"सुभाष घई": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
मनीष वशिष्ठ (वार्ता | योगदान) |
कविता मेघ को जोडा गया। |
||
पंक्ति 72:
|-
|}
== कविता: मेघ ==
तू मेघ निराला-आकर्षक,रंगों को भरकर लाया है।
तू गीत बना, तू नृत्य बना, तू जन-मानस पर छाया है॥
== नामांकन और पुरस्कार==
== संदर्भ ==
|