूएंजा वायरस के साथ कभी-कभार ही होती है,<ref name="brown">{{cite book |others= |title= Emerging diseases of animals |last= Brown |first= Corrie |authorlink= |coauthors= |year= 2000 |publisher= ASM Press |location= |isbn= 1555812015 |page= |pages= 116–117 |url= http://books.google.com/?id=yKgsMbsxtfEC&printsec=frontcover#PPA116,M1 |accessdate= 2009-04-26}}</ref> जो बीमारी बहुत पहले भूतकाल में पशुओं से मनुष्यों में संक्रमित हुई।{{#tag:ref|Sometimes a virus contains both avian adapted genes and human adapted genes. Both the [[H2N2]] and [[H3N2]] pandemic strains contained avian flu virus [[RNA]] segments. "While the pandemic human influenza viruses of 1957 (H2N2) and 1968 (H3N2) clearly arose through reassortment between human and avian viruses, the influenza virus causing the '[[Spanish flu]]' in 1918 appears to be entirely derived from an avian source (Belshe 2005)."<ref>Timm C. Harder and Ortrud Werner, ''[http://www.influenzareport.com/ir/ai.htm Avian Influenza]'', ''Influenza Report 2006'', 2006: Chapter two.</ref> |group="nb"}}<ref>{{cite journal |author=Taubenberger JK, Reid AH, Lourens RM, Wang R, Jin G, Fanning TG |title=Characterization of the 1918 influenza virus polymerase genes |journal=Nature |volume=437 |issue=7060 |pages=889–93 |year=2005 |month=October |pmid=16208372 |doi=10.1038/nature04230}}</ref><ref>{{cite journal |author=Antonovics J, Hood ME, Baker CH |title=Molecular virology: was the 1918 flu avian in origin? |journal=Nature |volume=440 |issue=7088 |pages=E9; discussion E9–10 |year=2006 |month=April |pmid=16641950 |doi=10.1038/nature04824}}</ref><ref name="pmid18353690">{{cite journal| author = Vana G, Westover KM| title = Origin of the 1918 Spanish influenza virus: a comparative genomic analysis| journal = Molecular Phylogenetics and Evolution| volume = 47| issue = 3| pages = 1100–10| year = 2008| month = June| pmid = 18353690| doi = 10.1016/j.ympev.2008.02.003}}</ref> पहला मामला 1959 में दर्ज किया गया था और 1998 में, H5N1 इन्फ्लूएंजा के 18 नए मामलों का निदान किया गया, जिनमें से छः लोगों की मृत्यु हो गयी। 1997 में हांगकांग में H5N1 एवियन इन्फ्लूएंजा के और अधिक मामले मुर्गियों में पाए गये।<ref name="brown" />
 
तपेदिक की शुरुआत पशुओं में हुई और फिर उसका संक्रमण उनसे मनुष्यों में हुआ, या एक समान पूर्वज से निकली अलग-अलग प्रजातियां संक्रमित हुईं, यह अब तक अस्पष्ट है।<ref name="Pearce-Duvet_2006">{{cite journal |author=Pearce-Duvet J |title=The origin of human pathogens: evaluating the role of agriculture and domestic animals in the evolution of human disease |journal=Biol Rev Camb Philos Soc |volume=81 |issue=3 |pages=369–82 |year=2006 | pmid = 16672105 |doi=10.1017/S1464793106007020}}</ref> खसरा और काली खांसी के मूल में पालतू पशुओं के जिम्मेवार होने के मजबूत साक्ष्य मौजूद हैं, हालाँकि डेटा ने गैर-पालतू मूल को इस दायरे से बाहर नहीं किया है।<ref>पियर्स-डुवेट 2006</ref>
 
'हंटर थ्योरी' के अनुसार, "प्रजातियों के बीच संक्रमण की सबसे आसान और विश्वसनीय व्याख्या" चिम्पांजी से मानव में [[एड्स]] वायरस का संक्रमण है, ऐसा तब हुआ होगा जब किसी जंगल के शिकारी को किसी पशु ने शिकार करते समय या क़त्ल करते समय मारा या काटा होगा।<ref name="Sharp2001">{{cite journal|author=Sharp PM, Bailes E, Chaudhuri RR, Rodenburg CM, Santiago MO, Hahn BH|title=The origins of acquired immune deficiency syndrome viruses: where and when?| journal=Philos Trans R Soc Lond B Biol Sci|year=2001|pages=867–76|volume=356|issue=1410|url=http://journals.royalsociety.org/content/lxtlqmn9urgcvb7x/fulltext.pdf|doi=10.1098/rstb.2001.0863|pmid=11405934|pmc=1088480}}</ref>
 
इतिहासकार नोर्मन कैंटर की राय में काली मौत पशुओं के मुरैन (एक प्लेग जैसे रोग), एंथ्रेक्स के एक रूप सहित महामारी का एक संयोजन हो सकती है। उन्होंने इस सिलसिले में प्रमाण के कई रूपों का उल्लेख किया, जिनमें यह तथ्य भी शामिल है कि प्लेग के प्रकोप से पहले अंग्रेजी क्षेत्रों में संक्रमित पशुओं के मांस बेचे जाते रहे थे।<ref>{{cite book |title= In the Wake of the Plague: The Black Death and the World It Made |last= Cantor |first= Norman |authorlink= |coauthors= |year= 2001 |publisher= Free Press |location= |isbn= 0684857359 |page= |pages= |url= |accessdate= }}</ref>
 
=== खान-पान संबंधी गड़बड़ी ===
अमेरिकन डाएटिक एसोसिएशन बताया कि खाने के विकार के साथ किशोरों में शाकाहारी आहार अधिक आम हो सकते हैं, लेकिन प्रमाणों के अनुसार शाकाहारी भोजन अपनाने से खाने के विकार नहीं होते, बल्कि यह कि "मौजूदा खाने के विकार को छिपाने के लिए शाकाहारी भोजन को चुना जा सकता है।"<ref name="adajournal">{{cite journal |title=Position of the American Dietetic Association: vegetarian diets. |journal=J Am Diet Assoc |volume=109 |issue=7 |pages=1266–1282 |year=2009 |month=July |pmid=19562864 |doi=10.1016/j.jada.2009.05.027 |url=http://www.eatright.org/cps/rde/xchg/ada/hs.xsl/advocacy_933_ENU_HTML.htm |last1=Craig |first1=WJ |last2=Mangels |first2=AR |last3=American Dietetic |first3=Association }}</ref> अन्य अध्ययनों और डाएटिशियनों व सलाहकारों के बयानों ने इस निष्कर्ष का समर्थन किया।{{#tag:ref|Vesanto Melina, a [[British Columbia]]n registered dietitian and author of ''Becoming Vegetarian'', stresses there is no cause and effect relationship between vegetarianism and eating disorders, although people who have eating disorders may label themselves as vegetarians "so that they won't have to eat."<ref>Katherine Dedyna, ''[http://www.compulsiveeating.com/news/16-healthy-lifestyle-or-politically-correct-eating-disorder Healthy lifestyle, or politically correct eating disorder?]'', ''Victoria Times Colonist'', CanWest MediaWorks Publications Inc., 30 जनवरी 2004. Retrieved 10 जनवरी 2010.</ref> Indeed, research indicates that the large majority of vegetarian or vegan anorexics and bulimics chose their diets after the onset of their disease. The "restricted" eating patterns of vegetarianism and veganism can legitimize the removal of numerous high-fat, energy-dense foods such as meat, eggs, cheese, … However, the eating pattern chosen by those with anorexia or bulimia nervosa is far more restrictive than a healthful vegetarian diet, eliminating nuts, seeds, avocados, and limiting overall caloric intake.<ref>Brenda Davis and Vesanto Melina, ''Becoming Vegan: The Complete Guide to Adopting a Healthy Plant-Based Diet'', Healthy Living Publications, 2002: p. 224.</ref>|group="nb"}}<ref name="veganorexianervosa">{{cite journal | author=O'Connor MA, Touyz SW, Dunn SM, Beumont PJ | title=Vegetarianism in anorexia nervosa? A review of 116 consecutive cases | journal=Med J Aust | year=1987 | pages=540–2 | volume=147 | issue=11–12 | pmid=3696039 |quote=In only four (6.3%) of these did meat avoidance predate the onset of their anorexia nervosa.}}</ref>
 
== शाकाहारी भोजन के अतिरिक्त कारण ==
=== आचारनीति ===
{{Main|शाकाहारी भोजन के आचारनीति}}
 
