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'''दार्जिलिंग''' [[भारत]] के राज्य [[पश्चिम बंगाल]] का एक [[नगर]] है। यह नगर [[दार्जिलिंग जिला|दार्जिलिंग जिले]] का मुख्यालय है। यह नगर [[शिवालिक]] पर्वतमाला में लघु हिमालय में अवस्थित है। यहां की औसत ऊँचाई २,१३४ मीटर (६,९८२ फुट) है।
दार्जिलिंग शब्द की उत्त्पत्ति दो [[तिब्बती भाषा|तिब्बती]] शब्दों, दोर्जे (बज्र) और लिंग (स्थान) से हुई है। इस का अर्थ "बज्रका स्थान है।"<ref name=name>{{cite web
| publisher=Neptune Tours & Travels | url=http://www.exploreindiatours.com/eastern-himalayas.htm | title=Eastern Himalayas DARJEELING : The Queen of Hills | accessdate=2006-05-01
}}</ref> भारत में [[ब्रिटिश राज]] के दौरान दार्जिलिंग की समशीतोष्ण जलवायु के कारण से इस जगह को [[पर्वतीय स्थल]] बनाया गया था। ब्रिटिश निवासी यहां गर्मी के मौसम में गर्मी से छुटकारा पाने के लिए आते थे।
दार्जिलिंग अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर यहां की [[दार्जिलिंग चाय]] के लिए प्रसिद्ध है। दार्जिलिंग की [[दार्जिलिंग हिमालयी रेल|
|url = http://www.deccanherald.com/deccanherald/jun172005/living1150492005616.asp |title = Champagne among teas |work = डेक्कन हेराल्ड |publisher = The Printers (Mysore) Private Ltd. |date = 17 जून 2005 |accessdate =2006-07-18 }}</ref> दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे जो कि दार्जिलिंग नगर को समथर स्थल से जोड़ता है, को १९९९ में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। यह वाष्प से संचालित यन्त्र भारत में बहुत ही कम देखने को मिलता है।
दार्जिलिंग में ब्रिटिश शैली के निजी विद्यालय भी है, जो भारत और नेपाल से बहुत से विद्यार्थियों को आकर्षित करते हैं। सन १९८० की [[गोरखालैंड]] राज्य की मांग इस शहर और इस के नजदीक का [[कालिम्पोंग]] के शहर से शुरु हुई थी। अभी राज्य की यह मांग एक स्वायत्त पर्वतीय परिषद के गठन के परिणामस्वरूप कुछ कम हुई है। हाल की दिनों
== परिचय ==
[[चित्र:Darjeeling St. Andrew's Church.jpg|thumb|250px|St. Andrew's Church, Darjeeling. Built- 1843, Rebuilt- 1873]]
इस स्थान की खोज उस समय हुई जब आंग्ल-नेपाल युद्ध के दौरान एक ब्रिटिश सैनिक टुकड़ी सिक्किम जाने के लिए छोटा रास्ता तलाश रही थी। इस रास्ते से सिक्िकम तक आसान पहुंच के कारण यह स्थान ब्रिटिशों के लिए रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण था। इसके अलावा यह स्थान प्राकृतिक रूप से भी काफी संपन्न था। यहां का ठण्डा वातावरण तथा बर्फबारी अंग्रेजों के मुफीद थी। इस कारण ब्रिटिश लोग यहां धीरे-धीरे बसने लगे।
प्रारंभ में दार्जिलिंग सिक्किम का एक भाग था। बाद में भूटान ने इस पर कब्जा कर लिया। लेकिन कुछ समय बाद सिक्किम ने इस पर पुन: कब्जा कर लिया। परंतु 18वीं शताब्दी में पुन: इसे नेपाल के हाथों गवां दिया। किन्तु नेपाल भी इस पर ज्यादा समय तक अधिकार नहीं रख पाया। 1817 ई. में हुए आंग्ल-नेपाल में हार के बाद नेपाल को इसे ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंपना पड़ा।
