"मालामाल वीकली (2006 फ़िल्म)": अवतरणों में अंतर

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== संक्षेप ==
यह कहानी है गरीबी की मार झेल रहें गांव लाहौली की। जिसके अधिकांश लोग ठकुरानी कर्मकली(सुधा चंद्रन) के क़र्ज़ और तानाशाही के तले दबे हुए है ।
गाँव के लोग अपना भाग्य बदलने के लिए हमेशा 'मालामाल लॉटरी 'खरीदते है ।
 
लीलाराम (परेश रावल) ही गाँव का एकमात्र शिक्षित व्यक्ति है। वो लॉटरी बेचता है।उसे लॉटरी विजेता से कमीशन भी प्राप्त होता है ।
 
एक दिन उसे समाचार से पता चलता है कि उसके द्वारा बेचे गए टिकटों में से ही किसी को पहला इनाम 1 करोड़ पड़ा है। वह उस लॉटरी के टिकट को पाने के लिए रणनीति बनाता है जिसके तहत वह एक दावत का आयोजन करता है। दावत के खर्च के लिए वह अपनी पत्नी के प्यारे बकरी के बच्चे को ठकुरानी के यहाँ गिरवी रख देता है।
 
दावत खाने के लिए लोगो को लाटरी के टिकट लाने को कहे जाते हैं ।
दावत खत्म होती है लेकिन इनाम घोषित लॉटरी का टिकट नहीं प्राप्त होता है । लीलाराम दुखी हो जाता है और उसके रेगुलर ग्राहक एंथोनी को खाना पहुचाने जाता है।
एंथोनी के घर पहुँच कर उसके पास लाटरी का टिकट पाता है और एंथोनी को मरा पता है । तभी
बल्लू (ओम पूरी) दूध लेकर वह पहुचता है और लीलाराम को कातिल समझता है । लीलाराम उसे पूरी बात बताता है और उसे अपने साथ मिला लेता है ।
 
== चरित्र ==
== मुख्य कलाकार ==