"सुभाष घई": अवतरणों में अंतर

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== कविता: मेघ ==
तू मेघ निराला-आकर्षक, रंगों को भरकर लाया है।
 
तू गीत बना, तू नृत्य बना, तू जन-मानस पर छाया है॥