"क्रस्टेशिया": अवतरणों में अंतर
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कठिनी के नेत्र दो प्रकार के होते हैं मध्यम (median) तथा संयुक्त (compound) नेत्र। अति सरल मध्यम नेत्र नॉप्लिअस और अनेक वयस्क कठिनियों में रहते हैं, परंतु मैलाकॉस्ट्राका में ये लुप्त हो जाते हैं और इनमें संयुक्त नेत्र ही कार्यशील नेत्र होते हैं। संयुक्त नेत्र प्राय: एक जोड़ी होते हैं, जो कुछ जीवों के अवृंत (sessile) और कई एक में वृंतयुक्त (stalked) रहते हैं। नेत्रवृंत (Eye-stalk) को सिर का अवयव माना गया है, परंतु यह संदेहात्मक है। कारण, परिवर्धन में यह दूसरे अंगों में बहुत पश्चात् उदित होते हैं।
प्रथम श्रृंगिकाएँ (ऐंटेन्यूल्ज़, Antennules), जो मुख के सामने रहती है, दूसरे खंड के अवयव मानी गई हैं। यह नॉप्लिअस तथा सब उपजातियों के जीवों में, केवल मैलाकॉस्ट्राका के अतिरिक्त, एकशाखी होती हैं। इनका मुख्य कार्य संवेदक है, परंतु अनेक डिंभों और वयस्क कठिनियों में ये प्लवन के कार्य में भी आती हैं और अनेक नर श्रृंगिका से मादा को पकड़ते भी हैं। सिरोपीडिया में सीमेंट ग्रंथियों (Cement-glands) के छिद्र इन्हीं अवयवों पर होते हैं, जिनकी सहायता से इनके वयस्क स्थगित होते हैं। यद्यपि द्वितीय श्रृंगिका (ऐंटेना) मुख के आगे स्थित रहती है, तथापि वास्तव में इसका स्थान मुख के पीछे था। नॉप्लिअस में इसका स्थान मुख के पार्श्व में रहता है और यह भोजन को मुख की ओर लाने में सहायता देती है। इसके शेष कार्य प्रथम श्रृंगिका के समान होते हैं। मेलाकॉस्ट्राका में इसकी एक शाखा बहुसंधिमान कशांग (फ़्लैजेलम, Flagellum) के आकार की होती है और इसका कार्य केवल संवेदन ग्रहण है,
नॉप्लिअस तथा वयस्का कोपीपोडा, आइसोपोडा (Isopoda) इत्यादि में अधोहनु (मैंडिबल, Mandible) भी द्विशाखी होते हैं और भोजनप्राप्ति में सहायता करते हैं, परंतु बहुतेरे कठिनियों में अधोहनु शक्तिमान हनु का रूप धारण कर लेते हैं और इनकी सतह दाँत और कंडों (Spines) से सुसज्जित होती है। पराश्रयी कठिनी के अधोहनु बेधन के लिए नलाकार शुंड (proboscis) के सदृश होते हैं। उपभंजक (मैक्सिलूला, Maxillula) तथा उपजंभ (मैक्सिला, Maxilla), या प्रथम और द्वितीय मैक्सिला, सदा पत्तियों के समान चपटे होते हैं और इनके वृंतोपांग (प्रोटोपोडाइट, Protopodite) पर हनु की शाखिकाएँ स्थित रहती हैं। ये तीनों मुख के पिछली हनु हैं।
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