"भारत में बैंकिंग": अवतरणों में अंतर

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[[भारत]] में आधुनिक [[बैंकिंग]] सेवाओं का इतिहास दो सौ वर्ष पुराना है।
 
भारत के आधुनिक बैंकिंग की शुरुआत [[ब्रिटिश राज]] में में हुई। १९वीं शताब्दी के आरंभ में [[ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी]] ने ३ बैंकों की शुरुआत की - [[बैंक ऑफ बंगाल]] १८०९ में, [[बैंक ऑफ बॉम्बे]] १८४० में और [[बैंक ऑफ मद्रास]] १८४३ में। लेकिन बाद में इन तीनों बैंको का विलय एक नये बैंक 'इंपीरियल बैंक' में कर दिया गया जिसे सन १९५५ में '[[भारतीय स्टेट बैंक]]' में विलय कर दिया गया। [[इलाहाबाद बैंक]] भारत का पहला निजी बैंक था। [[भारतीय रिजर्व बैंक]] सन १९३५ में स्थापित किया गया था और बाद में [[पंजाब नेशनल बैंक]], [[बैंक ऑफ़ इंडिया]], [[केनरा बैंक]] और [[इंडियन बैंक]] स्थापित हुए।
 
प्रारम्भ में बैंकों की शाखायें और उनका कारोबार वाणिज्यिक केन्द्रों तक ही सीमित होती थी। बैंक अपनी सेवायें केवल वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों को ही उपलब्ध कराते थे। स्वतन्त्रता से पूर्व देश के केन्द्रीय बैंक के रूप में [[भारतीय रिजर्व बैंक]] ही सक्रिय था। जबकि सबसे प्रमुख बैंक [[इम्पीरियल बैंक ऑफ इण्डिया]] था। उस समय भारत में तीन तरह के बैंक कार्यरत थे - भारतीय अनुसूचित बैंक, गैर अनुसूचित बैंक और विदेशी अनुसूचित बैंक।