"शाह जहाँ": अवतरणों में अंतर

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सम्राट [[जहाँगीर का मकबरा|जहाँगीर]] के मौत के बाद, छोटी उम्र में ही उन्हें मुगल सिंहासन के उत्तराधिकारी के रूप में चुन लिया गया था। 1627 में अपने पिता की मृत्यु होने के बाद वह गद्दी पर बैठे। उनके शासनकाल को [[मुग़ल साम्राज्य|मुग़ल]] शासन का स्वर्ण युग और भारतीय सभ्यता का सबसे समृद्ध काल बुलाया गया है।
 
शाहजहाँ के हरम में ८००० रखैलें थीं जो उसे उसके पिता जहाँगीर से विरासत में मिली थी। उसने बाप की सम्पत्ति को और बढ़ाया। उसने हरम की महिलाओं की व्यापक छाँट की तथा बुढ़ियाओं को भगा कर और अन्य हिन्दू परिवारों से बलात लाकर हरम को बढ़ाता ही रहा।”(अकबर दी ग्रेट मुगल : वी स्मिथ, पृष्ठ ३५९) कहते हैं कि उन्हीं भगायी गयी महिलाओं से दिल्ली
शाहजहाँ के हरम में ८००० रखैलें थीं जो उसे
 
का रेडलाइट एरिया जी.बी. रोड गुलजार हुआ था और वहाँ इस धंधे की शुरूआत हुई थी। जबरन अगवा की हुई हिन्दू महिलाओं की यौन-गुलामी और यौन व्यापार को शाहजहाँ प्रश्रय देता था, और अक्सर अपने मंत्रियों और सम्बन्धियों को पुरस्कार स्वरूप अनेकों हिन्दू महिलाओं को उपहार में दिया करता था। यह नर पशु,यौनाचार के प्रति इतना आकर्षित
उसके पिता जहाँगीर से विरासत में मिली थी।
 
और उत्साही था,कि हिन्दू महिलाओं का मीना बाजार लगाया करता था,यहाँ तक कि अपने महल में भी।
उसने बाप की सम्पत्ति को और बढ़ाया।
 
सुप्रसिद्ध यूरोपीय यात्री फ्रांकोइस बर्नियर ने इस विषय में टिप्पणी की थी कि, ”महल में बार-बार लगने वाले मीना बाजार,
उसने हरम की महिलाओं की व्यापक छाँट
 
जहाँ अगवा कर लाई हुई सैकड़ों हिन्दू महिलाओं का, क्रय-विक्रय हुआ करता था,राज्य द्वारा बड़ी संख्या में नाचने वाली लड़कियों की व्यवस्था,और नपुसंक बनाये गये सैकड़ों लड़कों की हरमों में उपस्थिती, शाहजहाँ की अनंत वासना के समाधान
की तथा बुढ़ियाओं को भगा कर और अन्य
 
के लिए ही थी। (टे्रविल्स इन दी मुगल ऐम्पायर- फ्रान्कोइसबर्नियर :पुनः लिखित वी. स्मिथ, औक्सफोर्ड १९३४)
हिन्दू परिवारों से बलात लाकर हरम को
 
<nowiki>**</nowiki>शाहजहाँ को प्रेम की मिसाल के रूप पेश किया जाता रहा है और किया भी क्यों न जाए। ८००० औरतों को अपने हरम में रखने वाला अगर किसी एक में ज्यादा रुचि दिखाए तो वो उसका प्यार ही कहा जाएगा।आप यह जानकर हैरान हो जायेंगे
बढ़ाता ही रहा।”
 
कि मुमताज का नाम मुमताज महल था ही नहीं बल्कि उसका असली नाम “अर्जुमंद-बानो-बेगम” था। और तो और जिस शाहजहाँ और मुमताज के प्यार की इतनी डींगे हांकी जाती है वो शाहजहाँ की ना तो पहली पत्नी थी ना ही आखिरी ।
(अकबर दी ग्रेट मुगल : वी स्मिथ, पृष्ठ ३५९)
 
मुमताज शाहजहाँ की सात बीबियों में चौथी थी। इसका मतलब है कि शाहजहाँ ने मुमताज से पहले 3 शादियाँ कर रखी थी और,मुमताज से शादी करने के बाद भी उसका मन नहीं भरा तथा उसके बाद भी उस ने 3 शादियाँ और की यहाँ तक कि मुमताज के मरने के एक हफ्ते के अन्दर ही उसकी बहन फरजाना से शादी कर ली थी। जिसे उसने रखैल बना कर रखा हुआ था जिससे शादी करने से पहले ही शाहजहाँ को एक बेटा भी था। अगर शाहजहाँ को मुमताज से इतना ही प्यार था तो मुमताज से शादी के बाद भी शाहजहाँ ने 3 और शादियाँ क्यों की….????? अब आप यह भी जान लो कि शाहजहाँ की सातों
कहते हैं कि उन्हीं भगायी गयी महिलाओं से दिल्ली
 
