"समस्तीपुर": अवतरणों में अंतर

टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
ऑटोमेटिक वर्तनी सु, replaced: मे → में , → (7)
पंक्ति 15:
 
== नामाकरण ==
समस्तीपुर का परंपरागत नाम सरैसा है। इसका वर्तमान नाम मध्य काल में बंगाल एवं उत्तरी बिहार के शासक हाजी शम्सुद्दीन इलियास ((१३४५-१३५८ ईस्वी) के नाम पर पड़ा है। कुछ लोगों का मानना है कि इसका प्राचीन नाम सोमवती था जो बदलकर सोम वस्तीपुर फिर समवस्तीपुर और समस्तीपुर हो गया।
== इतिहास ==
समस्तीपुर राजा [[जनक]] के [[मिथिला]] प्रदेश का अंग रहा है। विदेह राज्य का अंत होने पर यह [[वैशाली]] गणराज्य का अंग बना। इसके पश्चात यह [[मगध]] के [[मौर्य]], [[शुंग]], [[कण्व]] और [[गुप्त]] शासकों के महान साम्राज्य का हिस्सा रहा। [[ह्वेनसांग]] के विवरणों से यह पता चलता है कि यह प्रदेश [[हर्षवर्धन]] के साम्राज्य के अंतर्गत था। १३ वीं सदी में पश्चिम [[बंगाल]] के मुसलमान शासक [[हाजी शम्सुद्दीन इलियास]] के समय [[मिथिला]] एवं [[तिरहुत]] क्षेत्रों का बँटवारा हो गया। उत्तरी भाग सुगौना के ओईनवार राजा (1325-1525 ईस्वी) के कब्जे में था जबकि दक्षिणी एवं पश्चिमी भाग शम्सुद्दीन इलियास के अधीन रहा। समस्तीपुर का नाम भी हाजी शम्सुद्दीन के नाम पर पड़ा है। शायद [[हिंदू]] और [[मुसलमान]] शासकों के बीच बँटा होने के कारण ही आज समस्तीपुर का सांप्रदायिक चरित्र समरसतापूर्ण है। [[ओईनवार]] राजाओं को कला, संस्कृति और साहित्य का बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है। शिवसिंह के पिता देवसिंह ने लहेरियासराय के पास देवकुली की स्थापना की थी। शिवसिंह के बाद यहाँ पद्मसिंह, हरिसिंह, नरसिंहदेव, धीरसिंह, भैरवसिंह, रामभद्र, लक्ष्मीनाथ, कामसनारायण राजा हुए। शिवसिंह तथा भैरवसिंह द्वारा जारी किए गए सोने एवं चाँदी के सिक्के यहाँ के इतिहास ज्ञान का अच्छा स्रोत है। अंग्रेजी राज कायम होने पर सन १८६५ में [[तिरहुत]] मंडल के अधीन समस्तीपुर अनुमंडल बनाया गया। [[बिहार]] राज्य जिला पुनर्गठन आयोग के रिपोर्ट के आधार पर इसे [[दरभंगा]] प्रमंडल के अंतर्गत १४ नवम्बर १९७२ को जिला बना दिया गया। अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध हुए स्वतंत्रता आंदोलन में समस्तीपुर के क्रांतिकारियों ने महती भूमिका निभायी थी। यहाँ से [[कर्पूरी ठाकुर]] बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं।
 
== भूगोल ==
समस्तीपुर २५.९० उत्तरी अक्षांश एवं ८६.०८ पूर्वी देशांतर पर अवस्थित है। सारा जिला उपजाऊ मैदानी क्षेत्र है किंतु हिमालय से निकलकर बहनेवाली नदियाँ बरसात के दिनों में बाढ़ लाती है।
* नदियाँ: समस्तीपुर जिले के मध्य से [[बुढी गंडक]] नदी, उत्तर में [[बागमती]] नदी एवं दक्षिणी तट पर [[गंगा]] बहती है। इसके अलावा यहाँ से बाया, जमुआरी, नून, करेह और शान्ति नदी भी बहती है जो बरसात के दिनों में उग्र रूप धारण कर लेती है।
* प्रशासनिक विभाजन: यह जिला ४ तहसीलो (अनुमंडल), २० प्रखंडों, ३८० पंचायतों तथा १२४८ गाँवों में बँटा है। <br />
 