विभिन्न नैतिक कारणों से शाकाहार को चुनने के सुझाव दिये गये हैं।
 
=== धर्म ===
{{Main|शाकाहार और धर्म}}
[[चित्र:Vegetarian Curry.jpeg|thumb|भारतीय खाना शाकाहारी व्यंजनों की एक विस्तृत श्रृंखला की वजह से हिंदू धर्म, भारत की आबादी का बहुमत द्वारा अभ्यास प्रदान करता है, शाकाहारी भोजन प्रोत्साहित करती है। यहाँ शाकाहारी थाली दिया जाता है।]]
[[जैन धर्म]] नैतिक आचरण के रूप में शाकाहार होने की शिक्षा देता है, उसी तरह जैसा कि [[हिन्दू धर्म|हिंदू धर्म]] के कुछ प्रमुख{{Citation needed|date=July 2010}} संप्रदाय करते हैं। सामान्य तौर पर बौद्ध धर्म, मांस खाने का निषेध नहीं करता है, जबकि [[महायान|महायान बौद्ध धर्म]] दया की भावना के लाभप्रद विकास के लिए शाकाहारी होने को प्रोत्साहित करता है। अन्य पंथ जो पूरी तरह शाकाहारी भोजन की वकालत करते हैं उनमें सेवेंथ-डे एडवेंटिस्ट्स, रस्ताफरी आन्दोलन और हरे कृष्णा शामिल हैं।
[[सिख धर्म]]<ref>एच.एस. सिंघ द्वारा जूनियर सिंघा सिख धर्म का विश्वकोश 124 ISBN 10: 070692844X / 0-7069-2844-X</ref><ref>{{cite book|title=Punjab Through the Ages|editor=S.R. Bakshi, Rashmi Pathak,|publisher=Sarup and Sons|location=नई दिल्ली|year=2007|edition=1st|volume=4|page=241|chapter=12|isbn=8176257389 (Set)|url=http://books.google.com/?id=-dHzlfvHvOsC&pg=PA7&dq=Punjab+Through+the+Ages+By+S.R.+Bakshi,+Rashmi+Pathak,+Rashmi+Pathak+volume+4#v=onepage&q=Punjab%20Through%20the%20Ages%20By%20S.R.%20Bakshi%2C%20Rashmi%20Pathak%2C%20Rashmi%20Pathak%20volume%204 | first1=S.R. | last1=Kakshi}}</ref><ref>{{cite web|url=http://sgpc.net/sikhism/sikhism4.asp |title=Shiromani Gurudwara Prabhandhak Committee |publisher=Sgpc.net |date= |accessdate=2009-08-29}}</ref> आध्यात्मिकता के साथ आहार को नहीं जोड़ता और शाकाहारी या मांसाहारी आहार निर्दिष्ट नहीं करता है।<ref>{{cite web|url=http://www.sikhs.org/meat.htm |title=The Sikhism Home Page |publisher=Sikhs.org |date=1980-02-15 |accessdate=2009-08-29}}</ref>
 
==== हिंदू धर्म ====
{{Main|हिंदू धर्म में शाकाहार|हिंदू आहार-संबंधी नियम}}
 
[[हिन्दू धर्म|हिंदू धर्म]] के अधिकांश बड़े पंथ शाकाहार को एक आदर्श के रूप में संभाले रखा है। इसके मुख्यतः तीन कारण हैं: पशु-प्राणी के साथ अहिंसा का सिद्धांत;<ref>तःतिनें: अन्टू: अहिंसा.नॉन-वायलेंस इन इन्डियन ट्रेडिशन, लंदन 1976, पृष्ठ 107-109.</ref> आराध्य देव को केवल "शुद्ध" (शाकाहारी) खाद्य प्रस्तुत करने की नीयत और फिर प्रसाद के रूप में उसे वापस प्राप्त करना;<ref>महाभारत 12.257 (नोट के अनुसार महाभारत 12.257 का एक और गिनती 12.265 है); भगवद गीता 9.26, भागवत पुराण 7.15.7.</ref> और यह विश्वास कि मांसाहारी भोजन मस्तिष्क तथा आध्यात्मिक विकास के लिए हानिकारक है। हिंदू शाकाहारी आमतौर पर अंडे से परहेज़ करते हैं लेकिन दूध और डेयरी उत्पादों का उपभोग करते हैं, इसलिए वे लैक्टो-शाकाहारी हैं।
 
हालाँकि, अपने संप्रदाय और क्षेत्रीय परंपराओं के अनुसार हिंदुओं के खानपान की आदतों में भिन्नता होती है। ऐतिहासिक रूप से और वर्तमान में, जो हिंदू मांस खाते हैं वे झटका मांस पसंद करते हैं।<ref>{{cite web|url=http://www.hinduonnet.com/seta/2004/10/21/stories/2004102100111600.htm |title=द हिन्दू : Sci Tech / Speaking Of Science : Changes in the Indian menu over the ages |publisher=Hinduonnet.com |date=2004-10-21 |accessdate=2010-02-03}}</ref>
 
==== जैन धर्म ====
{{Main|जैन धर्म के शाकाहार}}
[[जैन धर्म]] के अनुयायी मानते हैं कि प्राणियों से लेकर निर्जीव पदार्थों में सब चीज में अलग अवस्था का जीवन हुआ करता है और इसीलिए वे इसके नुकसान को न्यूनतम करने के लिए अधिकतम प्रयास करते हैं। अधिकांश जैनी लैक्टो-शाकाहारी होते हैं, लेकिन अधिक धर्मनिष्ठ जैनी कंद-मूल सब्जियाँ नहीं खाते क्योंकि इससे पौधों की हत्या होती है। इसके बजाय वे फलियां और फल खाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जिनकी खेती में पौधों की हत्या शामिल नहीं है। मृत पशुओं से प्राप्त उत्पादों के उपभोग या उपयोग की अनुमति नहीं है। भूखे रहकर आत्म समाप्ति को जैनी एक आदर्श अवस्था मानते हैं और कुछ समर्पित भिक्षु आत्म समाप्ति किया करते हैं। आध्यात्मिक प्रगति के लिए यह उनके लिए एक अपरिहार्य स्थिति है।<ref>जैन स्टडी सर्कल पर "शाकाहार खुद के लिए बहुत अच्छा होता है और पर्यावरण के लिए अच्छा है।</ref><ref>सोसायटी के कोलोराडो शाकाहारी की वेबसाइट पर "आध्यात्मिक परंपराओं और शाकाहार".</ref> कुछ विशेष रूप से समर्पित व्यक्ति फ्रुटेरियन हैं।<ref>मैथ्यू, वॉरेन: वर्ल्ड रिलीजियंस, 4 संस्करण, बेल्मोंट: थॉमसन/वड्सवर्थ 2004, पृष्ठ 180. ISBN 0-534-52762-0</ref> शहद से परहेज किया जाता है, क्योंकि इसके संग्रह को मधुमक्खियों के खिलाफ हिंसा के रूप में देखा जाता है। कुछ जैनी भूमि के अंदर पैदा होने वाले पौधों के भागों को नहीं खाते, जैसे कि मूल और कंद; क्योंकि पौधा उखाड़ते समय सूक्ष्म प्राणी मारे जा सकते हैं।<ref>JainUniversity.org पर "जैन धर्म"</ref>
 
==== बौद्ध धर्म ====
[[चित्र:Japanese temple vegetarian dinner.jpg|thumb|175px|एक जापानी बौद्ध मंदिर में एक शाकाहारी भोजन]]
{{Main|बौद्ध धर्म के शाकाहार}}
थैरवादी या स्थविरवादी आम तौर पर मांस खाया करते हैं। अगर बौद्ध भिक्षु ने विशेष रूप से उनके खाने के लिए किसी पशु को मारते "देख, सुन या जान लिया" तो वे इससे इंकार कर देंगे या फिर अपराध अपने ऊपर ले लेंगे। हालाँकि, इसमें भिक्षा में प्राप्त या वाणिज्यिक रूप से खरीदकर खाया जाने वाला मांस शामिल नहीं है। थैरवाद में बुद्ध ने मांस भक्षण से उन्हें हतोत्साहित करने के लिए कोई टिप्पणी नहीं की है (सिर्फ विशेष प्रकार को छोड़कर, जैसे कि मनुष्य, हाथी, घोड़ा, कुत्ता, साँप, सिंह, बाघ, तेंदुआ, भालू और लकड़बग्घा<ref>महावागा पाली - भेसजजखंडहाका - विनय पिटाका</ref>), लेकिन जब एक सलाह दी गयी तब उन्होंने मठ के नियमों में शाकाहार को स्थापित करने से इंकार कर दिया।
 
