"एन आर नारायणमूर्ति": अवतरणों में अंतर
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==व्यावसायिक जीवन==
अपने कार्यजीवन का आरंभ नारायणमूर्ति ने पाटनी कम्प्यूटर सिस्टम्स (PCS), पुणे से किया
नारायणमूर्ति आर्थिक स्थिति सुदृढ़ न होने के कारऩ इंजीनियरिंग की पढ़ाई का खर्च उठाने में असमर्थ थे। उनके उन दिनों के सबसे प्रिय शिक्षक मैसूर विशवविद्यालय के डॉ. कृष्णमूर्ति ने नारायण मूर्ति की प्रतिभा को पहचान कर उनको हर तरह से मदद की। बाद में आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो जाने पर नारायणमूर्ति ने डॉ. कृष्णमूर्ति के नाम पर एक छात्रवृत्ति प्रारंभ कर के इस कर्ज़ को चुकाया। नारायणमूर्ति ने अपने दोस्त शशिकांत शर्मा और प्रोफेसर कृष्णय्या के साथ १९७५ में पुणे में सिस्टम रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना की थी। १९८१ में उन्होंने अपने ६ साथियों के साथ मिलकर अपनी खुद की कंपनी की स्थापना की थी। १९९० तक आते आते यह कंपनी पूरी तरह बंद हो गई लेकिन मूर्ति ने हार नहीं मानी। उनके दोस्तों ने भी उन पर पूरा भरोसा किया और आज वे वे अनेक लोगों के आदर्श हैं। चेन्नई के एक कारोबारी पट्टाभिरमण कहते हैं कि उन्होंने जो भी कुछ कमाया है वह मूर्ति की कंपनी इंफोसिस के शेयरों की बदौलत और उन्होंने अपनी सारी कमाई इंफोसिस को ही दान कर दी है। पट्टाभिरमण और उनकी पत्नी नारायणमूर्ति को भगवान की तरह पूजते हैं और उन्होंने अपने घर में मूर्ति का फोटो भी लगा रखा है।<ref>[http://lyrics.mywebdunia.com/2008/09/08/1220861696036.html माई वेब दुनिया]</ref> उन्हें [[पद्म श्री]], [[पद्म विभूषण]] और ऑफीसर ऑफ द लेजियन ऑफ ऑनर- फ्रांस सरकार<ref name="legion">{{cite web|url=http://publication.samachar.com/pub_article.php?id=1169187&navname=General%20&moreurl=http://publication.samachar.com/timesofindia/general/india.php&homeurl=http://www.samachar.com|author=|title=Naryanamurthy receive highest civilian honour of France|work=|accessdate=2008-01-26|publisher=The Times of India}}</ref> के सम्मानों से अलंकृत किया जा चुका है।
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