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'''गेस्टाल्ट मनोविज्ञान''' (Gestalt psychology) की स्थापना [[जर्मनी]] में [[मैक्स बरदाईमर]] (Max Wertheimer) द्वारा 1912 ई0 में की गयी। इस सम्प्रदाय (स्कूल) के विकास में दो अन्य मनोवैज्ञानिकों, कर्ट कौफ्का (1887-1941) तथा ओल्फगैंग कोहलर (1887-1967) ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। इस स्कूल की स्थापना वुण्ट व टिचनर की आणुविक विचारधारा के विरोध में हुआ था। इस स्कूल का मुख्य बल [[व्यवहार]] में सम्पूर्णता के अध्ययन पर है। इस स्कूल में 'अंश' की अपेक्षा 'सम्पूर्ण' पर बल देते हुये बताया कि यद्यपि सभी अंश मिलकर सम्पूर्णता का निर्माण करते हैहैं, परन्तु सम्पूर्णता की विशेषताएं अंश की विशेषताओं से भिन्न होती हैं। गेस्टाल्ट मनोवैज्ञानिकों ने इसे '''गेस्टाल्ट''' की संज्ञा दी जिसका अर्थ 'प्रारूप', 'आकार' या 'आकृति' बताया। इस स्कूल द्वारा [[प्रत्यक्षण]] के क्षेत्र में प्रयोगात्मक शोध किए गए हैं जिससे [[प्रयोगात्मक मनोविज्ञान]] का नक्शा ही बदल गया। प्रत्यक्षण के अतिरिक्त इन मनोवैज्ञानिकों ने [[सीखना]], [[चिंतन]] तथा [[स्मृति]] के क्षेत्र में काफी योगदान दिया जिसने [[शिक्षा मनोविज्ञान]] को अत्यधिक प्रभावित किया।
 
[[श्रेणी:मनोविज्ञान]]