"राम दयाल मुंडा": अवतरणों में अंतर

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नागपुरी, मुंडारी, हिन्दी व अंग्रेजी में भारतीय आदिवासियों के भाषा, साहित्य, समाज, धर्म व संस्कृति, विश्व आदिवासी आंदोलन और झारखंड आंदोलन पर उनकी 10 से अधिक पुस्तकें तथा 50 से ज्यादा निबंध प्रकाशित हैं। इसके अतिरिक्त हिन्दी, संस्कृत, बांग्ला और अंग्रेजी में भी उन्होंने कई पुस्तकों का अनुवाद व संपादन किया है।
आदिवासी चिंतक वेरियर एल्विन का उदाहरण देते हुए वे समझाते थे कि आदिवासियों के विकास के तीन रास्ते हैं- अपने पुरातन रीति-रिवाजों के साथ अलग रहो, मुख्यधारा के स्थापित धर्माे के साथ घुल-मिल जाओ और उसकी संस्कृति अपना लो औरया अपनी शर्त के साथ ही विकास की मुख्यधारा में शामिल हो जाओ। डॉ॰ मुंडा तीसरे के पक्ष में थे। यह उनके जीवन शैली, पहनावा, आचार-विचार आदि में दिखता था। इसका सबसे अच्छा उदाहरण है उनके रचित - ‘सरहुल का मंत्र’। इस मंत्र में वे स्वर्ग के परमेश्वर से लेकर धरती के धरती माई, शेक्सपीयर, रवींद्रनाथ टैगोर, मार्क्स, एंगेल्स, लेनिन से लेकर सिदो-कान्हु, चांद-भैरव, बिरसा मुंडा, गांधी, नेहरू, जयपाल सिंह मुंडा और सैकड़ों दिवंगत व्यक्तियों को एक साथ बुला कर पंक्ति में बैठने का आमंत्रण देते हैं और कहते हैं -
हम तोहरे के बुलात ही,