अपने रणनीतिक महत्व तथा तत्कालीन राजनीतिक स्थिति के कारण 1840 तथा 50 के दशक में दार्जिलिंग एक युद्ध स्थल के रूप में परिणत हो गया था। उस समय यह जगह विभिन्न देशों के शक्ित प्रदर्शन का स्थल बन चुका था। पहले तिब्बत के लोग यहां आए। उसके बाद यूरोपियन लोग आए। इसके बाद रुसी लोग यहां बसे। इन सबको अफगानिस्तान के अमीर ने यहां से भगाया। यह राजनीतिक अस्थिरता तभी समाप्त हुई जब अफगानिस्तान का अमीर अंगेजों से हुए युद्ध में हार गया। इसके बाद से इस पर अंग्रेजों का कब्जा था। बाद में यह जापानियों, कुमितांग तथा सुभाषचंद्र बोस की इंडियन नेशनल आर्मी की भी कर्मस्थली बना। स्वतंत्रता के बाद ल्हासा से भागे हुए बौद्ध भिक्षु यहां आकर बस गए।
वर्तमान में दार्जिलिंग पश्िचम बंगाल का एक भाग है। यह शहर 3149 वर्ग किलोमीटर में क्षेत्र में फैला हुआ है। यह शहर त्रिभुजाकर है। इसका उत्तरी भाग नेपाल और सिक्किम से सटा हुआ है।
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== मुख्य आकर्षण ==
यह शहर पहाड़ की चोटी पर स्थित है। यहां सड़कों का जाल बिछा हुआ है। ये सड़के एक दूसरे से जुड़े हुए
=== सक्या मठ ===
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=== ड्रुग-थुब्तन-साङ्गग-छोस्लिंग-मठ ===
11वें ग्यल्वाङ ड्रुगछेन तन्जीन ख्येन्-रब गेलेगस् वाङ्गपो की मृत्यु 1960 ई. में हो गई थी। इन्हीं के याद में इस मठ की स्थापना 1971 ई. में की गई थी। इस मठ की बनावट तिब्बतियन शैली में की गई थी। बाद में इस मठ की पुनर्स्थापना 1993 ई. में की गई। इसका अनावरण दलाई लामा ने किया था।
=== माकडोग मठ ===
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=== जापानी मंदिर (पीस पैगोडा) ===
विश्व में शांति लाने के लिए इस स्तूप की स्थापना फूजी गुरु जो कि महात्मा गांधी के मित्र थे ने की थी। भारत में कुल छ: शांति स्तूप हैं। निप्पोजन मायोजी बौद्ध मंदिर जो कि दार्जिलिंग में है भी इनमें से एक है। इस मंदिर का निर्माण कार्य 1972 ई. में शुरु हुआ था। यह मंदिर 1 नवम्बर 1992 ई. को आम लोगों के लिए खोला गया। इस मंदिर से पूरे दार्जिलिंग और कंचनजंघा श्रेणी का अति सुंदर नजारा दिखता है।
=== टाइगर हिल ===
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=== घूम मठ (गेलुगस्) ===
टाइगर हिल के निकट ईगा चोइलिंग तिब्बतियन मठ है। यह मठ गेलुगस् संप्रदाय से संबंधित है। इस मठ को ही घूम मठ के नाम से जाना जाता है। इतिहासकारों के अनुसार इस मठ की स्थापना धार्मिक कार्यो के लिए नहीं बल्कि राजनीतिक बैठकों के लिए की गई थी।
इस मठ की स्थापना 1850 ई. में एक मंगोलियन भिक्षु लामा शेरपा याल्तसू द्वारा की गई थी। याल्तसू अपने धार्मिक इच्छाओं की पूर्त्ति के लिए 1820 ई. के करीब भारत में आए थे। इस मठ में 1918 ई. में बुद्ध की 15 फीट ऊंची मूर्त्ति स्थापित की गई थी। उस समय इस मूर्त्ति को बनाने पर 25000 रु. का खर्च आया था। यह मूर्त्ति एक कीमती पत्थर का बना हुआ है और इसपर सोने की कलई की गई है। इस मठ में बहुमूल्य ग्रंथों का संग्रह भी है। ये ग्रंथ संस्कृत से तिब्बतीयन भाषा में अनुवादित हैं। इन ग्रंथों में कालीदास की मेघदूत भी शामिल है। हिल कार्ट रोड के निकट समतेन चोलिंग द्वारा स्थापित एक और जेलूग्पा मठ है।
