"चम्पारण सत्याग्रह": अवतरणों में अंतर
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== पृष्ठभूमि एवं परिचय ==
हजारों भूमिहीन मजदूर एवं गरीब [[किसान]] खाद्यान के बजाय [[नील]] और अन्य नकदी फसलों की खेती करने के लिये वाध्य हो गये थे। वहाँ पर नील की खेती करने वाले किसानों पर बहुत अत्याचार हो रहा था। अंग्रेजों की ओर से खूब शोषण हो रहा था। ऊपर से कुछ बगान मालिक भी जुल्म
फैसला स्थगित कर दिया गया। इसके बाद गांधीजी फिर अपने कार्य पर निकल पड़े। अब उनका पहला उद्देश लोगों को 'सत्याग्रह' के मूल सिद्धातों से परिचय कराना था। उन्होंने स्वतंत्रता प्राप्त करने की पहली शर्त है - डर से स्वतंत्र होना। गांधीजी ने अपने कई स्वयंसेवकों को किसानों के बीच में भेजा। यहाँ किसानों के बच्चों को शिक्षित करने के लिए ग्रामीण विद्यालय खोले गये। लोगों को साफ-सफाई से रहने का तरीका सिखाया गया। सारी गतिविधियाँ गांधीजी के आचरण से मेल खाती थीं।इस दौरान गांधी जी<ref>http://www.univarta.com/gandhi-thought-rajendra-kripalani-and-anugrah-to-make-their-own-food/features/news/841521.html</ref>ने राजेंद्र बाबू,आचार्य कृपलानी और अनुग्रह बाबू जैसे सहयोगियों को भोजन बनाना एवं घर के अन्य काम खुद करना सीखा दिया था। स्वयंसेवकों ले मैला ढोने, धुलाई, झाडू-बुहारी तक का काम किया।।चंपारण के इस ऐतिहासिक संघर्ष में<ref>http://www.livehindustan.com/news/guestcolumn/article1-mahatma-gandhi-satyagraha-champaran-527688.html</ref> डॉ [[राजेंद्र प्रसाद]], डॉ [[अनुग्रह नारायण सिंह]], [[आचार्य कृपलानी]] समेत चंपारण के किसानों ने अहम भूमिका निभाई।
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