महायान बौद्ध धर्म में, ऐसे अनेक [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] ग्रंथ हैं जिनमे बुद्ध अपने अनुयायियों को मांस से परहेज करने का निर्देश देते हैं। हालाँकि, महायान बौद्ध धर्म की प्रत्येक शाखा चयन करती है कि किस सूत्र का पालन करना है। तिब्बत और जापानी बौद्धों के बहुमत सहित महायान की कुछ शाखाएं मांस खाया करती हैं जबकि चीनी बौद्ध मांस नहीं खाते।
 
==== सिख धर्म ====
{{Main|सिख धर्म में आहार}}
[[सिख धर्म]] के सिद्धांत शाकाहार या मांसाहार पर अलग से कोई वकालत नहीं करते,<ref name="SHP">द सिखिस्म होम पेज पर "मिस्कंसेप्शन अबाउट इटिंग मीट - कमेंट्स ऑफ़ सिख स्कोलर्स,"</ref><ref>'''सिख और''' ''सिख इतिहास'' '''सिख धर्म द्वारा IJ सिंह, मनोहर''' ''दौरान'' '''ISBN ''9788173040580,'' दिल्ली,''' ''वहाँ शाकाहार समर्थन किया गया है subsects या आंदोलनों की है जो सिख धर्म.'' ''मुझे लगता है कि वहाँ इस तरह के या सिख धर्म में हठधर्मिता अभ्यास के लिए कोई आधार है। '' ''निश्चित रूप से नहीं लगता है कि सिखों में आध्यात्मिकता है कि एक शाकाहारी उपलब्धियों आसान है या अधिक है। '' ''यह आश्चर्य की बात है कि शाकाहार देखने के तथ्य यह है कि पशु बलि उम्र के लिए एक महत्वपूर्ण और अधिक मूल्यवान हिन्दू वैदिक अनुष्ठान किया गया था के प्रकाश में हिंदू अभ्यास के इस तरह के एक महत्वपूर्ण पहलू है। '' ''उनके लेखन में गुरु नानक स्पष्ट तर्क के दोनों पक्षों को अस्वीकार कर दिया - शाकाहार या मांस खाने के गुण पर साधारण रूप में और इतनी बकवास - और न ही उसने विचार है कि एक गाय से अधिक किसी न किसी तरह पवित्र एक घोड़ा या एक चिकन की तुलना में किया गया था स्वीकार करते हैं। '' ''उन्होंने यह भी मांस और साग के बीच मतभेदों पर एक विवाद में तैयार किया जाना मना कर दिया, उदाहरण के लिए. '' ''इतिहास हमें बताता है यह संदेश देने कि, नानक कुरुक्षेत्र में एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार पर मांस पकाया. '' ''इसे पकाया वह निश्चित रूप से इसे बर्बाद नहीं किया बीत रहा है, लेकिन शायद यह अपने अनुयायियों के लिए कार्य किया और खुद खा लिया। '' ''इतिहास बिल्कुल स्पष्ट है कि गुरु Hargobind और गुरु गोबिंद सिंह निपुण थे और avid शिकारी है। '' ''खेल और पकाया प्रयोग अच्छा था डाल करने के लिए, इसे दूर फेंक एक भयानक बर्बादी होती है।''</ref><ref>'''गुरु ग्रंथ साहिब, एक विश्लेषणात्मक अध्ययन द्वारा ISBN Surindar सिंह कोहली सिंह Bros. अमृतसर: 8172050607''' ''में वैष्णव भक्ति सेवा की और विचारों ग्रंथ आदि द्वारा स्वीकार कर लिया गया है, लेकिन शाकाहारी आहार पर वैष्णव के आग्रह को अस्वीकार कर दिया गया है।''</ref><ref name="autogenerated1">'''ISBN 978-81-7023-139-4''' ''हालाँकि'' '''प्रेस, दिल्ली विश्वविद्यालय के एक इतिहास के सिख लोगों द्वारा डॉ॰ गोपाल सिंह ''सिख,'' विश्व,''' ''यह अजीब है कि अब सिख मंदिर के लिए एक दिन संलग्न रसोई में समुदाय और कहा जाता है गुरु रसोई (या, गुरु का लंगर-) मांस व्यंजन सभी सेवा में नहीं हैं।'' ''हो सकता है, यह अपने जा रहा है, शायद, महंगी, या आसान नहीं लंबे समय के लिए रखने के लिए के कारण है। '' ''या, शायद वैष्णव परंपरा भी मजबूत है बंद हो हिल के लिए.''</ref><ref name="Fools Who Wrangle Over Flesh">Randip सिंह, [http://www.sikhphilosophy.net/sikh-sikhi-sikhism/8828-fools-who-wrangle-over-flesh.html ''मूर्ख कौन मांस से अधिक wrangle'' ], ''सिख दार्शनिक नेटवर्क,'' 7 दिसम्बर 2006. पुनःप्राप्त: 15 जनवरी 2010.</ref> बल्कि भोजन का निर्णय व्यक्ति पर छोड़ दिया गया है। तथापि, दसवें गुरु [[गुरु गोबिन्द सिंह|गुरु गोबिंद सिंह]] ने "अमृतधारी" सिखों, या जो सिख रेहत मर्यादा (आधिकारिक सिख नियम संहिता<ref>{{cite web |url=http://www.sgpc.net/sikhism/sikh-dharma-manual.html |title=Sikh Reht Maryada, The Definition of Sikh, Sikh Conduct & Conventions, Sikh Religion Living, भारत |publisher=www.sgpc.net |accessdate=2009-08-29 }}</ref>) का पालन करते हैं, उन्हें कुत्था मांस या वो मांस जो कर्मकांड के तहत पशुओं को मारकर प्राप्त किया गया हो, उसे खाने से मना किया है। तत्कालीन नए मुस्लिम आधिपत्य से स्वतंत्रता के लिए इसे राजनीतिक कारण से प्रेरित माना जाता है, क्योंकि मुस्लिम बड़े पैमाने पर कर्मकांडी हलाल आहार का पालन करते हैं।<ref name="SHP" /><ref name="Fools Who Wrangle Over Flesh" />
 
कुछ सिख संप्रदाय से संबंधित "अमृतधारी" (मसलन, अखंड कीर्तनी जत्था, दमदमी टकसाल, नामधारी<ref>जेन श्रीवास्तव [http://www.hinduismtoday.com/modules/smartsection/item.php?itemid=1541 ''शाकाहार और मांस धर्मों 8 भोजन में'' ], [[''हिंदू धर्म आज,'']] वसंत 2007. पुनःप्राप्त: 15 जनवरी 2010.</ref>, रारियनवाले<ref>'''पीएचडी (सिंह शेर दर्शन के द्वारा सिख धर्म ज्ञानी''' '''डी), शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति. ''' '''अमृतसर''' ''के रूप में एक सच Vaisnavite कबीर बनी एक सख्त शाकाहारी.'' ''मांस खाने के रूप में ब्राह्मण परंपरा से दूर धता कबीर, इतना की अनुमति नहीं है, एक (फूल GGS 479 स्नातकोत्तर की तोड़ के रूप में), जबकि नानक ऐसे सभी संदेह समझा अंधविश्वास हो जाएगा, कबीर Ahinsa या सिद्धांत आयोजित गैर जीवन है, जो कि फूलों का भी विस्तार के विनाश. '' ''इसके विपरीत पर सिख गुरुओं और अनुमति भी प्रोत्साहित किया, भोजन के रूप में पशु मांस का उपयोग करें. '' ''नानक आसा की (युद्ध में इस अंधविश्वास Ahinsa GGS 472 pg उजागर किया गया है) और malar Ke युद्ध (GGS स्नातकोत्तर. '' ''1288)''</ref>, आदि) मांस और अंडे के उपभोग का जोरदार विरोध करते हैं (हालाँकि वे दूध, मक्खन और चीज के उपभोग को बढ़ावा देते हैं)।<ref>[http://www.sikhwomen.com/ http://www.sikhwomen.com] पर "लंगर".</ref> यह शाकाहारी रवैया [[ब्रिटिश राज]] के समय से चला आ रहा है, अनेक नए धर्मान्तरित वैष्णवों के आने के बाद से।<ref name="Fools Who Wrangle Over Flesh" /> सिख आबादी के भोजन में भिन्नता की प्रतिक्रिया में, सिख गुरुओं ने आहार पर सिख विचार को स्पष्ट किया, उन्होंने सिर्फ भोजन की सादगी की उनकी प्राथमिकता पर जोर दिया। गुरु नानक ने कहा कि भोजन के अति-उपभोग (लोभ, लालसा) से पृथ्वी के संसाधन समाप्त हो जायेंगे और इस तरह जीवन भी समाप्त हो जायेगा।<ref>{{cite web|url=http://www.sikhs.org/meat_gn.htm |title=The Sikhism Home Page |publisher=Sikhs.org |date= |accessdate=2009-08-09}}</ref><ref>{{cite book|last=Singh|first=Prithi Pal |title=The History of Sikh Gurus|publisher=Lotus Press|location=नई दिल्ली|year=2006|page=38|chapter=3 Guru Amar Das|isbn=8183820751|url=http://books.google.com/?id=EhGkVkhUuqoC&printsec=frontcover&dq=The+History+of+Sikh+Gurus+By+Prithi+Pal+Singh#v=onepage&q=}}</ref> [[गुरु ग्रंथ साहिब]] (सिखों की पवित्र पुस्तक, जिसे आदि ग्रंथ भी कहते हैं) में कहा गया है कि प्राणी जगत की श्रेष्ठता के लिए बहस करना "मूर्खता" है, क्योंकि सभी जीवन एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, सिर्फ मानव जीवन अधिक महत्व रखता है।<blockquote>
"केवल मूर्ख ही यह बहस करते हैं कि मांस खाया जाय या नहीं। कौन परिभाषित कर कर सकता है कि कौन-सी चीज मांस और कौन-सी चीज मांस नहीं है? कौन जानता है, जहाँ पाप किसमें है, शाकाहारी होने में या एक मांसाहारी होने में?"<ref name="Fools Who Wrangle Over Flesh" /></blockquote>
सिख [[लंगर]], या मंदिर का मुफ्त भोजन, मुख्यतः लैक्टो-शाकाहारी होता है, हालाँकि समझा गया है किसी सिद्धांत के बजाय वहाँ खाने वाले सभी व्यक्तियों के लिए आदरणीय आहार को ध्यान में रख कर ही ऐसा किया जाता है।<ref name="autogenerated1" /><ref name="Fools Who Wrangle Over Flesh" />
 
