"स्वच्छन्दतावाद": अवतरणों में अंतर

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समकालीन संगीत संस्कृति में, रोमानी संगीतकारों ने प्राचीन संगीतकारों के विपरीत विशिष्ट संरक्षकों के स्थान पर संवेदनशील मध्यमवर्ग के दर्शकों को ध्यान में रखते हुए संगीत को जन संबंधी व्यवसाय के रूप में चुना। सार्वजनिक छवि ने गुणी कलाकारों की नयी पीढ़ी का चरित्रण किया जिन्होंने एकल कलाकारों के रूप में अपनी पहचान बनायी और पेगानिनी एवम लिज्त कार्यकर्मो के भ्रमण के दौरान विशेष पहचान प्राप्त की।
 
बीथोवेन द्वारा स्वरयुक्त संरचना का ऐसा प्रयोग जो संगीत के स्वरूपों और संरचनाओं को महत्त्वपूर्ण विस्तार की अनुमति देता हो, को अविलम्ब संगीत को एक नया आयाम प्रदान करने के रूप में पहचान लिया गया.गया। इसके बाद उनके द्वारा दिए गए पियानो संगीत और स्ट्रिंग क्वाट्रेट्स ने विशेष रूप से एक पूर्णतया अज्ञात संगीत जगत का रास्ता दिखाया. ई.टी.ए. हॉफमैन अभिव्यक्ति के सन्दर्भ में वाद्य संगीत की कंठ संगीत के ऊपर श्रेष्ठता के विषय पर लिखने में समर्थ थे, इससे पूर्व इस सिद्धांत को व्यर्थ ही माना जाता था। हॉफमैन ने स्वयं, जोकि संगीत और साहित्य दोनों में ही अभ्यासरत थे, संगीत को 'क्रमादेशिक' या विवरणात्मक, भाव के रूप में प्रोत्साहित किया, यह विचार नए दर्शकों को अत्यंत आकर्षक लगा। 19 वीं शताब्दी में वाद्य यंत्रों की तकनीक में विकास हुआ- पियानो के लिए लोहे के ढांचे बनने लगे, तार युक्त वाद्यों के लिए धातु के तार आदि बनने से- उच्च स्वर के संगीत, विभिन्न गुणों युक्त स्वर और भिन्न प्रकार के स्वर भावों और संवेदनात्मक कला-कौशल को प्रोत्साहन मिला। इन विकासों के द्वारा प्रयासों को और बल मिला, क्रमदेशिक शीर्षकों का चलन शुरू हो गया और नयी शालियों जैसे मुक्त-प्रत्यक्ष प्रारंभिक गीत कार्यक्रम या स्वर कविता, पियानो फेंटासिया, निशा संगीत और चारण गीत और प्रवीण संगीतरचना आदि की रचना हुई, जो संगीतमय स्वछंदतावाद के केंद्र बन गये।
[[चित्र:Richardwagner1.jpg|right|thumb|120px|रिचर्ड वैग्नर]]
ओपेरा में अलौकिक भय और अतिनाटकीय कथानक का लोक कथा सम्बंधित प्रसंग में संयोजन से एक नए रोमानी वातावरण की रचना हुई और इसकी प्रथम सफलता का श्रेय वेबर के ''डेर फ्रैशुज़'' (1817, पुनर्संस्करण 1821) को जाता है। फ़्रांस में हेक्टर बर्लियोज़ और मेयेबियर के ग्रैंड ओपेरा के प्रारंभिक आयोजन में आभिषित स्वर विशेष तौर पर रंगों की प्रमुखता रही.रही। उग्र सुधारवादियों मेमें जों 'भविष्य का कलाकार' के रूप में हास्यपूर्वक चरित्रित हो गया (स्वयं वैगनर के शब्दों में), लिज्त और वैगनर दोनों ही मुक्त, प्रेरित, करिश्माई और शायद निर्दयतापूर्वक अपरम्परागत कलात्मक व्यक्तित्व वाले लोगों के लिए रोमानी मत के प्रतिमान थे।
[[चित्र:Barabas-liszt.jpg|left|thumb|120px| फ्रांज़ लिज्त]]
रोमानी काल के नृत्य नाटकों ने स्वयं को ओपेरा, जिसमे मात्र पैरिस में ही मध्यांतर के दौरान बैले प्रस्तुति का चलन शेष था और कोर्ट फेते से मुक्त कर लिया था और स्वतंत्र रूप से ओपेरा के विकास को स्पष्ट वर्णनात्मक संगीतिका पाठ के सामानांतर स्थापित किया, दुर्भाग्य पूर्ण युवा प्रेम या अविवेक की सार्वभौमिक उपस्थिति को मूकाभिनय के लम्बे गद्यों में व्यक्त किया, बैले नर्तकी के प्रभुत्व और अलौकिक विषयों: ''जिसेल'' (1841) के चुनाव अब तक के प्रमुख उदहारण रहे हैं।
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{{See also|Romantic poetry}}
[[चित्र:El_Tres_de_Mayo,_by_Francisco_de_Goya,_from_Prado_in_Google_Earth.jpg|thumb|left|230px|फ्रांसिस्को गोया, द थर्ड ऑफ़ मे 1808, 1814]]
साहित्य में, स्वछंदतावाद को पिछले समय की आलोचना या पुनर्रचना के रूप में एक आवर्ती विषयवस्तु मिल गयी, जिनमे बच्चों व् महिलाओं पर विशेष महत्व के साथ "संवेदनशीलता" का मत, वर्णनकर्ता या कलाकार का नायकीय एकांकीपन और एक नयी, अदभुद, अबाधित और "शुद्ध" प्रकृति के प्रति सम्मान आदि शामिल थे। इससे आगे, अनेकों रोमानी लेखकों ने जैसे [[एडगर ऍलन पो|एडगर एलन पो]] और नेथेनियल हौथोर्न, ने अपनी लेखनी को अलौकिक/गुप्त और मनोविज्ञान पर आधारित रखा.रखा। स्वछंदतावाद ने नए विचारों के उद्भव में भी सहयोग दिया और इस प्रक्रिया में उन सकारात्मक आवाजों का भी जन्म हुआ जो समाज के अधिकारहीन वर्ग के लिए हितकर थी।
 