समय: सभी दिन खुला। मठ के बाहर फोटोग्राफी की अनुमति है।
=== भूटिया-बस्ती-मठ ===
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यहां का मखाला मंदिर काफी आकर्षक है। यह मंदिर उसी जगह स्थापित है जहां भूटिया-बस्ती-मठ प्रारंभ में बना था। इस मंदिर को भी अवश्य घूमना चाहिए।
समय: सभी दिन खुला। केवल मठ के बाहर फोटोग्राफी की अनुमति है।
=== तेंजिंगस लेगेसी ===
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इस वानस्पतिक उद्यान के निकट ही नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम है। इस म्यूजियम की स्थापना 1903 ई. में की गई थी। यहां चिडि़यों, सरीसृप, जंतुओं तथा कीट-पतंगो के विभिन्न किस्मों को संरक्षति अवस्था में रखा गया है।
समय: सुबह 10 बजे से शाम 4: 30 बजे तक। बृहस्पतिवार बंद।
=== तिब्बतियन रिफ्यूजी कैंप ===
तिब्बतियन रिफ्यूजी स्वयं सहयता केंद्र (टेली: 0354-2252552) चौरास्ता से 45 मिनट की पैदल दूरी पर स्थित है। इस कैंप की स्थापना 1959 ई. में की गई थी। इससे एक वर्ष पहले 1958 ईं में दलाई लामा ने भारत से शरण मांगा था। इसी कैंप में 13वें दलाई लामा (वर्तमान में14 वें दलाई लामा हैं) ने 1910 से 1912 तक अपना निर्वासन का समय व्यतीत किया था। 13वें दलाई लामा जिस भवन में रहते थे वह भवन आज भग्नावस्था में है।
आज यह रिफ्यूजी कैंप 650 तिब्बतियन परिवारों का आश्रय स्थल है। ये तिब्बतियन लोग यहां विभिन्न प्रकार के सामान बेचते हैं। इन सामानों में कारपेट, ऊनी कपड़े, लकड़ी की कलाकृतियां, धातु के बने खिलौन शामिल हैं। लेकिन अगर आप इस रिफ्यूजी कैंप घूमने का पूरा आनन्द लेना चाहते हैं तो इन सामानों को बनाने के कार्यशाला को जरुर देखें। यह कार्यशाला पर्यटकों के लिए खुली रहती है।
=== ट्वॉय ट्रेन ===
[[चित्र:Agony point 1921.jpg|right|thumb|300px|१९२१ मै दार्जिलिंग हिमालयन् रेल्वे]]
इस अनोखे ट्रेन का निर्माण 19वीं शताब्दी के उतरार्द्ध में हुआ था। डार्जिलिंग हिमालयन रेलमार्ग, इंजीनियरिंग का एक आश्चर्यजनक नमूना है। यह रेलमार्ग 70 किलोमीटर लंबा है। यह पूरा रेलखण्ड समुद्र तल से 7546 फीट ऊंचाई पर स्थित है। इस रेलखण्ड के निर्माण में इंजीनियरों को काफी मेहनत करनी पड़ी थी। यह रेलखण्ड कई टेढ़े-मेढ़े रास्तों तथा वृताकार मार्गो से होकर गुजरता है। लेकिन इस रेलखण्ड का सबसे सुंदर भाग बताशिया लूप है। इस जगह रेलखण्ड आठ अंक के आकार में हो जाती है।
अगर आप ट्रेन से पूरे डार्जिलिंग को नहीं घूमना चाहते हैं तो आप इस ट्रेन से डार्जिलिंग स्टेशन से घूम मठ तक जा सकते हैं। इस ट्रेन से सफर करते हुए आप इसके चारों ओर के प्राकृतिक नजारों का लुफ्त ले सकते हैं। इस ट्रेन पर यात्रा करने के लिए या तो बहुत सुबह जाएं या देर शाम को। अन्य समय यहां काफी भीड़-भाड़ रहती है।
=== चाय उद्यान ===
डार्जिलिंग एक समय मसालों के लिए प्रसिद्ध था। चाय के लिए ही डार्जिलिंग विश्व स्तर पर जाना जाता है। डॉ॰ कैम्पबेल जो कि डार्जिलिंग में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा नियुक्त पहले निरीक्षक थे, पहली बार लगभग 1830 या 40 के दशक में अपने बाग में चाय के बीज को रोपा था। ईसाई धर्मप्रचारक बारेनस बंधुओं ने 1880 के दशक में औसत आकार के चाय के पौधों को रोपा था। बारेन बंधुओं ने इस दिशा में काफी काम किया था। बारेन बंधओं द्वारा लगाया गया चाय उद्यान वर्तमान में बैनुकवर्ण चाय उद्यान (टेली: 0354-2276712) के नाम से जाना जाता है।