बीबियों में सबसे सुन्दर मुमताज नहीं बल्कि इशरत बानो थी जो कि उसकी पहली पत्नी थी । उस से भी घिनौना तथ्य यह है कि शाहजहाँ से शादी करते समय मुमताज कोई कुंवारी लड़की नहीं थी बल्कि वो शादीशुदा थी और,उसका पति शाहजहाँ की सेना में सूबेदार था जिसका नाम “शेर अफगान खान” था।शाहजहाँ ने शेर अफगान खान की हत्या कर मुमताज से शादी की थी। गौर करने लायक बात यह भी है कि ३८ वर्षीय मुमताज की मौत कोई बीमारी या एक्सीडेंट से नहीं बल्कि चौदहवें बच्चे को जन्म देने के दौरान अत्यधिक कमजोरी के कारण हुई थी। यानी शाहजहाँ ने उसे बच्चे पैदा करने की मशीन
का रेडलाइट एरिया जी.बी. रोड गुलजार हुआ था
 
ही नहीं बल्कि फैक्ट्री बनाकर मार डाला। <nowiki>**</nowiki>शाहजहाँ कामुकता के लिए इतना कुख्यात था कि कई इतिहासकारों ने उसे उसकी अपनी सगी बेटी जहाँआरा के साथ स्वयं सम्भोग करने का दोषी कहा है। शाहजहाँ और मुमताज महल की बड़ी बेटी
और वहाँ इस धंधे की शुरूआत हुई थी।
 
जहाँआरा बिल्कुल अपनी माँ की तरह लगती थी। इसीलिए मुमताज की मृत्यु के बाद उसकी याद में
जबरन अगवा की हुई हिन्दू महिलाओं की
 
लम्पट शाहजहाँ ने अपनी ही बेटी जहाँआरा को फंसाकर भोगना शुरू कर दिया था। जहाँआरा को शाहजहाँ इतना प्यार करता था कि उसने उसका निकाह तक होने न दिया। बाप-बेटी के इस प्यार को देखकर जब महल में
यौन-गुलामी और यौन व्यापार को शाहजहाँ
 
चर्चा शुरू हुई,तो मुल्ला-मौलवियों की एक बैठक बुलाई गयी और उन्होंने इस पाप को जायज ठहराने
प्रश्रय देता था, और अक्सर अपने मंत्रियों
 
और सम्बन्धियों को पुरस्कार स्वरूप अनेकों
 
हिन्दू महिलाओं को उपहार में दिया करता था।
 
यह नर पशु,यौनाचार के प्रति इतना आकर्षित
 
और उत्साही था,कि हिन्दू महिलाओं का मीना
 
बाजार लगाया करता था,यहाँ तक कि अपने
 
महल में भी।
 
सुप्रसिद्ध यूरोपीय यात्री फ्रांकोइस बर्नियर
 
ने इस विषय में टिप्पणी की थी कि,
 
”महल में बार-बार लगने वाले मीना बाजार,
 
जहाँ अगवा कर लाई हुई सैकड़ों हिन्दू महिलाओं
 
का, क्रय-विक्रय हुआ करता था,राज्य द्वारा बड़ी
 
संख्या में नाचने वाली लड़कियों की व्यवस्था,और
 
नपुसंक बनाये गये सैकड़ों लड़कों की हरमों में
 
उपस्थिती, शाहजहाँ की अनंत वासना के समाधान
 
के लिए ही थी।
 
(टे्रविल्स इन दी मुगल ऐम्पायर-
 
फ्रान्कोइसबर्नियर :पुनः लिखित वी. स्मिथ,
 
औक्सफोर्ड १९३४)
 
