"राम दयाल मुंडा": अवतरणों में अंतर
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नागपुरी, मुंडारी, हिन्दी व अंग्रेजी में भारतीय आदिवासियों के भाषा, साहित्य, समाज, धर्म व संस्कृति, विश्व आदिवासी आंदोलन और झारखंड आंदोलन पर उनकी 10 से अधिक पुस्तकें तथा 50 से ज्यादा निबंध प्रकाशित हैं। इसके अतिरिक्त हिन्दी, संस्कृत, बांग्ला और अंग्रेजी में भी उन्होंने कई पुस्तकों का अनुवाद व संपादन किया है।
आदिवासी चिंतक वेरियर एल्विन का उदाहरण देते हुए वे समझाते थे कि आदिवासियों के विकास के तीन रास्ते हैं- अपने पुरातन रीति-रिवाजों के साथ अलग रहो, मुख्यधारा के स्थापित धर्माे के साथ घुल-मिल जाओ और उसकी संस्कृति अपना लो
हम तोहरे के बुलात ही,
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