स्कॉटलैंड वासी कवि जेम्स मेकफर्सन ने 1762 मेमें प्रकाशित अपनी ओशियन साईकिल ऑफ़ पोयम्स की अंतर्राष्ट्रीय सफलता के द्वारा स्वछंदतावाद के प्रारंभिक विकासों को प्रभावित किया और गोयेथ और युवा वाल्टर स्कॉट दोनों को ही प्रेरणा दी।
 
[[योहान वुल्फगांग फान गेटे|जोहान वुल्फगैंग वोन]] गोयेथ के माध्यम से प्रारंभिक जर्मन प्रभाव आया, जिनका 1774 मेमें प्रकाशित उपन्यास ''द सौरोस ऑफ़ यंग वर्थर'' ने पूरे यूरोप में युवा पुरुषों को अपने नायक के सामान कार्य करने के लिए प्रेरित कर दिया था, वह नायक एक युवा कलाकार था जो बहुत संवेदनशील और भावुक स्वभाव का था। उस समय जर्मनी छोटे छोटे पृथक राज्यों का एक समूह था और गोयेथ का काम राष्ट्रवाद के एकीकृत प्रभाव को विकसित करने में एक महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता था। एक अन्य दार्शनिक प्रभाव जोहन गोतिलेब फिष्ट और फ्रेडरिक शैलिंग के जर्मन आदर्शवाद से आया, जिसने जेना (जहाँ फिष्ट, शैलिंग, हेगल, शिलर और शेलेगल बंधु रहते थे) को प्रारंभिक स्वछंदतावाद ("जेनेर रोमेंटिक") का केंद्र बना दिया। इस काल के महत्त्वपूर्ण लेखक लुडविग टिक, नोवालिस (''हेनरिक वोन ओफेर डिंजेन'', 1799), हेनरिक वोन क्लेस्ट और फ्रेडरिक होल्डर्लिन .
बाद में हेदेल्बर्ग जर्मन स्वछंदतावाद का केंद्र बन गया, जहाँ क्लेमेन्स ब्रेंटेनो, अशीम वोन अर्निम और जोसेफ फ्रेहर वोन आयेशनडोर्फ़ जैसे लेखक और कवि साहित्यिक मंडली में नियमित रूप से मिला करते थे।
 