चाय का पहला बीज जो कि चाइनिज झाड़ी का था कुमाऊं हिल से लाया गया था। लेकिन समय के साथ यह डार्जिलिंग चाय के नाम से प्रसिद्ध हुआ। 1886 ई. में टी. टी. कॉपर ने यह अनुमान लगाया कि तिब्बत में हर साल 60,00,000 lb चाइनिज चाय का उपभोग होता था। इसका उत्पादन मुख्यत: सेजहवान प्रांत में होता था। कॉपर का विचार था कि अगर तिब्बत के लोग चाइनिज चाय की जगह भारत के चाय का उपयोग करें तो भारत को एक बहुत मूल्यावान बाजार प्राप्त होगा। इसके बाद का इतिहास सभी को मालूम ही है।
स्थानीय मिट्टी तथा हिमालयी हवा के कारण डार्जिलिंग चाय की गणवता उत्तम कोटि की होती है। वर्तमान में डार्जिलिंग में तथा इसके आसपास लगभग 87 चाय उद्यान हैं। इन उद्यानों में लगभग 50000 लोगों को काम मिला हुआ है। प्रत्येक चाय उद्यान का अपना-अपना इतिहास है। इसी तरह प्रत्येक चाय उद्यान के चाय की किस्म अलग-अलग होती है। लेकिन ये चाय सामूहिक रूप से ''डार्जिलिंग चाय' के नाम से जाना जाता है। इन उद्यानों को घूमने का सबसे अच्छा समय ग्रीष्म काल है जब चाय की पत्तियों को तोड़ा जाता है। हैपी-वैली-चाय उद्यान (टेली: 2252405) जो कि शहर से 3 किलोमीटर की दूरी पर है, आसानी से पहुंचा जा सकता है। यहां आप मजदूरों को चाय की पत्तियों को तोड़ते हुए देख सकते हैं। आप ताजी पत्तियों को चाय में परिवर्तित होते हुए भी देख सकते हैं। लेकिन चाय उद्यान घूमने के लिए इन उद्यान के प्रबंधकों को पहले से सूचना देना जरुरी होता है।
== चाय ==
नि:सन्देह यहां से खरीदारी के लिए सबसे बढि़या वस्तु चाय है। यहां आपको कई प्रकार के चाय मिल जाएंगे। लेकिन उत्तम किस्म का चाय आमतौर पर निर्यात कर दिया जाता है। अगर आपको उत्तम किस्म की चाय मिल भी गई तो इसकी कीमत 500 से 2000 रु. प्रति किलो तक की होती है। सही कीमत पर अच्छी किस्म का चाय खरीदने के लिए आप नाथमुलाज माल जा सकते हैं।
चाय के अतिरिक्त दार्जिलिंग में हस्तशिल्प का अच्छा सामान भी मिलता है। हस्तशिल्प के लिए यहां का सबसे प्रसिद्ध दुकान 'हबीब मलिक एंड संस' (टेली: 2254109) है जोकि चौरास्ता या नेहरु रोड के निकट स्थित है। इस दुकान की स्थापना 1890 ई. में हुई थी। यहां आपको अच्छे किस्म की पेंटिग भी मिल जाएगी। इस दुकान के अलावा आप 'ईस्टर्न आर्ट' (टेली: 2252917) जोकि चौरास्ता के ही नजदीक स्थित है से भी हस्तशिल्प खरीद सकते हैं।
नोट: रविवार को दुकाने बंद रहती हैं।
== आवागमन ==
;हवाई मार्ग:
यह स्थान देश के हरेक जगह से हवाई मार्ग से जुड़ा हुआ है। बागदोगरा (सिलीगुड़ी) यहां का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा (90 किलोमीटर) है। यह दार्जिलिंग से 2 घण्टे की दूरी पर है। यहां से कलकत्ता और दिल्ली के प्रतिदिन उड़ाने संचालित की जाती है। इसके अलावा गुवाहाटी तथा पटना से भी यहां के लिए उड़ाने संचालित की जाती है।
;रेलमार्ग:
पंक्ति 130:
;सड़क मार्ग:
यह शहर सिलीगुड़ी से सड़क मार्ग से भी अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। दार्जिलिंग सड़क मार्ग से सिलीगुड़ी से 2 घण्टे की दूरी पर स्थित है। कलकत्ता से सिलीगुड़ी के लिए बहुत सी सरकारी और निजी बसें चलती है।