'''अनुमंडल'''- [[दलसिंह सराय]], [[पटोरी (समस्तीपुर)|शाहपुर पटोरी]], [[रोसड़ा (समस्तीपुर)|रोसड़ा]], [[समस्तीपुर|समस्तीपुर सदर]]<br />
* प्रशासनिक विभाजन: यह जिला ४ तहसीलो (अनुमंडल), २० प्रखंडों, ३८० पंचायतों तथा १२४८ गाँवों में बँटा है। <br />
'''अनुमंडल'''- [[दलसिंह सराय]], [[पटोरी (समस्तीपुर)|शाहपुर पटोरी]], [[रोसड़ा (समस्तीपुर)|रोसड़ा]], [[समस्तीपुर|समस्तीपुर सदर]]<br />
'''प्रखंड'''- दलसिंहसराय, उजियारपुर, विद्यापतिनगर, पटोरी, मोहनपुर, मोईनुद्दीननगर, रोषड़ा, हसनपुर, बिथान, सिंघिया, विभूतीपुर, शिवाजीनगर, समस्तीपुर, कल्यानपुर, वारिसनगर, खानपुर, पूसा, ताजपुर, मोरवा, सरायरंजन
 
Line 40 ⟶ 39:
 
== शिक्षा ==
राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त [[राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय]]<ref>[http://www.pusavarsity.org.in राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय जालपृष्ठ]</ref> समस्तीपुर जिले में पूसा नामक स्थान पर है, इसके आलावा कोई अन्य उच्च स्तरीय तकनीकी शिक्षा संस्थान यहाँ नहीं है। प्राथमिक शिक्षा की स्थिति संतोषजनक है। २००१ की जनगणना के अनुसार जिले मेमें साक्षरता दर<ref> [http://gov.bih.nic.in/Profile/CensusStats-03.htm बिहार मे साक्षरता दर]</ref> ४५.६७% (पुरुष: ५७.८३, स्त्री: ३२.६९) है। समस्तीपुर तथा पूसा में केन्द्रीय विद्यालय तथा बेरौली में [[जवाहर नवोदय विद्यालय]] स्थित है। ललित नारायनण मिथिला विश्वविद्यालय दरभन्गा के अंतर्गत जिले में निम्नलिखित अंगीभूत डिग्री महाविद्यालय हैं:
* आचार्य नरेन्द्रदेव महाविद्यालय शाहपुर पटोरी
* बलिराम भगत महाविद्यालय समस्तीपुरज
Line 58 ⟶ 57:
 
* '''विद्यापतिनगर''': शिव के अनन्य भक्त एवं महान मैथिल कवि [[विद्यापति]] ने यहाँ [[गंगा]] तट पर अपने जीवन के अंतिम दिन बिताए थे। ऐसी मान्यता है कि अपनी बिमारी के कारण विद्यापति जब गंगातट जाने में असमर्थ थे तो [[गंगा]] ने अपनी धारा बदल ली और उनके आश्रम के पास से बहने लगी। वह आश्रम लोगों की श्रद्धा का केंद्र है।
* '''धोली महादेव मंदिर''': धोली महादेव मंदिर, ग्राम हरिहरपुर खेढ़ी, प्रखंड खानपुर, जिला समस्तीपुर, बिहार। यह बाबा का स्थान समस्तीपुर से २० किलोमीटर दूर स्थित हैं यहाँ के पास मैं मसिना कोठी हैं जो अंग्रेज के समय का कोठी हैं यहाँ पर उस समय मैं नील की खेती करवाते थे लेकिन देश आजाद होने के बाद यहाँ पर अब मक्के की खेती एवं अन्य फसल का अनुसन्धान केंद्र बन गया हैं यहाँ के द्वारा तैयार किया हुआ बीज दूर दूर तक पहुचाया जाता हैं। इसके निकट के गाँव भोरेजयराम हैं जिसकी खेती करने का जमीन २२ सो एकर के आस पास हैं जहा मक्के की खेती की जाती है। यह स्थान बूढी गंडक नदी के किनारे स्थित हैं
 