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रशिया में, स्वछंदतावाद का मुख्य कारण [[अलेक्सांद्र पूश्किन|एलेक्सजेंडर पुश्किन]] थे। मिखैल लार्मोंटोव ने समाज और स्वयं से आध्यात्मिक असंतुष्टि के वास्तावुक कारणों के विश्लेषण और उन पर प्रकाश डालने का प्रयास किया और लार्ड बायरन द्वारा काफी प्रभावित हुए. कवि फ्योदोर तुत्शेव भी रशिया के आन्दोलन के एक मुख्य व्यक्ति थे और वह जर्मन रूमानियत से अत्यधिक प्रभावित थे।
[[चित्र:Theodore Gericault Raft of the Medusa-1.jpg|thumb|left|250px|थिओडोर गैरीकॉल्ट, द रफत ऑफ़ द मेड्युसा, 1819]]
संयुक्त राज्य अमेरिका में, रोमानी गोथिक साहित्य वाशिंगटन इरविंग के ''द लीजेंड ऑफ़ स्लीपी हौलो'' (1820) और ''रिप वेन विंकल'' (1819) के साथ ही प्रारंभ में ही प्रकट हो गया था, जो फिर 1823 में जेम्स फेनिमोर कूपर के ''लेदरस्टाकिंग्स टेल्स'' से आगे बड़ा, जिसमे उनका बल वीरतापूर्ण सादगी पर था और उनके द्वारा एस सुन्दर दृष्योंका उत्कट चित्रण जोकि पहले से ही अदभुद एवं मिथकपूर्ण सीमान्त प्रदेश हैं, जहाँ के निवासी "कुलीन असभ्य" थे, जोकि रूसो के दार्शनिक सिद्धांत के सामान है और ''द लास्ट ऑफ़ द मोहिकैंस'' के उन्कैस द्वारा उद्धृत है। वाशिंगटन इरविंग के निबंधों और खासकर उनके यात्रा वृत्तांतों में "स्थानीय रंग" के सुरम्य तत्व हैं। [[एडगर ऍलन पो|एडगर एलन पो]] की विकराल कहानियां और उनके गीतकाव्य उनके देश से अधिक प्रभावशाली फ़्रांस में थे, लेकिन रोमानी अमेरिकी उपन्यास का पूर्ण विकास नेथेनियल हौथोर्न के एटमोस्फियर और मेलोड्रामा से हुआ। बाद के श्रेष्ठ लेखक जैसे हेनरी डेविड थोरेऔ और [[राल्फ वाल्डो इमर्सन|राल्फ वाल्डो एमर्सन]] के कार्यों में अभी भी इसके प्रभाव और कल्पना के तत्त्व दिखाई पड़ते हैं, जैसे की वॉल्ट व्हिटमैन के रोमानी यथार्थवाद में. लेकिन 1880 के दौरान, उपन्यासों में मनोवैज्ञानिक और सामाजिक यथार्थवाद की स्वछंदतावाद से प्रतिस्पर्धा होने लगी.लगी। एमिली डेकिनसन की कविता- जो कि उनके समय में लगभग नहीं ही पढ़ी गयी थी और हरमैन मेलविले के उपन्यास ''मोबी-डिक'' को अमेरिकी रोमानी साहित्य के प्रतीक के रूप में देखा जा सकता है।
 