==== यहूदी धर्म ====
॰[[यहूदी धर्म]] के अनेक मध्ययुगीन विद्वानों (मसलन, जोसेफ अल्बो) ने शाकाहार को एक नैतिक आदर्श के रूप में माना, सिर्फ पशुओं के कल्याण के लिए ही नहीं, बल्कि इसलिए भी कि पशुओं की ह्त्या करने से यह कृत्य करने वाले में नकारात्मक चारित्रिक लक्षण विकसित होने लगते हैं। इसलिए, उनकी चिंता पशु कल्याण के बजाय मानवीय चरित्र पर पड़ने वाले संभावित हानिकारक प्रभाव थे। दरअसल, रब्बी जोसेफ अल्बो का कहा कि मांस के उपभोग का त्याग करना इसलिए भी जरुरी है कि यह न सिर्फ नैतिक रूप से गलत है बल्कि अरुचिकर भी है।<ref name="innernet1">{{cite web|url=http://www.innernet.org.il/article.php?aid=107.html |title=J. David Bleich - Contemporary Halakhic Problems |publisher=Innernet.org.il |date= |accessdate=2009-08-09}}</ref>
 
एक आधुनिक विद्वान, जिनका उल्लेख अक्सर ही शाकाहार के पक्ष किया जाता है, मैंडेट [[फ़िलस्तीन|पैलेस्टाइन]] के प्रमुख रब्बी स्व. रब्बी अब्राहम इस्साक कूक थे। अपने लेखन में, रब्बी कूक ने शाकाहार को एक आदर्श के रूप में बताया है और इस तथ्य की ओर इशारा किया है कि आदम पशु मांस नहीं खाया करता था। इस सन्दर्भ में, हालाँकि, रब्बी कूक ने परलोक-सिद्धांत-विषयक (मुक्तिदाता संबंधी) युग के बारे में अपने चित्रण में ये टिप्पणियाँ की हैं।
 
कुछ कब्बलावादियों के अनुसार, केवल एक रहस्यवादी ही जो पुनर्जन्म लेने वाली आत्मा और "ईश्वरीय किरण" को समझने तथा उसे उन्नत कर पाने में सक्षम है, उसे ही मांस खाने की अनुमति है, हालाँकि पशु मांस खाने से तब भी आत्मा को आध्यात्मिक क्षति पहुँच सकती है। अनेक यहूदी शाकाहार समूह और कार्यकर्ता ऐसे विचारों के प्रचार में लगे हुए हैं और विश्वास करते हैं कि जो फिलहाल शाकाहार को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं, सिर्फ उनके प्रति ही अस्थायी रूप से ढिलाई बरतने की हलाखिक अनुमति प्रदान है।<ref>{{cite web|url=http://www.jewishveg.com/torah.html |title=Judaism & Vegetarianism |publisher=Jewishveg.com |date= |accessdate=2009-08-09}}</ref>
 
[[यहूदी धर्म]] और [[ईसाई धर्म]] दोनों के साथ संबंध रखने वाले प्राचीन एसेंस धार्मिक समूह ने सख्ती से शाकाहार को चलाया, ठीक उसी तरह जिस तरह हिन्दू/जैनी [[अहिंसा]] या "निष्पाप" विचारों पर यकीन करते हैं।<ref>{{cite web|url=http://www.all-creatures.org/murti/tsnhod-03.html |title="They Shall Not Hurt Or Destroy" and the Essenes |publisher=All-creatures.org |date= |accessdate=2009-08-09}}</ref>
 
[[तोरा|टोरा]] के टेन कमांडेंटस के अनुवाद में कहा गया है "तू हत्या नहीं करेगा."<ref>{{cite web|url=http://www.jewishveg.com/schwartz/killormurder.html |title=Judaism and Vegetarianism: Schwartz Collection - Thou Shalt Not "Kill" or "Murder"? |publisher=Jewishveg.com |date= |accessdate=2009-08-09}}</ref><ref>{{cite web|url=http://www.mechon-mamre.org/p/pt/pt0220.htm |title=Exodus 20 / Hebrew - English Bible / Mechon-Mamre |publisher=Mechon-mamre.org |date= |accessdate=2009-08-09}}</ref> कुछ लोगों का तर्क है कि इसका मतलब यह भी निकाला जा सकता है कि किसी हत्या न करो, न पशुओं की और न मनुष्यों की, या कम से कम "कि कोई व्यक्ति बेजरूरत हत्या नहीं करे," यह कुछ वैसी ही बात हुई जैसे कि आधुनिक धर्मशास्त्री गुलामी के अभ्यास पर प्रतिबंध लगाने के लिए बाइबल के गुलामी पर दुर्वह प्रतिबंधों की व्याख्या करते हैं।<ref>फिलिप एल. पिक द्वारा शाकाहार का दर्शन यहूदी का लेख</ref>
टोरा लोगों को यह भी आदेश देता है कि पशुओं की जब हत्या की जाय तो विधिवत उनका क़त्ल किया जाय और पशु बलि के रिवाज को विस्तार से बताया गया है।
 
हालाँकि यहूदियों के लिए मांस खाना न आवश्यक है और न ही निषिद्ध है, फिर भी यहूदी धर्म की नैतिकता और आदर्शों को देखते हुए चयन किया जाना चाहिए।{{cite web|url=http://www.brook.com/jveg |title=The Vegetarian Mitzvah}}
 
==== परंपरागत ग्रीक और रोमन सोच ====
प्राचीन ग्रीक दर्शन में शाकाहार की एक लंबी परंपरा है। कहते हैं [[पाइथागोरस]] शाकाहारी थे (और उसकी शिक्षा-दीक्षा माउंट कार्मेल में हुई थी, कुछ इतिहासकारों का मानना है कि जहाँ एक शाकाहारी समुदाय था), इसलिए उम्मीद की जाती है कि उनके अनुयायी भी शाकाहारी होंगे। बताया जाता है कि [[सुकरात]] शाकाहारी थे और एक आदर्श गणतंत्र में लोगों को, कम से कम दार्शनिक-शासकों को क्या खाना चाहिए, इस पर उन्होंने अपने संवाद में इसका वर्णन किया था कि सिर्फ शाकाहारी भोजन करना चाहिए। उन्होंने खासतौर पर कहा कि अगर मांस खाने की अनुमति दी गयी तो समाज को और भी अधिक डॉक्टरों की आवश्यकता होगी।<ref>प्लेटो, गणराज्य.</ref>
 
