"तृतीय कल्प": अवतरणों में अंतर

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== तृतीय कल्प का विस्तार एवं काल प्रकरण के अनुसार वर्गीकरण ==
तृतीय कल्प की शिलाएँ पृथ्वी पर व्यापक रूप में विस्तृत हैं। इस युग के अंतर्गत दो प्रकार के निक्षेप मिले हैं।
 
(१) समुद्री निक्षेप, जो इस युग के आरंभ में पाए जाते हैं और
 
(२) अक्षार जलीय या महाद्वीपीय निक्षेप जो ऊपरी भागों में स्थित हैं।
 
भारत में भी तृतीय कल्प में नीचे समुद्री और ऊपर अक्षार जलीय विक्षे हैं। इस युग के शैलसमूह भारत के उत्तरी भाग कश्मीर, पंजाब, शिमला, कुमायूँ-गढ़वाल, नेपाल और असम में हिमालय के दक्षिणी भूभाग में स्थित हैं। दक्कन, राजस्थान, कच्छ, काठियावाड़ और पूर्वी तट पर भी इस युग के निक्षेप मिलते हैं।
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== तृतीय कल्प के जीव और वनस्पति ==
इस युग के जीवों में फोरेमिनीफेरा (Foraminifera) अरीढ़धारियों मेमें और स्तनधारी जीव रीढ़धारियों में मुख्य हैं। फोरेमिनीफेरा वर्ग में न्यूमूलाइटिस (Nummulites) का स्थान महत्वपूर्ण है, क्योंकि सारे विश्व में इस युग के शैलसमूहों में इनका बाहुल्य एवं प्रधानता है। प्रवालों में छिद्रधारी प्रवाल अधिक मिलते हैं। एकिनाइडिया (Echinoidea) वर्ग में हार्ट अरचीन (Heart urchin) बहुतायत से पाए जाते थे, परंतु तृतीय कल्प के जीवविकास में स्तनधारी वर्ग के जीवों का विकास मुख्य है। मध्यजीव महाकल्प में स्तनधारी जीव छोटे एवं कम संख्या में थे, परंतु अब धीरे धीरे इनकी प्रधानता होने लगी; यहाँ तक कि मध्य तृतीय कल्प में संसार के सारे जीवों में ये श्रेष्ठ हो गए। रेंगने वाले जीवों में से जो मध्यजीव महाकल्प में सारी पृथ्वी एवं आकाश तक छा गए थे, अब एक आध ही रह गए हैं। वनस्पतिजगत्‌ में फूलनेवाले पौधों की प्रधानता हो गई।
 
== इन्हें भी देखें ==