"आल्चीना": अवतरणों में अंतर
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''आल्चीना'' जॉर्ज फ़्राईडरिक हेन्डल द्वारा रचित एक एक ओपेरा सेरीआ है। हेन्डल ने अपनी रचना में [[रिकार्डो ब्रोशी]] द्वारा रचित तथा 1728 में रोम में प्रदर्शित ओपेरा ''ल इसोला दि आल्चीना'' ({{lang-it|link="no"|L'isola di Alcina}}) के [[लिब्रेटो]] का प्रयोग किया था, जो उन्हें उनके [[इटली]] प्रवास के दौरान प्राप्त हुआ था।<ref name="operas">Dean, Winton (2006).''Handel's Operas, 1726-1741'', p. 315. Boydell Press, Woodbridge. ISBN 1-84383-268-2.</ref><ref>
== ओपेरा के पात्र ==
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=== आमुख ===
इस ओपेरा का कथानक ''ओर्लाण्डो फ्यूरियोसो'' नामक कविता पर आधारित है। वीर योद्धा रुजीयेरो कि नियति में एक छोटा लेकिन गौरवशाली जीवन लिखा है और इसलिए एक उदार जादूगर सदा उसे उसकी मंगेतर ब्रादामान्टे से दूर ले जाने की कोशिश करता रहता है। ब्रादामान्टे चुप न बैठ कर खुद ही अपने मंगेतर की खोज में निकल पड़ती है। ओपेरा के प्रारंभ से ठीक पहले ही वह रुजीयेरो को एक जादुई किले से बचाती है, लेकिन किले से बाहर आते ही उसका उड़न-घोड़ा रुजीयेरो को लेकर उड़ जाता है और समुद्र के बीच एक टापू पर उतरता है। जैसे ही उड़न-घोड़ा एक झाड़ी को खाना शुरू करता है, रुजीयेरो उस झाड़ी को बोलता सुन कर चकित रह जाता है। वह झाड़ी उसे बताती है
=== प्रथम अंक ===
फ़िर से अपने प्रेमी की तलाश करते हुए ब्रादामान्टे रुजीयेरो के पूर्व शिक्षक मेलीसो के साथ आल्चीना के टापू पर पहुँचती है। कवच धारण कर ब्रादामान्टे एक पुरुष की तरह दिख़ती है और अपने ही भाई रिचीआर्डो होने का अभिनय करती है। उसके और मेलीसो के पास एक जादुई अंगूठी होती है जिसका प्रयोग कर के वे दोनों आल्चीना के मायजाल को तोड़ कर उसके बँधकों को छुड़ाने की योजना बनाते हैं। [[चित्र:Niccolò dell' Abbate 001.jpg|thumb|आल्चीना का रुजीयेरो से मिलना <br /> [[निकोलो देल'आब्बाटे]], ल. 1550 ]]
टापू पर उनकी मुलाकात सबसे पहले जादूगरनी मोर्गाना से होती है। मानवीय भावनाओं और सच्चे प्रेम की समझ से रहित मोर्गाना रुपवान 'रिचीआर्डो' को देखते ही उस पर मोहित हो जाती है और अपने प्रेमी ओरोंटे का परित्याग कर देती है। मोर्गाना नये आगंतुकों को आल्चीना के दरबार में ले जाती है, जहाँ ब्रादामान्टे यह देखकर निराश हो जाती है कि रुजीयेरो पूरी तरह से आल्चीना के मोहपाश में बँध कर अपने पूर्व जीवन के बारे में सब कुछ भूल चुका है।
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=== द्वितीय अंक ===
रुजीयेरो को आल्चीना के जादू से मुक्त करने के लिये मेलिसो उसे अपनी जादुई अंगूठी पहनाता है। अंगूठी के प्रभाव से रुज़ियेरो टापू पर फ़ैले आल्चीना के मायाजाल से मुक्त हो जाता है और टापू को उसके असली रूप - दैत्यों से भरे मरुस्थल - में देख पाता है। स्तंभित रुजीयेरो समझ जाता है कि उसे ज़ल्दी ही तापू को छोड़ना होगा और वह प्रसिद्ध भाव-गान '' वेर्दी प्राटी'' ({{lang-it|link=no|Verdi Prati}}) गाता है, जिसमें वह स्वीकर करता है कि वह जीवन भर आल्चीना और उसके टापू की मोहक सुन्दरता को भूल नहीं पायेगा, यह जानने के बाद भी यह सुन्दरता केवल एक मायावी भ्रम थी।
मेलीसो रुजीयेरो को सावधान करता है कि आल्चीना जैसी विकट जादूगरनी के टापू से बहर निकलना आसान नहीं होगा और उससे छल से काम लेने के लिये कहता है। वह रुजीयेरो को यह सुझाव देता है कि वह आल्चीना से शिकार पर जाने की अनुमति ले कर अपनी टापू को छोड़ने की योजना को छुपाए। रुजीयेरो यह सुझाव मान लेता है, परंतु वह अब तक आल्चीना के मायाजाल से इतना हताश हो चुका होता है कि जब ब्रादामान्टे अपने असली रूप में उसके सामने आती है तो वह उसे भी आल्चीना द्वारा रचित एक और मरीचिका समझ कर उसे ब्रादामान्टे मानने से मना कर देता है। रुजीयेरो की उपेक्षा से आल्चीना और ब्रादामान्टे दोनों ही निराश हो जाती हैं। रुजीयेरो को अपने प्रेम का प्रमाण देने के लिये आल्चीना वहाँ प्रकट हो कर रिचीआर्डो को पशु-रुप में बदल देने के लिये उद्यत हो जाती है। रिचीआर्डो को इस गंभीर संकट में देख रुजीयेरो शीघ्रता से अपनी भावनाओं पर नियंत्रण करता है और आल्चीना को विश्वास दिलाता है कि उसे आल्चीना के प्रेम के किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं है। इस बिंदु पर दर्शकों को पता चलता है कि आल्चीना वास्तव में रुजीयेरो से प्रेम करती है।
इधर ओरोन्टे को शक हो जाता है कि रिचीआर्डो, मेलिसो और रुगीयेरो मिलकर कोई योजना बना रहे हैं और मोर्गाना और आल्चीना को भी आभास हो जाता है कि उनके साथ छल किय जा रहा है। पर अब तक बहुत देर हो चुकी होती है : आल्चीना की शक्ति का स्रोत छल और भ्रान्ति है और उसके जीवन में सच्चे प्रेम के आते ही उसकी माया कमज़ोर होने लगती है। इस अंक के अंत में आल्चीना दुष्टात्माओं का आवाह्न कर रुजीयेरो को रोकने की कोशिश करती है, पर रुजीयेरो के प्रति उसके सच्चे प्रेम के कारण उसकी मायावी शक्तियाँ निष्फल हो जाती हैं।
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