रोमन लेखक ओविद ने अपनी महान कृति मेटामोरफोसेज के एक हिस्से में आवेगविहीन तर्क देते हुए कहा है कि और अधिक बेहतरी के लिए मानवता में बदलाव या कायाकल्प और अधिक सुव्यवस्थित प्रजाति होने के लिए हमें ज्यादा से ज्यादा मानवीय प्रवृत्तियों की दिशा में प्रयासरत होना चाहिए। इस कायाकल्प में शाकाहार को महत्वपूर्ण निर्णय के रूप में उद्धृत करते हुए उन्होंने अपने विचार जाहिर करते हुए कहा है कि मानव जीवन और पशु जीवन परस्पर इतने घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं कि एक पशु की हत्या एक इंसान की हत्या के समान है।
 
<blockquote>सब कुछ बदलता है, कुछ भी नहीं मरता; आत्मा इधर-उधर घूमती है, अभी यहाँ है तो अभी वहाँ और इंसान से लेकर पशु तक जो भी ढांचा होगा उसीको ओढ़ लेती है। यही हमारा अपना पशुत्व के रूप में ढल जाता है जो कभी नहीं मरता है।..इसलिए ऐसा न हो कि भूख और लालच प्यार और कर्तव्य के बंधन को नष्ट कर दे, मेरे संदेश पर ध्यान दो! बचो! वध के जरिए आत्मा को कभी नष्ट मत करना, यह रक्त से रक्त के रिश्ते को जोड़ता है और इसकी परवरिश करता है!<ref>ए.डी. मेलविल्ले द्वारा ओविड, मेटामोर्फोसेस, पुस्तक XV, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, 1986.</ref></blockquote>
 
==== ईसाई धर्म ====
{{Main|ईसाई धर्म में शाकाहार}}
मौजूदा [[ईसाई]] संस्कृति सामान्य रूप से शाकाहार नहीं है। हालाँकि, [[सेवेंथ डे एडवेंटिस्ट]] और पारंपरिक [[मोनैस्टिक]] शाकाहार पर जोर डालते हैं। इसके अलावा ऑर्थोडॉक्स चर्च के सदस्य 'उपवास' के दौरान शाकाहारी आहार का पालन कर सकते हैं,<ref>{{cite web|url=http://www.orthodoxinfo.com/praxis/pr_fasting.aspx |title=Living an Orthodox Life: Fasting |publisher=Orthodoxinfo.com |date=1997-05-27 |accessdate=2010-02-03}}</ref> शाकाहार की अवधारणा और चलन को आध्यात्मिक और ऐतिहासिक समर्थन प्राप्त है।{{Citation needed|date=June 2010}}
 
ईसाई धर्म में एक क्वेकर परंपरा जो कि कम से कम 18 वीं सदी से चली आ रही है, के साथ भी शाकाहार का एक मजबूत संबंध रहा है। शराब का सेवन, जीव हत्या और सामाजिक पवित्रता के संबंध में क्वेकर की चिंताएं बढ़ने के साथ 19 वीं शताब्दी के दौरान यह संबंध उल्लेखनीय रूप से फलाफूला है। बहरहाल, 1902 में फ्रेंड्स वेजीटेरियन सोसाइटी की स्थापना मित्रों के सामज में और अधिक सहृदयी जीवनशैली अपनाने के प्रचार के मकसद के साथ शाकाहार और क्वेकर परंपरा के बीच सहयोग और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गया।<ref>{{cite web|url=http://www.ivu.org/history/thesis/quakers.html |title=The Great War and the Interwar Period |publisher=ivu.org |date= |accessdate=2009-08-14}}</ref>
 
==== इस्लाम ====
{{See also|इस्लाम और पशुओं}}
 
मुसलमानों या [[इस्लाम]] के अनुयायियों को चिकित्सकीय कारण या फिर व्यक्तिगत तौर पर मांस का स्वाद पसंद न करने वालों को शाकाहार चुनने की आजादी प्रदान करता है। हालाँकि, गैर चिकित्सकीय कारण से शाकाहार बनने का विकल्प कभी-कभी विवादास्पद हो सकता है। हो सकता है और भी कुछ परंपरागत मुसलमान हैं जो अपने शाकाहारी होने के बारे में चुप्पी बनाये रखते हों, तभी शाकाहार मुसलमानों की तादाद बढ़ रही है।<ref name="Muslims can’t be vegetarian">मुसलमान शाखाहरी नहीं हो सकते है? 16/05/2008 को पुनःप्राप्त</ref>
 
इराकी धर्मशास्त्रियों, महिला रहस्यवादी और बसरा के कवि राबिया अल-अदावियाह, 801 में जिनका इंतकाल हुआ; और श्रीलंका के सुफी संगीतकार बावा मुहैयाद्दीन जिन्होंने फिलाडेलफिया में द बावा मुहैयाद्दीन फेलोशिप ऑफ नॉर्थ अमेरिका की स्थापना की; सहित कुछ प्रभावशाली मुसलमानों में शाकाहार का चलन रहा है।
<ref>बावा मुहैयाडीन से शाकाहारी कोटेशन 16/05/2008 लिया गया</ref>
 
जनवरी 1996 में, द इंटरनेशनल वेजीटेरियन यूनियन ने मुस्लिम वेजीटेरियन/वेगन सोसाइटी की स्थापना की घोषणा की।<ref>{{cite web|url=http://www.ivu.org/news/1-96/muslim.html |title=IVU News - Islam and Vegetarianism |publisher=Ivu.org |date= |accessdate=2009-08-09}}</ref>
 
कई मांसाहारी मुसलमानों जब गैर-हलाली रेस्त्रां में खाना खाने जाते हैं तब वे शाकाहार (या समुद्री खाद्य) का चयन करेंगे। हालाँकि, सही तरह का मांस न खाने के बजाए पूरी तरह से मांस खाने को प्राथमिकता देने का मामला है।<ref name="Muslims can’t be vegetarian" />
 
==== रस्ताफरी ====
अफ्रीकी कैरेबियन समुदाय में, एक अल्पसंख्यक समुदाय है रस्ताफरी आहार नियमों का पालन बहुत ही कड़ाई से करते हैं। ज्यादातर ऑर्थोडॉक्स केवल इटल या प्राकृतिक खाद्य पदार्थ खाते हैं, जिसमें साग-सब्जियों के साथ हर्ब या मसाले भी होते हैं, रस्ताफरियों की इस पुरानी और कुशल परंपरा है जिसका उत्स अफ्रीकी वंश परंपरा और सांस्कृतिक विरासत के तहत चली आ रही है।<ref>ओसबोर्न, एल (1980), द रास्टा कूकबुक, 3 एड. मैक डोनाल्ड, लंदन.</ref> ज्यादातर रस्ताफरी शाकाहारी हैं।{{Citation needed|date=May 2010}} प्राकृतिक सामग्री मसलन; पत्थर या मिट्टी से निर्मित बर्तन ही पसंद करते हैं।{{Citation needed|date=May 2010}}
 
=== पर्यावरण संबंधी ===
{{Main|पर्यावरण संबंधी शाकाहार}}
 
पर्यावरण शाकाहार इस विचारधारा पर आधारित है कि जन उपभोग के लिए मांस उत्पाद और पशु उत्पाद विशेष रूप से कारखाने में तैयार खाद्य पर्यावरण की दृष्टि से अरक्षणीय होते हैं। 2006 में संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से किए गए पहल के अनुसार, दुनिया में पर्यावरण संबंधी की दुर्दशा में सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में से एक मवेशी उद्योग है, खाद्य पदार्थों में अंशदान के लिए आधुनिक तरीकों से पशुओं की तादद बढ़ाने से 'बहुत ही बड़े पैमाने पर' वायु और जल प्रदूषण, भूमि क्षरण, जलवायु परिवर्तन जैव विविधता के नुकसान हो रहा है। प्रस्ताव ने निष्कर्ष निकाला कि "स्थानीय से लेकर वैश्विक हर स्तर पर पर्यावरणीय समस्याओं में सबसे महत्वपूर्ण योगदानकर्ताओं में मवेशी क्षेत्र का स्थान एकदम से शीर्ष पर दूसरा या तीसरा है।"<ref>{{cite web|url=http://www.fao.org/docrep/010/a0701e/a0701e00.HTM |title=Livestock's long shadow - Environmental issues and options |publisher=Fao.org |date= |accessdate=2009-08-09}}</ref>
 