== इतिहास ==
{{main|दार्जिलिंग का इतिहास}}
दार्जिलिंग की इतिहास [[नेपाल]], [[भुटान]], [[सिक्किम]] और [[बंगाल]] से जुडा
| last =Khawas | first =Vimal | year =2003 | url = http://www.mtnforum.org/resources/library/khawv03e.htm | title = Urban Management in Darjeeling Himalaya: A Case Study of Darjeeling Municipality. | publisher = The Mountain Forum | accessdate = 2006-05-01 }} Now available in the [[Internet Archive]] in this [http://web.archive.org/web/20041020031749/http://www.mtnforum.org/resources/library/khawv03e.htm URL] (accessed on [[7 June]] [[2006]])</ref> with settlement consisting of a few villages of [[Lepcha]] woodspeople.<ref name=darjteabbc>{{cite web
| url = http://212.58.224.36/dna/ww2/A4056284 | title = Darjeeling Tea | accessdate = 2006-08-17 | date = 2005-05-12 | publisher = [[h2g2]], BBC }}</ref> १८२८
| publisher=Darjeelingpolice | url=http://edujini.net/darjeelingpolice/d_history.html | title= The History of Darjeeling — The Queen of Hills | accessdate=2006-04-30
}}</ref><ref name=darjnet>{{cite web
| url = http://www.darjnet.com/darjeeling/darjeeling/history/darjhistory.htm | title = History of Darjeeling | accessdate = 2006-08-17 | publisher = darjnet.com }}</ref> The Company negotiated a lease of the area from the [[Chogyal]] of Sikkim in 1835.<ref name=urbanmanagement/> [[आर्थर क्याम्पबेल]], कम्पनी का एक शल्य चिकित्सक और लेफ़्टिनेन्ट नेपियर (बाद
१८४१
| publisher=Darjeelingnews| url=http://www.darjeelingnews.net/darjeeling_tea.html | title= Darjeeling Tea History | accessdate=2006-05-02
}}</ref> दार्जिलिंग को बेलायतीयौं ने सिक्किम से १८४९
| publisher=युनेस्को World Heritage Centre | url=http://whc.unesco.org/en/list/944 | title=Mountain Railways of India | accessdate=2006-04-30
}}</ref> १८९८
| author =| publisher=Baron Courts of Prestoungrange & Dolphinstoun| url=http://www.prestoungrange.org/core-files/archive/university_press/18_prideofpanners/pages%2038-44.pdf| title=A Pride of Panners| pages= 43 | format= [[PDF|PDF Format]] | accessdate=2006-04-30
}}</ref><ref name=disaster2>{{Harv|Lee|1971}}</ref>
बेलायती साशन के अधीन
| url = http://www.mcrg.ac.in/civilsocietydialogue3.htm | title = Autonomy for Darjeeling: History and Practice | accessdate = 2006-08-13 | last = Chakraborty |first = Subhas Ranjan
| year = 2003 | work = Experiences on Autonomy in East and North East: A Report on the Third Civil Society Dialogue on Human Rights and Peace (By Sanjoy Borbara) | publisher = Mahanirban Calcutta Research Group}}</ref>) — लेकिन [[१९०५ के बंगाल की बिभाजन]] के बाद से यह [[राजशाही]] विभाग के अन्तर्गत
