"चंगेज़ ख़ान": अवतरणों में अंतर
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'''चंगेज़ ख़ान''' ([[मंगोलियाई]]: Чингис Хаан, ''चिंगिस खान'', सन् [[1162]] – [[18 अगस्त]], [[1227]]) एक मंगोल [[ख़ान]] (शासक) था जिसने [[मंगोल साम्राज्य]] के विस्तार में एक अहम भूमिका निभाई। वह अपनी संगठन शक्ति, बर्बरता तथा साम्राज्य विस्तार के लिए प्रसिद्ध हुआ। इससे पहले किसी भी यायावर जाति के व्यक्ति ने इतनी विजय यात्रा नहीं की थी। वह पूर्वोत्तर एशिया के कई घुमंतू जनजातियों को एकजुट करके सत्ता में आया। साम्राज्य की स्थापना के बाद और "चंगेज खान" की घोषणा करने के बाद, मंगोल आक्रमणों को शुरू किया गया, जिसने अधिकांश यूरेशिया पर विजय प्राप्त की। अपने जीवनकाल में शुरू किए गए अभियान क़रा खितई, काकेशस और ख्वारज़्मियान, पश्चिमी ज़िया और जीन राजवंशों के खिलाफ, शामिल हैं। मंगोल साम्राज्य ने मध्य एशिया और चीन के एक महत्वपूर्ण हिस्से पर कब्जा कर लिया।
चंगेज खान की मृत्यु से पहले, उसने ओगदेई खान को अपन उत्तराधिकारी बनाया और अपने बेटों और पोते के बीच अपने साम्राज्य को खानतों में बांट दिया। पश्चिमी जिया को हराने के बाद 1227 में उसका निधन हो गया। वह मंगोलिया में किसी न किसी कब्र में दफनाया गया था।उसके वंशजो ने आधुनिक युग में चीन, कोरिया, काकेशस, मध्य एशिया, और पूर्वी यूरोप और दक्षिण पश्चिम एशिया के महत्वपूर्ण हिस्से में विजय प्राप्त करने वाले राज्यों को जीतने या बनाने के लिए अधिकांश यूरेशिया में मंगोल साम्राज्य का विस्तार
अपनी सैन्य उपलब्धियों से परे, चंगेज खान ने
यद्यपि अपने अभियानों की क्रूरता के लिए चंगेज़ खान को
== प्रारंभिक जीवन ==
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जमूका हँलांकि प्रारंभ में उसका मित्र था, बाद में वो शत्रु बन गया। ११८० तथा ११९० के दशकों में वो ओंग ख़ान का मित्र रहा और उसने इस मित्रता का लाभ जमूका जैसे प्रतिद्वंदियों को हराने के लिए किया। जमूका को हराने के बाद उसमें बहुत आत्मविश्वास आ गया और वो अन्य कबीलों के खिलाफ़ युद्ध के लिए निकल पड़ा। इनमें उसके पिता के हत्यारे शक्तिशाली ''तातार कैराईट'' और खुद ओंग खान शामिल थे। ओंग ख़ान के विरूद्ध उसने १२०३ में युद्ध छेड़ा। १२०६ इस्वी में तेमुजिन, जमूका और नेमन लोगों को निर्णायक रूप से परास्त करने के बाद [[स्टेपी]] क्षेत्र का सबसे प्रभावशाली व्य़क्ति बन गया। उसके इस प्रभुत्व को देखते हुए मंगोल कबीलों के सरदारों की एक सभा (कुरिलताई) में मान्यता मिली और उसे '''चंगेज़ ख़ान''' (समुद्री खान) या ''सार्वभौम शासक'' की उपाधि देने के साथ महानायक घोषित किया गया।
कुरिलताई से मान्यता मिलने तक वो मंगोलों की एक सुसंगठित सेना तैयार कर चुका था। उसकी पहली इच्छा [[चीन]] पर विजय प्राप्त करने की थी। चीन उस समय तीन भागों में विभक्त था - उत्तर पश्चिमी प्रांत में [[तिब्बती]] मूल के सी-लिया लोग, [[जुरचेन लोग|जरचेन लोगों]] का चीन राजवंश जो उस समय आधुनिक [[बीजिंग]] के उत्तर वाले क्षेत्र में शासन कर रहे थे तथा शुंग राजवंश जिसके अंतर्गत दक्षिणी चीन आता था। १२०९ में सी लिया लोग परास्त कर दिए गए। १२१३ में चीन की महान दीवीर का अतिक्रमण हो गया और १२१५ में पेकिंग नगर को लूट लिया गया। चिन राजवंश के खिलाफ़ १२३४ तक लड़ाईयाँ चली पर अपने सैन्य अभियान की प्रगति भर को देख चंगेज़ खान अपने अनुचरों की देखरेख में युद्ध को छोड़ वापस मातृभूमि को मंगोलिया लौट गया।
सन् १२१८ में करा खिता की पराजय के बाद मंगोल साम्राज्य [[अमू दरिया]], तुरान और ख्वारज़्म राज्यों तक विस्तृत हो गया। १२१९-१२२१ के बीच कई बड़े राज्यों - [[ओट्रार]], [[बुखारा]], [[समरकंद]], [[बल्ख़]], [[गुरगंज]], [[मर्व]], [[निशापुर]] और [[हेरात]] - ने मंगोल सेना के सामने समर्पण कर दिया। जिन नगरों ने प्रतिशोध किया उनका विध्वंस कर दिया गया। इस दौरान मंगोलों ने बेपनाह बर्बरता का परिचय दिया और लाखों की संख्या में लोगों का वध कर दिया।
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