* '''करियनः''' महामहिषी कुमारिलभट्ट के शिष्य महान दार्शनिक उदयनाचार्य का जन्म ९८४ ईस्वी में शिवाजीनगर प्रखंड के करियन गाँव में हुआ था। उदयनाचार्य ने न्याय, दर्शन एवं तर्क के क्षेत्र में लक्षमणमाला, न्यायकुशमांजिली, आत्मतत्वविवेक, किरणावली आदि पुस्तकें लिखी जिनपर अनगिनत संस्थानों में शोध चल रहा है। दुर्भाग्य से यह महत्वपूर्ण स्थल सरकार की उपेक्षा का शिकार है।<ref> [http://in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4_4_5447251_1.html] उदयनाचार्य की जन्मभूमि पर जागरण समाचार </ref>
* '''धोली महादेव मंदिर''': धोली महादेव मंदिर, ग्राम हरिहरपुर खेढ़ी, प्रखंड खानपुर, जिला समस्तीपुर, बिहार। यह बाबा का स्थान समस्तीपुर से २० किलोमीटर दूर स्थित हैं यहाँ के पास मैं मसिना कोठी हैं जो अंग्रेज के समय का कोठी हैं यहाँ पर उस समय मैं नील की खेती करवाते थे लेकिन देश आजाद होने के बाद यहाँ पर अब मक्के की खेती एवं अन्य फसल का अनुसन्धान केंद्र बन गया हैं यहाँ के द्वारा तैयार किया हुआ बीज दूर दूर तक पहुचाया जाता हैं। इसके निकट के गाँव भोरेजयराम हैं जिसकी खेती करने का जमीन २२ सो एकर के आस पास हैं जहा मक्के की खेती की जाती है। यह स्थान बूढी गंडक नदी के किनारे स्थित हैं
 
* '''करियनः''' महामहिषी कुमारिलभट्ट के शिष्य महान दार्शनिक उदयनाचार्य का जन्म ९८४ ईस्वी में शिवाजीनगर प्रखंड के करियन गाँव में हुआ था। उदयनाचार्य ने न्याय, दर्शन एवं तर्क के क्षेत्र में लक्षमणमाला, न्यायकुशमांजिली, आत्मतत्वविवेक, किरणावली आदि पुस्तकें लिखी जिनपर अनगिनत संस्थानों में शोध चल रहा है। दुर्भाग्य से यह महत्वपूर्ण स्थल सरकार की उपेक्षा का शिकार है।<ref> [http://in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4_4_5447251_1.html] उदयनाचार्य की जन्मभूमि पर जागरण समाचार </ref>
 
* '''मालीनगर:''' यहाँ १८४४ में बना शिवमंदिर है जहाँ प्रत्येक वर्ष रामनवमी को मेला लगता है। मालीनगर [[हिंदी साहित्य]] के महान साहित्यकार [[बाबू देवकी नन्दन खत्री]] एवं शिक्षाविद राम सूरत ठाकुर की जन्म स्थली भी है।<ref>[http://en.wikipedia.org/wiki/Samastipur] अंग्रेजी विकिपीडिया पर समस्तीपुर</ref>
 
* '''मंगलगढ:''' यह स्थान हसनपुर से १४ किलोमीटर दूर है जहाँ प्राचीन किले का अवशेष है। यहाँ के स्थानीय शासक मंगलदेव के निमंत्रण पर [[महात्मा बुद्ध]] संघ प्रचार के लिए आए थे। उन्होंने यहाँ रात्रि विश्राम भी किया था। जिस स्थान पर बुद्ध ने अपना उपदेश दिया था वह बुद्धपुरा कहलाता था जो अब अपभ्रंश होकर दूधपुरा हो गया है।
 
* '''जगेश्वरस्थान''' (बिभूतिपुर): नरहन रेलवे स्टेशन से १५ किलोमीटर की दूरी पर बिभूतिपुर में जगेश्वरीदेवी का बनवाया शिव मंदिर है। अंग्रेजों के समय का नरहन एक रजवाड़ा था जिसका भव्य महल बिभूतिपुर में मौजूद है। जगेश्वरी देवी नरहन स्टेट के वैद्य भाव मिश्र की बेटी थी।
 
* '''मोरवा अंचल''' में कुंदनेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना एक मुस्लिम द्वारा यहाँ शिवलिंग मिलने पर की गयी थी। मंदिर के साथ ही महिला मुस्लिम संत की मजार हिंदू और मुस्लिम द्वारा एक साथ पूजित है
 
* '''मुसरीघरारी:''' [[राष्ट्रीय राजमार्ग 28]] पर स्थित यह एक कस्बा है जहाँ का मुहरर्म तथा दुर्गा पूजा का भव्य आयोजन होता है।
* singhia hanuman mandir
 
* '''संत दरियासाहेब का आश्रम:''' बिहार के सूफी संत दरिया साहेब का आश्रम जिले के दक्षिणी सीमा पर गंगा तट पर बसा गाँव धमौन में बना है। यहाँ निरंजन स्वामी का मंदिर भी है।
 
* '''थानेश्वर शिवमंदिर''', खाटू-श्याम मंदिर एवं कालीपीठ समस्तीपुर जिला मुख्यालय का महत्वपूर्ण पूजा स्थल है।
''' धोवगामा"मॉ सती का मंदिर 500साल पुराना मंदिर