ग्रीनपीस रिपोर्ट में अमाजोन पशु फार्म के कारण हो रहे विनाश का नजारा दिखाए जाने के एक हफ्ते के बाद, जुलाई 2009 में नाइके और टिंबरलैंड ने वन कटाई वाले अमाजोन वर्षावन से चमड़े की खरीददारी बंद कर दी। अर्नोल्ड न्युमैन के अनुसार हर हैंमबर्गर की बिक्री 6.25m2 वर्षावन के विनाश परिणाम है।<ref>{{cite book|url=http://books.google.com/?id=Z0s3X_vh1_EC&pg=PA93&lpg=PA93&dq=one+hamburger+is+50+rain+forrest |title=ei=3ZKbSoyJOIP6_AbH17TGCQ&sa=X&oi=book_result&ct=result&resnum=8#v=onepage&q=&f=false Hamburger per rain forest |publisher=Books.google.com |date= 1999-06-30|accessdate=2009-10-04 | isbn=9781566397056}}</ref>
 
इसके अलावा, पशु फार्म ग्रीनहाउस गैसों के बड़े स्रोत हैं और दुनिया भर में 18 प्रतिशत ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, जिसे CO<sub>2</sub> के समकक्ष मापा गया है, के लिए जिम्मेवार है, तुलनात्मक रूप से, दुनिया भर के सभी परिवहनों (जहाजों, सभी की गाड़ियों, ट्रकों, बसों, ट्रेनों, जहाजों और हवाई जहाजों समेत) से उत्सर्जित CO<sub>2</sub> का प्रतिशत 13.5 है। पशु फार्म मानव संबंधित नाइट्रस ऑक्साइड का उत्पादन 65 प्रतिशत करता है और सभी मानव प्रेरित मीथेन का प्रतिशत 37 है। लगभग 21 गुना अधिक मीथेन गैस के ग्लोबल वार्मिंग पोटेंशियल (GWP) की तुलना में कार्बन डाइ ऑक्साइड और नाइट्रस ऑक्साइड का GWP 296 गुना है।<ref>{{cite web|url=http://www.yogaindailylife.org.au/Articles/Environment/Going-Greenhouse-Gas-Neutral.html |title=Greenhouse gas neutral |publisher=Yogaindailylife.org.au |date= |accessdate=2009-10-04}}</ref>
 
पशुओं को अनाज खिलाया जाता है और जो चरते हैं उन्हें अनाज की फसल खानेवालों की तुलना में कहीं अधिक पानी की जरूरत पड़ती है।<ref>कर्बी, बीबीसी न्यूज़ 2004 हंगरी वर्ल्ड 'मस्ट ईट लेस मीट' http://news.bbc.co.uk/1/hi/sci/tech/3559542.stm</ref> यूएसडीए (USDA) के अनुसार, फार्म पशुओं को खिलाने के लिए फसलों की पैदावार के लिए पूरे संयुक्त राज्य अमेरिका के लगभग आधी जल आपूर्ति और 80 प्रतिशत कृषि भूमि के पानी की जरूरत होती है। इसके अतिरिक्त, अमेरिका में भोजन के लिए पशुओं को बड़ा करने में 90 प्रतिशत सोया की फसल, 80 प्रतिशत मक्के की फसल और 70 प्रतिशत कुल अनाज की खपत हो जाया करती है।<ref>वेस्टरबाई, मार्लो और क्रुपा, केनेथ एस. 2001 मेजर युसेज़ ऑफ़ लैंड इन द युनाइटेड स्टेट्स, 1997 सांख्यिकी बुलेटिन नं. (SB973) सितम्बर 2001</ref>
 
जब खाद्य पदार्थों के लिए पशु उत्पादन को चारा खिलाकर तैयार किया जाता है तब मांस, दूध और अंडे के उत्पादन की अक्षमता से उर्जा निवेश से प्रोटीन उत्पाद का अनुपात 4:1 से लेकर 54:1 हो जाता है। सबसे पहले, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मवेशी द्वारा खाये जाने से पहले चारे का बढ़ना जरूरी है और दूसरा गर्म खूनवाले रीढ़ वाले जीवों (पेड़ों और कीड़े-मकौड़ों के विपरीत) को गर्मी बनाये रखने के लिए बहुत सारी कैलोरी की जरूरत होती है।<ref name="Time" /> एक सूचकांक है, जिसका उपयोग अपच खाद्य पदार्थों का शारीरिक तत्व के रूप में रूपांतरण की क्षमता मापने के लिए किया जा सकता है, जो हमें यह बताता है, उदाहरण के लिए गाय के मांस से शरीर तत्व का रूपांतरण केवल 10%, की तुलना में रेशम कीट से 19-31% और जर्मन तिलचट्टे से 44% होता है।[298]
पारिस्थितिकी के प्रोफेसर डेविड पिमेंटल ने दावा किया है, "अगर मौजूदा समय में संयुक्त राज्य अमेरिका में मवेशियों को खिलाये जानेवाले सभी अनाज सीधे लोगों द्वारा खा लिया जाए तो जितने लोगों को खिलाया जा सकता है, उनकी तादाद लगभग 800 मिलियन हो सकती है।"<ref>कॉर्नेल विज्ञान समाचार, 7 अगस्त 1997 http://www.news.cornell.edu/releases/Aug97/livestock.hrs.html</ref> इन अध्ययनों के अनुसार, पशु आधारित खाद्य का उत्पादन अनाज, सब्जियों, दलहन, बीज और फलों की फसल की तुलना में आमतौर पर पर बहुत कम होता है। बहरहाल, यह उन जानवरों पर लागू नहीं होता जो चरने के बजाए खिलाये जाते हैं, खासतौर पर उन पर जो ऐसी भूमि में चरते हैं जिसका दूसरा कोई उपयोग नहीं किया जा सकता है। और न खाने के लिए कीड़ों की खेती पर, जो खाद्य पदार्थ खानेवाले मवेशियों की खेती की तुलना में पर्यावरण की दृष्टि से कहीं अधिक दीर्घकालिक होते हैं, पर लागू होती है।<ref name="Time" /> प्रयोगशाला में उत्पादित मांस (जो इन विट्रो मांस कहलाता है) भी पर्यावरण की दृष्टि से नियमित रूप से उत्पादित मांस की तुलना में कहीं अधिक टिकाऊ होता है।<ref>{{Cite news |url=http://www.newscientist.com/article/mg19926635.600-comment-growing-m |title=Comment: Lab-grown meat could ease food shortage |last=Olsson |first=Anna |periodical= New Scientist |publication-date=2008-07-08 |accessdate=2008-11-17}}</ref>
 
पोषण संबंधी गतिशीलता के सिद्धांत के अनुसार, मांस के उत्पादन के लिए पशुओं को पालने में 10 गुना फसल की जरूरत चारे के रूप में उपयोग के लिए होती है, इतने ही खाद्य पदार्थों की जरूरत शाकाहारी भोजन करनेवाले लोगों को होगी। वर्तमान समय में उत्पादित मकई, गेहूँ और दूसरे सभी अनाज का 70 प्रतिशत फार्म के पशुओं को खिला दिया जाता है।<ref name="environement">एड आयर्स, "हम क्या अभी भी मीट खा सकते है?"समय, 8 नवम्बर 1999</ref> इससे शाकाहार के बहुत सारे समर्थक यह मानने लगे हैं कि मांस खाना पर्यावरण की दृष्टि से गैर जिम्मेदार होना है।<ref>पारिस्थितिकी भोजन: भोजन के रूप में अगर पृथ्वी मामलों (यह करता है!) http://www.brook.com/veg/</ref> सुरे युनिवसिर्टी के फूड क्लाइमेट रिसर्च नेटवर्क ने पाया कि अपेक्षाकृत कम संख्या में चरनेवाले पशुअओं को पालना अक्सर लाभदायक होता है, इसकी रिपोर्ट कहती है, ''कम संख्या में मवेशियों का उत्पादन पर्यावरण की दृष्टि से अच्छा है।''<ref>व्हाई इटिंग लेस मीट कुड कट ग्लोबल वॉर्मिंग संरक्षक</ref>
{{सीकोट2|The UN [[खाद्य और खेती संस्था]] (एफएओ) has estimated that direct emissions from meat production account for about 18% of the world's total greenhouse gas emissions. So I want to highlight the fact that among options for mitigating climate change, changing diets is something one should consider.|[[राजेंद्र पचौरी]],<ref>[http://news.bbc.co.uk/2/hi/science/nature/7600005.stm "Shun meat, says UN climate chief"], BBC, September 7, 2008</ref> Chairman|[[इंटरगवर्नमेंटल पेनेल ऑन क्लाइमेट चेंज]]}}
 
