"दमाल कृष्णास्वामी पट्टम्माल": अवतरणों में अंतर

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श्रीमती डामल कृष्णस्वामी पट्टम्माल (डी. के. पट्टम्माल) कर्णाटक संगीत के विख्यात गायिकाओं में गिनी जातीं हैं। आप तथा आपकी दो समवयस्क गायिकाएं ([[एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी]] और एम. एल. वसन्तकुमारी) “कर्णातक संगीत की त्रिमूर्तियां” कहलातीं हैं।
 
श्रीमती पट्टम्माल का जन्म २ मर्च १९१९ को कांचीपुरम (तमिल नाड्) में हुआ। आपके पिता का नाम डामल कृष्णस्वामी दीक्षितर था, तथा आपकी माता का नाम राजम्माल था। आपने १४ साल की छोटी आयु में ही संगीत का पहला सार्वजनिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया, इसके पस्चात् आपने तेज़ी से ख्याति प्राप्त की।
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[[चित्र:DKPattammal-DKJayaraman-young.jpg|thumb|left|डी. क. पट्टम्माल (दायें ओर पर), अपने भाई डी. के. जयरामन के साथ गातीं हुईं (लग्भग १९४०-४५)]]
 
श्रीमती पट्टम्माल ने कई सम्मन एवं पुरस्कार हासिल किए। जैसे, आपने १९७० में संगीत कलानिधि (कर्णटककर्णाटक संगीत का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार), एवं भारत सर्कार से १९७१ में पद्म भूषण और १९९८ में पद्म विभूषण प्राप्त किए।
 
श्रीमती पट्टम्माल ने मुत्तुस्वामी दीक्षितर, पापनाशम शिवन एवं सुब्रह्मण्य भारती के अनेक रचनाओं को प्रचलित किया। विशेष्तः आपने मुत्तुस्वामि दिक्षितर की रचनाओं के वास्तविक पाठान्तर अम्बि दिक्षितर तथा जस्टिस टी. एल. वेंकटराम अय्यर से सीखा।
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श्रीमती पट्टम्माल के विषेश गान-संबंधी गुण हैं आपका असामान्य लाक्षणिक ज्ञान, श्रुती/ताल के प्रति आपकी दृढता, तथा साहित्य (lyrics) का साफ उच्चारण। आपके अनुपम संगीत शैली की ओर अनेक विद्यार्थी आकर्षित हुए। इन्में अग्रगण्य हैं डी. के. जयरामन (आपके छोटे भाई, जिन्होंने खुद १९९० में संगीत कलानिधि प्राप्त किया)। आपके अन्य प्रसिद्ध विद्यार्थियों में शामिल हैं चारुमती रामचन्द्रन, गीता राजशेखर, तथा आपकी पोती नित्यश्री महादेवन।
 
अन्ग्रेज़ी में यह लेख: [[en:DK Pattammal]]