"खारवेल": अवतरणों में अंतर

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खारवेल जैन था। उसने और उसकी रानी ने जैन भिक्षुओं के निर्वाह के लिए व्यवस्था की और उनके आवास के लिए गुफाओं का निर्माण कराया। किंतु वह धर्म के विषय में संकुचित दृष्टिकोण का नहीं था। उसने अन्य सभी देवताओं के मंदिरों का पुनर्निर्माण कराया। वह सभी संप्रदायों का समान आदर करता था।
 
खारवेल का प्रजा के हित का सदैव ध्यान रहता था और उसके लिए वह व्यय की चिंता नहीं करता था। उसने नगर और गाँवों की प्रजा का प्रिय बनने के लिए उन्हें करमुक्त भी किया था। पहले नंदराज द्वारा बनवाई गई एक नहर की लंबाई उसने बढ़वाई थी। उसे स्वयं [[संगीत]] में अभिरुचि थी और जनता के मनोरंजन के लिये वह [[नृत्य]] और सगीत के समारोहों का भी आयोजन करता था। खारवेल को [[भवननिर्माण]] में भी रुचि थी। उसने एक भव्य 'महाविजय-प्रासाद' नामक राजभवन भी बनवाया था।
 
खारवेल के पश्चात्‌ चेदि राजवंश के संबंध में हमें कोई सुनिश्चित बात नहीं ज्ञात होती। संभवत: उसके उत्तराधिकारी उसके राज्य को स्थिर रखने में भी अयोग्य थे जिससे शीघ्र ही साम्राज्य का अंत हो गया।
 
=== पूर्वज ===
हाथीगुमफा के अभिलेखों के अनुसार खारवेल महामेघवाहन का वंशज था। <ref name="Bhagwan_1883">{{cite book |title=Proceedings of the Leyden International Oriental Congress for 1883 |url=https://books.google.com/books?id=womFcFAtU7MC&pg=PA144 |year=1885 |author=[[Bhagwanlal Indraji]] |chapter=The Hâtigumphâ and three other inscriptions in the Udayagiri caves near Cuttack |pages=144–180 }}</ref> किन्तु इसमें यह नहीं लिखा है कि खारवेल और महामेघवाहन में क्या सम्बन्ध था अथवा उन दोनों के बीच में कुल कितने राजा हुए।<ref name="Sailendra_1999"/> Bhagwan Lal interprets the inscription to come up with the following possible family tree:<ref name="Bhagwan_1883"/>
 
ललक
खेमराज |
(उपाख्य क्षेमराज) अज्ञात
│ │
वुधराज हस्तिसह
(या, वृद्धराज) (या, हस्तिसिंह)
│ │
│ │
कारवेल |
(या, भिकु / भिक्षुराज )──────┼───────पुत्री
वक्रदेव
(या, कुदेपसिरि)
वदुख
(या, बदुख)
 
==इन्हें भी देखें==