मई 2009 में, गेन्ट को दुनिया का पहली ऐसी जगह [शहर] बताया गया जो पर्यावरण कारणों से सप्ताह में कम से कम एक बार पूरी तरह से शाकाहार होता है, स्थानीय अधिकारियों ने ''साप्ताहिक मांसविहीन दिन'' लागू करने का फैसला किया। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट को मान्यता देने के लिए जनसेवक हर सप्ताह एक दिन शाकाहारी भोजन करेंगे। पोस्टर को स्थानीय अधिकारियों द्वारा शाकाहारी दिवस में भाग लेने को प्रोत्साहित करने के लिए जगह-जगह पोस्टर लगाये गए और शाकाहारी रेस्त्रांओं को चिह्नित करने के लिए ''शाकाहारी स्ट्रीट मानचित्र'' मुद्रित किए गए। सितंबर 2009 में गेन्ट के स्कूलों में साप्ताहिक वेजेडैग (''शाकाहारी दिवस'') भी मनाया जाता है।<ref>"बेल्जियम सिटी प्लैन्स 'योजना' डेज़", क्रिस मेसन, बीबीसी (बीबीसी), 12 मई 2009</ref>
 
=== श्रमिकों की स्थिति ===
पेटा (PETA) जैसे कुछ ग्रुप इन दिनों मांस उद्योग में काम करनेवाले मजदूरों की स्थिति और उनके साथ होने वाले व्यवहार को समाप्त करने के लिए शाकाहार को बढ़ावा देते हैं।<ref>{{cite web| url=http://www.goveg.com/workerrights.asp|title=Killing for a Living: How the Meat Industry Exploits Workers|accessdate=2009-07-16}}</ref> ये समूह उन अध्ययनों का उल्लेख करते हुए मांस उद्योग में काम करने से मनोवैज्ञानिक क्षति को दर्शाते हैं, खासकर फैक्ट्री और औद्योगीकृत स्थानों में और शिकायत करते हैं कि बिना पर्याप्त सलाह, प्रशिक्षण और विवरणों की जानकारी दिए कठिन तथा कष्टप्रद कार्य सौंपकर मांस उद्योग श्रमिकों के मानवीय अधिकारों का उल्लंघन कर रहा है।<ref name="labor">{{cite web|url=http://www.hrw.org/reports/2005/usa0105/4.htm |title=Worker Health and Safety in the Meat and Poultry Industry |publisher=Hrw.org |date= |accessdate=2009-08-09}}</ref><ref name="labor2">{{cite web|url=http://www.ncrlc.com/academic-SR-webpages/food_safety.html |title=Food Safety, the Slaughterhouse, and Rights |publisher=Ncrlc.com |date=2004-03-30 |accessdate=2009-08-09}}</ref><ref name="labor3">{{PDFlink|http://www.safework.sa.gov.au/contentPages/docs/meatCultureLiteratureReviewV81.pdf|618&nbsp;KB|—Positive Safety
Culture The key to a safer meat industry}}</ref><ref name="labor4">{{cite web|url=http://www.hfa.org/factory/ |title=Factory Farming—Making People Sick |publisher=Hfa.org |date= |accessdate=2009-08-09}}</ref> हालाँकि, तमाम खेत मजदूरों के काम की परिस्थिति, विशेष रूप से अस्थायी श्रमिकों की, खराब ही बनी हुई है और अन्य आर्थिक क्षेत्रों की तुलना में बहुत ही नीचे है।<ref>परिस्थितियों में कृषि कार्य अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन</ref> किसानों और बागान श्रमिकों में दुर्घटनाओं सहित कीटनाशक विषाक्तता से स्वास्थ्य के जोखिम बढ़ गये हैं, जिनमें बढती मृत्यु दर भी शामिल है।<ref>परिस्थितियों में कृषि कार्य बर्न घोषणा</ref> वास्तव में, [[अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ|अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन]] के अनुसार, कृषि दुनिया के तीन सबसे खतरनाक कामों में से एक है।<ref>विश्व विकास रिपोर्ट 2008: विकास के लिए कृषि, विश्व बैंक प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पृष्ठ 207</ref>
 
=== आर्थिक ===
शाकाहार पर्यावरण की ही तरह आर्थिक शाकाहार की अवधारणा है। एक आर्थिक शाकाहारी वह है जो शाकाहार का अभ्यास या तो जन स्वास्थ्य तथा विश्व से भुखमरी मिटाने के किसी दार्शनिक विचार के तहत करता है, इस विश्वास से करता है कि मांस का उपभोग आर्थिक रूप से ठीक नहीं है, वह एक सचेत सरल जीवन शैली की रणनीति के हिस्से के रूप में ऐसा करता है, या फिर बस आवश्यकतावश। वर्ल्डवाच इंस्टीट्युट के अनुसार, "औद्योगिक देशों में मांस की खपत में भारी कमी आने से उनके स्वास्थ्य की देखभाल के बोझ में कमी आएगी और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार होगा; पशु संपदा के झुंड में गिरावट से चरागाहों और खेतों पर से दबाव कम होगा और कृषी संसाधनों के आधार को नयेपन से भर देगा। चूंकि जनसंख्या वृद्धि जारी है, विश्व स्तर पर मांस की खपत में कमी आने से भूमि और जल संसाधनों की प्रति व्यक्ति इस्तेमाल में आ रही गिरावट को रोक कर इनका अधिक सक्षम उपयोग हो सकेगा, जबकि साथ ही साथ विश्व के दीर्घकालिक भूखे लोगों को अधिक सस्ते में अनाज मिल पायेगा।<ref>वर्ल्डवॉच संस्थान, समाचार 2 जुलाई 1998, संयुक्त राज्य अमेरिका बिक्रीसूत्र विश्व मांस https://www.worldwatch.org/press/news/1998/07/02</ref>
 
=== सांस्कृतिक ===
[[चित्र:Chinese-buddhist-cuisine-taiwan-1.jpg|thumb|300px|ताइवान बौद्ध भोजन]]
हो सकता है लोग शाकाहार चुने क्योंकि वे एक शाकाहारी रहे हों या फिर एक शाकाहारी साथी, परिवार के सदस्य या मित्र होने के कारण वे शाकाहार चुनें।
 
== जनसांख्यिकी ==
=== लिंग ===
अनुसंधान संगठन यंकेलोविच द्वारा 1992 में कराये गए बाजार अनुसंधान अध्ययन द्वारा दावा किया गया‍ कि "12.4 मिलियन लोग [US में], जो खुद को शाकाहारी कहते हैं उनमें से 68 प्रतिशत महिलाएं हैं और 32 प्रतिशत पुरुष हैं।"<ref>{{cite web|url=http://findarticles.com/p/articles/mi_m0820/is_n210/ai_16019829 |title=The gender gap: if you're a vegetarian, odds are you're a woman. Why? |accessdate=2007-10-27 |date=2005-02-01 |publisher=Vegetarian Times|archiveurl=http://archive.is/GdBX|archivedate=2012-05-26}}</ref>
 
कम से कम एक अध्ययन यह बताता है कि शाकाहारी महिलाओं को बच्चे होने की संभावना कहीं अधिक होती है। 1998 में 6,000 गर्भवती महिलाओं पर किए गए अध्ययन में "पाया गया कि 100 लड़कियों के अनुपात में 106 लड़के पैदा होने का ब्रिटेन का राष्ट्रीय औसत है, जबकि शाकाहारी माताओं से 100 लड़कियों के अनुपात में सिर्फ 85 लड़के पैदा हुए।''<ref name="Babies">{{cite news|url=http://news.bbc.co.uk/1/hi/health/869696.stm |title='More girl babies' for vegetarians |publisher=बीबीसी न्यूज़ |date=2000-08-07 |accessdate=2009-08-09}}</ref> ब्रिटिश डायडेटिक एसोसिएशन के कैथरीन कोलिंस इसे "अस्थायी सांख्यिकीय" बताते हुए खारिज कर दिया है।<ref name="Babies" />
 
=== देश-विशेष की जानकारी ===
[[चित्र:India vegetarian labels.svg|thumb|right|भारत में इस्तेमाल किया मांसाहारी उत्पादों (दाएं) से शाकाहारी उत्पादों (बाएं) को अलग लेबल.]]
{{Main|विशिष्ट देशों में शाकाहार}}
शाकाहार को दुनिया भर में अलग अलग तरीकों से देखा जाता है। कुछ क्षेत्रों में {{Which?|date=May 2010}} यह वहाँ की संस्कृति है और यहाँ तक कि इसे कानूनी समर्थन भी प्राप्त है, लेकिन अन्य में {{Which?|date=May 2010}} आहार के बारे में समझ बहुत खराब है और यहाँ तक कि इस बारे में नाक-भौं भी सिकोड़ा जाता है।{{Citation needed|date=May 2010}} बहुत सारे देशों में खाद्य का वर्गीकरण किया जाता है जिससे शाकाहारियों के लिए अपने भोजन के साथ खाद्य पदार्थों की अनुकूलता को पहचानना आसान हो जाता है।
 
