"भगवती चरण वोहरा": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Bhagwati Charan Vohra.jpg|right|thumb|300px|महान क्रांतिकारी भगवती चरण वोहरा]]
'''भगवती चरण वोहरा''' (4 जुलाई 1904 - 28 मई 1930)) [[भारत]] के स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी थे। वे [[हिन्दुस्तान प्रजातांत्रिक सोशलिस्ट पार्टी]] के सदस्य और [[भगत सिंह]] के साथ ही एक प्रमुख सिद्धांतकार होते हुए भी गिरफ्तार
== परिचय ==
भगवती चरण वोहरा का जन्म जुलाई 1903 में [[आगरा]] में हुआ था। उनके पिता शिव चरण वोहरा रेलवे के एक उच्च अधिकारी थे। बाद में वे आगरा से लाहौर चले आये। उनका परिवार आर्थिक रूप से सम्पन्न था। भगवती चरण की शिक्षा-दीक्षा [[लाहौर]] में हुई। उनका विवाह भी कम उम्र में कर दिया गया। पत्नी का नाम दुर्गा था। बाद के दौर में उनकी पत्नी भी क्रांतिकारी कार्यो की सक्रिय सहयोगी बनी। क्रान्तिकारियो द्वारा दिया गया " [[दुर्गा भाभी]] " सन्बोधन एक आम सन्बोधन बन गया।
लाहौर नेशनल कालेज में शिक्षा के दौरान भगवती चरण ने रुसी क्रान्तिकारियो से प्रेरणा लेकर छात्रो की एक अध्ययन मण्डली का गठन किया था। राष्ट्र की परतंत्रता और उससे मुक्ति के प्रश्न पर केन्द्रित इस अध्ययन मण्डली में नियमित रूप से शामिल होने वालो में [[भगत सिंह]], [[सुखदेव]] आदि प्रमुख थे। बाद में चलकर इन्ही लोगो ने [[नौजवान भारत सभा]] की स्थापना की। पढाई के दौरान 1921 में ही भगवती चरण [[महात्मा गांधी|गांधी जी]] के आह्वान पर पढाई छोडकर [[असहयोग आन्दोलन]] में कूद पड़े थे।
बाद में आन्दोलन वापस होने पर इन्होने कालेज की पढाई पूरी की। बीए कि परीक्षा पास की साथ ही नौजवान भारत सभा के गठन और कार्य को आगे बढाया। इस सभा के जनरल सेक्रेटी भगत सिंह और प्रोपेगंडा (प्रचार) सेक्रेटी भगवती चरण थे। अप्रैल 1928 में नौजवान भारत सभा का घोषणा पत्र प्रकाशित हुआ। भगत सिंह व अन्य साथियो से सलाह - मशविरे से मसविदे को तैयार करने का काम भगवती चरण वोहरा का था। नौजवान भारत सभा के उत्कर्ष में भगवती चरण और भगत सिंह का ही प्रमुख हाथ था। भगत सिंह के अलावा वे ही संगठन के प्रमुख सिद्धांतकार थे। क्रांतिकारी विचारक, संगठनकर्ता, वक्ता, प्रचारकर्ता, आदर्श के प्रति निष्ठा व प्रतिबधता तथा उसके लिए अपराजेय हिम्मत - हौसला आदि सारे गुण भगवती चरण में विद्यमान थे। किसी काम को पूरे मनोयोग के साथ पूरा करने में भगवती चरण बेजोड़ थे। 1924 में सुप्रसिद्ध क्रांतिकारी [[शचीन्द्रनाथ सान्याल]] द्वारा "हिन्दुस्तान- प्रजातांत्रिक संघ के घोषणा पत्र - दि रिवोल्यूशनरी" को १ जनवरी 1925 को व्यापक से वितरित करने की प्रमुख जिम्मेदारी भगवती चरण पर ही थी। जिसे उन्होंने बखूबी पूरा किया। बाद के दौर में संगठन के साथियो में भगवती चरण के बारे में यह संदेह फैलाया गया की वे सी0 आई ० डी0 के आदमी है और उससे तनख्वाह पाते
भगवती चरण [[लखनऊ]] के [[काकोरी केस]], [[लाहौर षड्यंत्र केस]] और फिर [[लाला लाजपत राय]] को मारने वाले अंग्रेज सार्जेंट - सांडर्स की हत्या में भी आरोपित थे। पर न तो कभी पकड़े गये और न ही क्रांतिकारी कार्यो को करने से अपना पैर पीछे खीचा। इस बात का सबूत यह है कि इतने आरोपों से घिरे होने के बाद भी भगवती चरण ने स्पेशल ट्रेन में बैठे वायसराय को चलती ट्रेन में ही उड़ा देने का भरपूर प्रयास किया। इस काम में यशपाल, इन्द्रपाल, भागाराम उनके सहयोगी थे। महीने भर की तैयारी के बाद नियत तिथि पर गुजरती स्पेशल ट्रेन के नीचे बम - बिस्फोट करने में लोग कामयाब भी हो गये। परन्तु वायसराय बच गया। ट्रेन में खाना बनाने और खाना खाने वाला डिब्बा क्षतिग्रस्त हो गया और उसमे एक आदमी कि मौत हो गयी।
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