=== अमेरिकी लेखकों पर यूरोपीय स्वच्छंदतावाद का प्रभाव ===
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स्वच्छंदतावाद अमेरिकी राजनीति, दार्शनिकता और कला के क्षेत्र में लोकप्रिय बन गया.गया। इस आन्दोलन ने अमेरिका के क्रन्तिकारी जोश और उन सभी लोगों को आकर्षित किया जोकि शुरूआती कठोर धार्मिक परम्परा व्यवस्था से मुक्त होने को आतुर थे।
रूमानियत ने तर्कवाद और धार्मिक बौद्धिकता को अस्वीकार कर दिया। इसने केल्विनवाद के विरोधियों को आकर्षित किया, जिसमे यह विशवास सम्मिलित था कि ब्रह्माण्ड और इसके अंतर्गत सभी घटनाएँ, ईश्वर कि शक्ति पर आधरित हैं। इस रोमानी आन्दोलन ने नव इंग्लैंड श्रेष्ठ्वाद को जन्म दिया जोकि ईश्वर और ब्रह्माण्ड के मध्य के सम्बन्ध को कम प्रतिबंधात्मक रूप में प्रदर्शित करता था। इस नए धर्म ने व्यक्ति के ईश्वर के साथ सम्बन्ध को अधिक निजी रूप में प्रस्तुत किया। श्रेष्ठातावाद और स्वछंदतावाद दोनों ने ही सामान रूप से अमेरिकियों को आकर्षित किया।
 
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रोमानी युग की रचनायें साहित्य का एक विशाल एवं अनूठा संग्रह है। हालांकि इस सभी रचनाओं में तीन बातें सामान हैं- प्रकृति-प्रेम, राष्ट्रवाद की भावना और विशिष्ट आकर्षण की भावना. इन साधारण अभिलक्षणों को इस बात से जोड़ के देखा जा सकता है कि ये रचनायें राजनैतिक उथल-पुथल के समय लिखी गयी हैं। उदाहरण के लिए, रोमानी साहित्य में राष्ट्रवाद इस तथ्य को इंगित करता है कि उस समय के लेखक अपने देश, देशवासियों और उनके ध्येय पर अभिमान करते थे। यह उन लेखकों के स्वयं लड़ने का तरीका था<ref name="ReferenceA" />.
 
इसके अलावा, रोमानी युग का लेखन उसके पहले किये गए लेखन से बहुत अलग है, जिसमें उन्होंने "जन-साधारण" की बातें की हैं। रोमानी लेखकों का लक्ष्य रहा कि साहित्य एवं कला सभी के लिए, आम आदमी के लिए हों न कि सिर्फ धनी एवं विशिष्ट जनों के लिए.लिए। रोमानी युग के पहले का अधिकांश साहित्य और उसकी शैली सिर्फ धनी उच्च-वर्ग पर केन्द्रित थी। रोमानी लेखकों का इसे बदलने में हाथ था - और ऐसा इसलिए क्योंकि शायद वे जन-साधारण के साथ जुड़ने की कोशिश कर रहे थे। युद्ध और राजनैतिक बेचैनी के समय में ये लेखक अपने समकक्ष जनों से जुड़ने की कोशिश कर रहे थे और ये उनसे ऊपर के स्तर के लोगों के विपरीत था जो कि लड़ाई को बढ़ावा देते थे<ref name="ReferenceA" />.
 
