"अपरा विद्या": अवतरणों में अंतर
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(2) '''अपरा विद्या''' के अंतर्गत वेद तथा वेदांगों के ज्ञान की गणना की जाती है।
[[उपनिषद्]] का आग्रह परा विद्या के उपार्जन पर ही है। [[ऋग्वेद]] आदि चारों वेदों तथा शिक्षा, व्याकरण आदि छहों अंगों के अनुशीलन का फल क्या है ? केवल बाहरी, नश्वर, विनाशी वस्तुओं का ज्ञान, जो आत्मतत्व की जानकारी में किसी तरह सहायक नहीं होता। [[छांदोग्य उपनिषद्]] (7/1/2-3) में [[नारद-सनत्कुमार-संवाद]]
[[श्रेणी:विद्या|विद्या, अपरा]]
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