"चार्वाक दर्शन": अवतरणों में अंतर

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चार्वाक दर्शन वह दर्शन है जो जन सामान्य में स्वभावत: प्रिय है। जिस दर्शन के वाक्य चारु अर्थात रुचिकर हों वह चार्वाक दर्शन है। सभी शास्त्रीय गम्भीर विषयों का व्यावहारिक एवं लौकिक पूर्व पक्ष ही चार्वाक दर्शन है। सहज रूप में जो कुछ हम करते हैं वह सब कुछ चार्वाक दर्शन का आधार है। चार्वाक दर्शन जीवन के हर पक्ष को सहज दृष्टि से देखता है। जीवन के प्रति यह सहज दृष्टि ही चार्वाक दर्शन है। वास्तविकता तो यह है कि, विश्व का हर मानव जो जीवन जीता है वह चार्वाक दर्शन ही है।
ऐसे वाक्य और सिद्धान्त जो सबको रमणीय लगें लोक में आयत या विश्रुत आवश्य होंगे। सम्भवत: यही कारण है कि हम चार्वाक दर्शन को लोकायत दर्शन के नाम से भी जानते हैं। यह दर्शन बार्हस्पत्य दर्शन के नाम से भी विद्वानों में प्रसिद्ध है। इस नाम से यह प्रतीत होता है कि यह दर्शन बृहस्पति के द्वारा विरचित है।
 
===चार्वाक दर्शन के प्रणेता बृहस्पति===