रोमानी काल के दौरान, हम महिला लेखकों में वृद्धि को देख सकते हैं। यह भी इस तथ्य कि पुष्टि करता है कि यह समय युद्ध से भरपूर था। महिलाएं अपने घर पर ही रहती थीं, उनके पास अपनी भावनाओं को व्यक्त करने, ध्येय के लिए लड़ने और अपने साथियों से जुड़ने का और कोई मार्ग नहीं था। मैरी फ़ावरेट और उनके जैसी महिला रोमानी लेखिकाएं ऐसी भावनाओं से प्रभावित हैं जो कभी-कभी स्वयं युद्ध का सन्दर्भ बन जाती हैं, उदाहरण के लिए फ़ावरेट की "''वार इन द एयर'' "<ref name="ReferenceA" />.
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शुरूआती रोमानी राष्ट्रवाद का रूसो ने अत्यधिक समर्थन किया और जोहन गोटफ्राइड वों हर्डर के सुझावों द्वारा, जिन्होंने 1784 में यह तर्क दिया कि भूगोल व्यक्ति की प्राकृतिक अर्थव्यवस्था की रचना करता है और उनके समाज व् रिवाजों को एक आकार प्रदान करता है।
 
राष्ट्रवाद की प्रकृति नाटकीय रूप से बदल गयी, हालाँकि [[फ़्रांसीसी क्रांति|फ़्रांसिसी क्रांति]] के बाद नेपोलियन के उत्थान के साथ, अन्य देशों की इसके प्रति प्रतिक्रिया में भी बदलाव आया। पहले तो नेपोलियन का राष्ट्रवाद और समाजवाद अन्य राष्ट्रों के आन्दोलनों के लिए प्रेरणादायक थे:स्व निर्धारण और राष्ट्रीय एकता के प्रति जागरूकता दो ऐसे कारण समझे जाते थे जिससे फ़्रांस युद्ध में अन्य देशों को पराजित करने में सफल हो सका। पर जैसे जैसे फ़्रांसिसी गणराज्य नेपोलियन के साम्राज्य में आ गया, नेपोलियन राष्ट्रीयता के लिए प्रेरणा के स्थान पर इसके संघर्ष का प्रतीक बन गए। [[प्रुशिया]] में, नेपोलियन के विरुद्ध संघर्ष में सम्मिलित होने के लिए आध्यात्मिक नवीकरण के विकास पर केन्त के शिष्य जोहान गोटीलेब फिष्ट तथा अन्य के द्वारा विचार किया गया.गया। शब्द ''वोल्कस्टम'', या राष्ट्रीयता, की शुरुआत जर्मनी में विजयी सम्राट के प्रतिरोध में की गयी थी। फिष्ट ने अपने 1806 के भाषण "टू द जर्मन नेशन" में भाषाओँ और राष्ट्र की एकता पर विचार व्यक्त किये.किये।
[[चित्र:Gallen Kallela The Forging of the Sampo.jpg|right|thumb|अक्सेली गैलेन-कैलेला, द फोर्जिंग ऑफ़ द सैम्पो, 1893फिनलैंड का एक कलाकार जो कैलेवैला के संकलन से प्रेरणा ले रहा था।]]
<blockquote>''जो लोग एक ही भाषा बोलते हैं वह एक दूसरे से प्रकृति के अनेकों अदृश्य बंधनों के द्वारा जुड़े हैं, किसी मानव कला के विकसित होने से बहुत पहले ही; वह एक दूसरे को समझने लगते हैं और स्वयं को और भी अधिक स्पष्ट रूप से समझने योग्य बनाने लगते हैं; उनका अस्तित्व एक साथ रहने में ही है और वह पूर्णएक हैं जिसे अलग नहीं किया जा सकता.....'' ''मात्र तब ही जब प्रत्येक व्यक्ति को स्वयं पर छोड़ दिया जायेगा और वह अपनी विशिष्ट प्रतिभाओं के आधार पर स्वयं को बनाएगा और सिर्फ तब ही, जब प्रत्येक व्यक्ति उन्ही उभयनिष्ठ विशिष्टताओं के आधार पर स्वयं को विकसित करेगा- तब और सिर्फ तब ही, अपने सही मायनों में ईश्वरत्व का आविर्भाव होगा जैसा कि होना चाहिए.'' </blockquote>
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{{सौन्दर्यशास्त्र}}
}}
 
 
[[श्रेणी:सौंदर्यशास्त्र के सिद्धांत]]