"सरल यंत्र": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:सरल मशीने.jpg|right | thumb | 250px| कुछ प्रमुख सरल यंत्र]]
[[भौतिकी]] में '''सरल यंत्र''' या '''सरल मशीन''' (simple machine) उन सभी युक्तियों को कहते हैं जिनको चलाने के लिये केवल एक ही [[बल]] का प्रयोग करना होता है। जब इस पर बल लगाया जाता है तो [[यांत्रिक कार्य]] होता है तथा एक नियत दूरी तक किसी पिण्ड का विस्थापन होता है। कोई कार्य करने के लिये (जैसे किसी पिण्ड को १ मीटर उपरऊपर उठाने के लिये) आवश्यक कार्य की मात्रा नियत होती है परन्तु इस कार्य के लिये आवश्यक बल की मात्रा कम की जा सकती है यदि यह अल्पतर बल अधिक दूरी तक लगाया जाय; अर्थात समान कार्य करने हेतु दो विकल्प हैं-
* कम बल, अधिक दूरी तक लगायें, या
* अधिक बल, कम दूरी तक लगायें।
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== विश्लेषण ==
यद्यपि हरेक सरल मशीन के काम करने का तरीका अलग-अलग है, किन्तु गणितीय दृष्टि से उनका काम करने का तरीका एक ही है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि हर मशीन में कोई [[बल]] <math>F_{in}</math>, मशीन के किसी स्थान पर लगाया जाता है और यह मशीन किसी अन्य स्थान पर <math>F_{out}</math>, बल उत्पन्न करते हुए कोई कार्य करती है। [[घिरनी]] आदि कुछ मशीने केवल बल की दिशा में परिवर्तन करने की सुविधा प्रदान करती हैं किन्तु अन्य मशीने लगाये गये बल के परिमाण को किसी गुणांक से बढ़ाने/घटाने का कार्य करती हैं। इसी गुणांक को ''[[यांत्रिक लाभ]]'' भी कहा जाता है जो मशीन की ज्यामिति से निर्धारित होता है।
 
सरल मशीनों में उर्जा का स्रोत नहीं होता इसलिये वे आरोपित बल द्वारा किये गये कार्य से अधिक कार्य नहीं कर सकतीं। यदि मशीन के कलपुर्जों में लगले वाले [[घर्षण]] बल को नगण्य माने तो मशीन द्वारा लोड पर किया गया कार्य, मशीन पर किये गये कार्य के बराबर होगी। चूंकि कार्य, बल और दूरी के गुणनफल के बराबर होता है,