| url =http://www.exploredarjeeling.com/history.htm | title = History of Darjeeling | publisher = exploredarjeeling.com | accessdate = 2006-05-02 }}</ref>
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दार्जिलिंग की औशत उंचाई २,१३४ मिटर वा ६,९८२ फ़िट है<ref name=GeneralInformation>{{cite web
| publisher=zubin.com | url=http://www.zubin.com/darjeeling/general.htm | title=GeneralInformation| accessdate=2006-04-30
}}</ref>। यह जगह [[दार्जिलिंग हिमालयन हिल क्षेत्र]]मै दार्जिलिंग-जलपहर श्रृंखला
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Darjeeling is the main town of the [[Darjeeling Sadar|Sadar]] subdivision and also the headquarters of the district.
पंक्ति 183:
}}</ref> near the [[convergent boundary]] of the [[India Plate|Indian]] and the [[Eurasian Plate|Eurasian]] [[tectonic plate]]s and is subject to frequent quakes. The hills are nestled within higher peaks and the snow-clad Himalayan ranges tower over the town in the distance. Mount [[Kanchenjunga]] (8,591 m or 28,185 ft) — the world's third-highest peak — is the most prominent peak visible. In days clear of clouds, Nepal's [[Mount Everest]] (8,850 m or 29,028 ft) can be seen.<ref name=britannica>{{cite web
| url = http://www.britannica.com/eb/article-9028781 | title = Darjeeling | accessdate = 2006-07-26
| work = Encyclopædia Britannica | publisher = Encyclopædia Britannica Premium Service }}</ref>
There are several tea plantations in the area. The town of Darjeeling and surrounding region face [[deforestation]] due to increasing demand for wood fuel and timber, as well as air pollution from increasing vehicular traffic.<ref name=teri>{{cite web
पंक्ति 193:
-->
== मौसम ==
दार्जिलिंग की टेम्परेट मौसम
<!--
Summers (lasting from May to June) are mild, with maximum temperatures rarely crossing 25 °[[Celsius|C]] (77 °[[Fahrenheit|F]]). The monsoon season from June to September is characterised by intense torrential rains often causing [[landslide]]s that block Darjeeling's land access to the rest of the country. In winter temperature averages 5–7 °C (41–44 °F). Occasionally the temperatures drop below [[Melting point|freezing]]; snowfalls are rare. During the monsoon and winter seasons, Darjeeling is often shrouded in [[mist]] and [[fog]]. The annual mean temperature is 12 °C (53 °F); monthly mean temperatures range from 5–17 °C (41–62 °F).<ref name=weatherbase>{{cite web
पंक्ति 204:
== नागरिक प्रशासन ==
दार्जिलिंग सहर
| author=Directorate of Census Operations, West Bengal | url=http://www.wbcensus.gov.in/DataTables/02/FrameTable4_1.htm | title=Table-4 Population, Decadal Growth Rate, Density and General Sex Ratio by Residence and Sex, West Bengal/ District/ Sub District, 1991 and 2001|year=2003 |accessdate=2006-04-30
}}</ref> १८५०
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