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'''देवबंद''' [[उत्तर प्रदेश]] के ज़िला सहारनपुर का एक क़स्बा है जो सहारनपुर और मुज़फ़्फ़रनगर के बीच स्थित है।
 
देवबंद से सहारनपुर लगभग 52 किलोमीटर और [[मुज़फ़्फ़रनगर]] 24 किलोमीटर दूर स्थित है। देवबंद एक प्रागैतिकहासिक नगर है -- इस नगर की कहानी इतिहास से पहले की है जो मानव सभ्यता के अतीत से सुरु होती है इस नगर पर बहुत बार आक्रंताओ ने चढ़ाई की थी पुरातत्व श्रोत के रूप में देवबंद में अनेक बार साक्ष्य प्राप्त हुए हैहैं
'''देवबंद''' [[उत्तर प्रदेश]] के ज़िला सहारनपुर का एक क़स्बा है जो सहारनपुर और मुज़फ़्फ़रनगर के बीच स्थित है।
देवबंद में त्रिपुर बाला सुंदरी देवी का मंदिर भी है माँ त्रिपुरा बल सुंदरी देवी मंदिर के द्वार पर लगा शिलालेख अज्ञात काल का कहा जाता है इसको आज तक नहीं पढ़ा जा सका है देवबंद के बारे में यह प्रसिद्ध है कीकि यहाँ घने जंगल थे और छोटी छोटी झोपड़िया थी देवबंद में राधावल्लभ का ऐतिहासिक मंदिर भी है। देवबंद में अधिसंख्या मुसलमानों की है लेकिन एक तिहाई आबादी हिंदुओं की भी है। देवबंद के व्यापार पर समाज के सभी वर्गों की ही पकड़ है। अधिकांश बड़े बड़े व्यापारी हिंदू ही हैं। विभाजन के बाद पंजाबी समुदाय और सिक्ख समुदाय के लोग भी देवबंद में आकर बस गए। पंजाबी समुदाय की तादाद कम है और सिक्खों की तादाद तो बस गिनती की ही है। रेलवे रोड पर एक गुरूद्वारा भी है।
 
ईसाईयों की गिनती बहुत थोड़ी है। सभी लोग एक दूसरे के साथ सद्भावना के साथ रहते हैं और एक दूसरे की ख़ुशी और ग़म में शिरकत भी करते हैं।
 
देवबंद से सहारनपुर लगभग 52 किलोमीटर और [[मुज़फ़्फ़रनगर]] 24 किलोमीटर दूर स्थित है। देवबंद एक प्रागैतिकहासिक नगर है -- इस नगर की कहानी इतिहास से पहले की है जो मानव सभ्यता के अतीत से सुरु होती है इस नगर पर बहुत बार आक्रंताओ ने चढ़ाई की थी पुरातत्व श्रोत के रूप में देवबंद में अनेक बार साक्ष्य प्राप्त हुए है
देवबंद में त्रिपुर बाला सुंदरी देवी का मंदिर भी है माँ त्रिपुरा बल सुंदरी देवी मंदिर के द्वार पर लगा शिलालेख अज्ञात काल का कहा जाता है इसको आज तक नहीं पढ़ा जा सका है देवबंद के बारे में यह प्रसिद्ध है की यहाँ घने जंगल थे और छोटी छोटी झोपड़िया थी देवबंद में राधावल्लभ का ऐतिहासिक मंदिर भी है। देवबंद में अधिसंख्या मुसलमानों की है लेकिन एक तिहाई आबादी हिंदुओं की भी है। देवबंद के व्यापार पर समाज के सभी वर्गों की ही पकड़ है। अधिकांश बड़े बड़े व्यापारी हिंदू ही हैं। विभाजन के बाद पंजाबी समुदाय और सिक्ख समुदाय के लोग भी देवबंद में आकर बस गए। पंजाबी समुदाय की तादाद कम है और सिक्खों की तादाद तो बस गिनती की ही है। रेलवे रोड पर एक गुरूद्वारा भी है।
ईसाईयों की गिनती बहुत थोड़ी है। सभी लोग एक दूसरे के साथ सद्भावना के साथ रहते हैं और एक दूसरे की ख़ुशी और ग़म में शिरकत भी करते हैं।
 
[[श्रेणी:उत्तर प्रदेश के नगर और कस्बे]]