<nowiki>**</nowiki>शाहजहाँ को प्रेम की मिसाल के रूप पेश किया
 
जाता रहा है और किया भी क्यों न जाए।
 
८००० औरतों को अपने हरम में रखने वाला अगर
 
किसी एक में ज्यादा रुचि दिखाए तो वो उसका प्यार
 
ही कहा जाएगा।आप यह जानकर हैरान हो जायेंगे
 
कि मुमताज का नाम मुमताज महल था ही नहीं
 
बल्कि उसका असली नाम “अर्जुमंद-बानो-बेगम” था।
 
और तो और जिस शाहजहाँ और मुमताज के प्यार
 
की इतनी डींगे हांकी जाती है वो शाहजहाँ की ना
 
तो पहली पत्नी थी ना ही आखिरी ।
 
मुमताज शाहजहाँ की सात बीबियों में चौथी थी।
 
इसका मतलब है कि शाहजहाँ ने मुमताज से पहले
 
3 शादियाँ कर रखी थी और,मुमताज से शादी करने
 
के बाद भी उसका मन नहीं भरा तथा उसके बाद भी
 
उस ने 3 शादियाँ और की यहाँ तक कि मुमताज के
 
मरने के एक हफ्ते के अन्दर ही उसकी बहन फरजाना
 
से शादी कर ली थी।
 
जिसे उसने रखैल बना कर रखा हुआ था जिससे शादी
 
करने से पहले ही शाहजहाँ को एक बेटा भी था।
 
अगर शाहजहाँ को मुमताज से इतना ही प्यार था तो मुमताज से शादी के बाद भी शाहजहाँ ने 3 और
 
शादियाँ क्यों की….?????
 
अब आप यह भी जान लो कि शाहजहाँ की सातों
 
बीबियों में सबसे सुन्दर मुमताज नहीं बल्कि इशरत
 
बानो थी जो कि उसकी पहली पत्नी थी ।
 
उस से भी घिनौना तथ्य यह है कि शाहजहाँ से
 
शादी करते समय मुमताज कोई कुंवारी लड़की
 
नहीं थी बल्कि वो शादीशुदा थी और,उसका पति शाहजहाँ की सेना में सूबेदार था जिसका नाम “शेर अफगान खान” था।शाहजहाँ ने शेर अफगान खान
 
की हत्या कर मुमताज से शादी की थी।
 
गौर करने लायक बात यह भी है कि ३८ वर्षीय
 
मुमताज की मौत कोई बीमारी या एक्सीडेंट से
 
नहीं बल्कि चौदहवें बच्चे को जन्म देने के दौरान
 
अत्यधिक कमजोरी के कारण हुई थी।
 
यानी शाहजहाँ ने उसे बच्चे पैदा करने की मशीन
 
ही नहीं बल्कि फैक्ट्री बनाकर मार डाला।
 
<nowiki>**</nowiki>शाहजहाँ कामुकता के लिए इतना कुख्यात
 
था कि कई इतिहासकारों ने उसे उसकी अपनी
 
सगी बेटी जहाँआरा के साथ स्वयं सम्भोग करने
 
का दोषी कहा है।
 
शाहजहाँ और मुमताज महल की बड़ी बेटी
 
जहाँआरा बिल्कुल अपनी माँ की तरह लगती थी।
 
इसीलिए मुमताज की मृत्यु के बाद उसकी याद में
 
लम्पट शाहजहाँ ने अपनी ही बेटी जहाँआरा को
 
फंसाकर भोगना शुरू कर दिया था।
 
जहाँआरा को शाहजहाँ इतना प्यार करता था
 
कि उसने उसका निकाह तक होने न दिया।
 
बाप-बेटी के इस प्यार को देखकर जब महल में
 
चर्चा शुरू हुई,तो मुल्ला-मौलवियों की एक बैठक
 
बुलाई गयी और उन्होंने इस पाप को जायज ठहराने
 
के लिए एक हदीस का उद्धरण दिया और कहा कि – “माली को अपने द्वारा लगाये पेड़ का फल खाने का
 
हक़ है”।
 
(Francois Bernier wrote,
Line 207 ⟶ 75:
say that,it was the privilege of a planter
 
to taste the fruit of the tree he had planted.”)
 
planted.”)
 
<nowiki>**</nowiki>इतना ही नहीं जहाँआरा के किसी भी आशिक
 
को वह उसके पास फटकने नहीं देता था।
 
कहा जाता है की एकबार जहाँआरा जब अपने एक आशिक के साथ इश्क लड़ा रही थी तो शाहजहाँ आ
 
गया जिससे डरकर वह हरम के तंदूर में छिप गया, शाहजहाँ नेतंदूर में आग लगवा दी और उसे जिन्दा
 