भारत में, बाकी दुनिया की तुलना में जहाँ ज्यादातर शाकाहारी हैं दोनों को मिलाकर (2006 के अनुसार 399 मिलियन),<ref>{{cite web|url=http://www.raw-food-health.net/NumberOfVegetarians.html |title=The Number of Vegetarians In The World |publisher=Raw-food-health.net |date= |accessdate=2010-02-03}}</ref>
न केवल खाद्य पदार्थों की वर्गीकरण होता है, बल्कि बहुत सारे रेस्त्राओं में ''शाकाहारी'' या ''गैर-शाकाहारी'' का निशान भी लगा कर विपणन किया जा रहा है। भारत में जो लोग शाकाहारी हैं आमतौर पर वे दूग्ध-शाकाहारी हैं और इसलिए, इस बाजार की आवश्यकता को पूरा करने के लिए, भारत में बहुसंख्यक शाकाहारी रेस्त्रां अंडे से संबंधित उत्पादों को छोड़ कर अन्य दुग्ध उत्पाद मुहैया कराते हैं।
इनकी तुलना में, अधिकांश पश्चिमी शाकाहारी रेस्त्रां अंडा और अंडे पर आधारित उत्पाद मुहैया कराते हैं।
 
{{Clear}}
 
== इन्हें भी देखें ==
* आहारों की सूची
* [[जैन (सात्विक) भोजन|जैन भोजन]]
* मांस से मुक्त दिन
* शाकाहारी भोजन
* शाकाहारी भोजन पिरामिड
* शाकाहारी या शाकाहारी बिल्ली का खाना
 
== नोट्स ==
• भारतीय सम्राट अशोक ने प्राणियों को सुरक्षा प्रदान किये जाने का आदेश दिया था, उसके आज्ञापत्र से हम यह बात समझ सकते हैं, जिसके अनुसार, “मेरे राज्याभिषेक के छब्बीस वर्षों बाद विभिन्न पशुओं को सुरक्षा प्रदान किये जाने योग्य घोषित किया गया—तोता, मैना, //अरुणा//, लाल हंस, जंगली बत्तख, //नंदीमुख, गेलाटा//, चमगादड़, रानी चींटियाँ, छोटे कछुए, अस्थिहीन मछलियाँ, //वेदरेयक (vedareyaka)//, //गंगापुपुटक (gangapuputaka)//, //संकिया (sankiya)//, मछली, कछुआ, साही, गिलहरियाँ, हिरण, बैल, //ओकपिंड//, जंगली गधे, जंगली कबूतर, पालतू कबूतर तथा ऐसे सभी चौपाये, जो न तो उपयोगी हैं और न ही खाने-योग्य हैं। वे बकरियाँ, भेड़ें और मादा सुअर, जो अपने बच्चों के साथ हों या बच्चों को दूध पिला रही हों, उनकी भी रक्षा की जाती है और इसी प्रकार पशुओं के छः माह से कम आयु के बच्चों की भी रक्षा की जाती है। मुर्गों को खस्सी मुर्गों में नहीं बदला जाना चाहिये, छाल में छिपने वाले जीवों को नहीं जलाया जाना चाहिये और जंगलों को बेवजह या प्राणियों को मारने के लिये जलाया नहीं जाना चाहिये। एक पशु को दूसरा पशु नहीं खिलाया जाना चाहिये।"— पांचवे स्तंभ पर अशोक का आज्ञापत्र
 
• माया तिवारा लिखती हैं कि आयुर्वेद कुछ लोगों की मांस की छोटी मात्रा की अनुशंसा करता है, हालाँकि, “स्थानीय लोगों में प्रचलित पशुओं के शिकार और हत्या के नियम बहुत विशिष्ट एवं विस्तृत थे। अब जबकि शिकार व हत्या के ऐसे नियमों का पालन नहीं किया जाता, वे “किसी भी प्रकार के जानवर, यहाँ तक कि वात प्रकार के भी, के माँस की भोजन के रूप में” अनुशंसा नहीं करतीं।
 
• कभी-कभी एक ही जीवाणु में पक्षियों द्वारा अनुकूलित व मानवों द्वारा अनुकूलित जीन पाए जाते हैं। H2N2 और H3N2 दोनों ही महामारी नस्लों में एवियन फ्लू विषाणु के आरएनए (RNA) खण्ड उपस्थित थे। "एक ओर जबकि 1957 की महामारी के मानव एन्फ्लूएंज़ा विषाणु (H2N2) और 1968 के (H3N2) स्पष्ट रूप से मानवीय व पक्षियों के विषाणुओं के बीच पुनर्विन्यास के माध्यम से उत्पन्न हुए थे, वहीं ऐसा दिखाई देता है कि 1918 में ‘स्पैनिश फ्लू’ का कारण बनने वाला एन्फ्लूएंज़ा विषाणु पूर्णतः पक्षियों से संबंधित किसी स्रोत से व्युत्पन्न था (बेल्शे 2005) Belshe 2005)।"
 
• वेसान्टो मेलिना (Vesanto Melina), एक ब्रिटिश कोलम्बियाई पंजीकृत आहार-विशेषज्ञ और बिकमिंग वेजीटेरियन (Becoming Vegetarian) के लेखक, इस बात पर बल देते हैं कि शाकाहार और भोजन-संबंधी विकारों के बीच कोई कारण व प्रभाव संबंध नहीं है, हालाँकि जिन लोगों में भोजन-संबंधी विकार हों, वे स्वयं को शाकाहारी के रूप में चिन्हित कर सकते हैं, “ताकि उन्हें खाना न पड़े”।" वस्तुतः, शोध से यह देखा गया है कि शाकाहारी लोगों या वीगन एनोरेक्सिक से ग्रस्त लोगों (vegan anorexics) और ब्युलिमिया से ग्रस्त लोगों (bulimics) ने अपनी बीमारियों की शुरुआत हो जाने के बाद अपने आहार का चयन किया था। शाकाहार और शाकाहारवाद के भोजन के "प्रतिबंधित" पैटर्न अनेक उच्च-वसा वाले, सघन-ऊर्जा वाले खाद्य पदार्थों, जैसे मांस, अंडे, चीज़,… आदि को हटाए जाने को वैधता प्रदान कर सकते हैं। हालाँकि, एनोरेक्सिया (anorexia) या ब्युलिमिया नर्वोसा (bulimia nervosa) से ग्रस्त व्यक्तियों द्वारा चुना गया खाद्य-पैटर्न किसी स्वास्थ्यप्रद शाकाहारी खुराक से कहीं अधिक प्रतिबंधात्मक होता है, व उसमें फलियों, बीजों, रूचिराओं (avocados) को हटा दिया जाता है, तथा ग्रहण की जाने वाली कैलरी की सकल मात्रा को सीमित कर दिया जाता है।
 
== ध्वज ==
<Gallery>
File:Hindiflagofashokalawabolitionofmeat.jpg|Flag for the abolition of meat (Ashoka Law).
File:Flag.of.vegetarianism.ashoka.law.abolition.of.meat.jpg|Flag for the abolition of meat (Ashoka Law).
</Gallery>
 
== सन्दर्भ ==
{{Reflist|4}}
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
{{Wiktionary|vegetarian}}
{{Wikiquote}}
* [http://www.goveg.com/ शाकाहारी और शाकाहारी जानकारी]
* [http://www.happycow.net/becoming_vegetarian.html शाकाहारियों के लिए संसाधन/सहायता ]
* शैटेरिंग द मीट मिथ: कैथी फेस्टन द्वारा मनुष्य प्राकृतिक शाकाहारी हैं, द हफिंग्टन पोस्ट, 11 जून 2009
 
{{शाकाहार}}
{{एलिबैंड}}
 
{{लिंक GA|de}}
{{लिंक GA|eo}}
{{लिंक GA|lv}}
 
[[श्रेणी:जंतु अधिकार]]
[[श्रेणी:आहार]]
[[श्रेणी:नैतिक सिद्धांत]]
[[श्रेणी:इंटरनैशनल लिवींग]]
[[श्रेणी:शाकाहारीयता|*]]
[[श्रेणी:श्रेष्ठ लेख योग्य लेख]]
[[श्रेणी:गूगल परियोजना]]