जला दिया।
 
<nowiki>**</nowiki>दरअसल अकबर ने यह नियम बना दिया था
 
कि मुगलिया खानदान की बेटियों की शादी नहीं
 
होगी।
 
इतिहासकार इसके लिए कई कारण बताते हैं।
 
इसका परिणाम यह होता था कि मुग़लखानदान
 
की लड़कियां अपने जिस्मानी भूख मिटाने के लिए
 
अवैध तरीके से दरबारी,नौकर के साथ साथ,रिश्तेदार
 
यहाँ तक की सगे सम्बन्धियों का भी सहारा लेती थी।
 
<nowiki>**</nowiki>जहाँआरा अपने लम्पट बाप के लिए लड़कियाँ भी
 
फंसाकर लाती थी।
 
जहाँआरा की मदद से शाहजहाँ ने मुमताज के भाई
 
शाइस्ता खान की बीबी से कई बार बलात्कार किया था।
 
<nowiki>**</nowiki>शाहजहाँ के राजज्योतिष की 13 वर्षीय ब्राह्मण
 
लडकी को जहाँआरा ने अपने महल में बुलाकर धोखे
 
से नशा करा बाप के हवाले कर दिया था जिससे शाहजहाँ
 
ने 58 वें वर्ष में उस 13 बर्ष की ब्राह्मण कन्या से निकाह
 
किया था।
 
बाद में इसी ब्राहम्ण कन्या ने शाहजहाँ के कैद होने के
 
बाद औरंगजेब से बचने और एक बार फिर से हवस की
 
सामग्री बनने से खुद को बचाने के लिए अपने ही हाथों
 
अपने चेहरे पर तेजाब डाल लिया था।
 
<nowiki>**</nowiki>शाहजहाँ शेखी मारा करता था कि ‘ ‘वह तिमूर
 
<nowiki>**</nowiki>इतना ही नहीं जहाँआरा के किसी भी आशिक को वह उसके पास फटकने नहीं देता था। कहा जाता है की एकबार जहाँआरा जब अपने एक आशिक के साथ इश्क लड़ा रही थी तो शाहजहाँ आ गया जिससे डरकर वह हरम के तंदूर में छिप गया, शाहजहाँ नेतंदूर में आग लगवा दी और उसे जिन्दा जला दिया। <nowiki>**</nowiki>दरअसल अकबर ने यह नियम बना दिया था
(तैमूरलंग)का वंशज है जो भारत में तलवार और
 
कि मुगलिया खानदान की बेटियों की शादी नहीं होगी। इतिहासकार इसके लिए कई कारण बताते हैं। इसका परिणाम यह होता था कि मुग़लखानदान
अग्नि लाया था।
 
की लड़कियां अपने जिस्मानी भूख मिटाने के लिए अवैध तरीके से दरबारी,नौकर के साथ साथ,रिश्तेदार यहाँ तक की सगे सम्बन्धियों का भी सहारा लेती थी।
उस उजबेकिस्तान के जंगली जानवर तिमूर से और
 
<nowiki>**</nowiki>जहाँआरा अपने लम्पट बाप के लिए लड़कियाँ भी फंसाकर लाती थी। जहाँआरा की मदद से शाहजहाँ ने मुमताज के भाई शाइस्ता खान की बीबी से कई बार बलात्कार किया था।
उसकी हिन्दुओं के रक्तपात की उपलब्धि से इतना
 
<nowiki>**</nowiki>शाहजहाँ के राजज्योतिष की 13 वर्षीय ब्राह्मण लडकी को जहाँआरा ने अपने महल में बुलाकर धोखे से नशा करा बाप के हवाले कर दिया था जिससे शाहजहाँ
प्रभावित था कि ”उसने अपना नाम तिमूरद्वितीय
 
ने 58 वें वर्ष में उस 13 बर्ष की ब्राह्मण कन्या से निकाह किया था। बाद में इसी ब्राहम्ण कन्या ने शाहजहाँ के कैद होने के बाद औरंगजेब से बचने और एक बार फिर से हवस की
रख लिया”।
 
सामग्री बनने से खुद को बचाने के लिए अपने ही हाथों अपने चेहरे पर तेजाब डाल लिया था। <nowiki>**</nowiki>शाहजहाँ शेखी मारा करता था कि ‘ ‘वह तिमूर (तैमूरलंग)का वंशज है जो भारत में तलवार और अग्नि लाया था। उस उजबेकिस्तान के जंगली जानवर तिमूर से और उसकी हिन्दुओं के रक्तपात की उपलब्धि से इतना प्रभावित था कि ”उसने अपना नाम तिमूरद्वितीय
(दी लीगेसी ऑफ मुस्लिम रूल इन इण्डिया-
 
रख लिया”। (दी लीगेसी ऑफ मुस्लिम रूल इन इण्डिया- डॉ. के.एस. लाल, १९९२ पृष्ठ- १३२).
 
<nowiki>**</nowiki>बहुत प्रारम्भिक अवस्था से ही शाहजहाँ ने काफिरों