"राजा मान सिंह": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
छो 2405:204:E286:682C:A587:4F41:69AE:1AF0 (Talk) के संपादनों को हटाकर Sanjeev bot... |
Anuragrana18 (वार्ता | योगदान) |
||
पंक्ति 31:
== निधन ==
"मुस्लिम इतिहासकारों ने लिखा है हिजरी १०२४ सन १६१५ ईस्वी में मानसिंह की बंगाल में मृत्यु हुई, परन्तु दूसरे इतिहासकारों के विवरण से पता चलता है कि मानसिंह उत्तर की तरफ खिलजी बादशाह से युद्ध करने गया था जहाँ वह सन १६१७ ईस्वी में मारा गया।...मानसिंह के देहांत के बाद उसका बेटा भावसिंह गद्दी पर बैठा."<ref>8.'''राजस्थान का इतिहास''' : कर्नल [[जेम्स टॉड]], साहित्यागार प्रकाशन, जयपुर</ref>
<u><big>मंदिरों का निर्माण</big></u>
राजा मानसिंह ने अपने जीवनकाल में कई मंदिरों का निर्माण, कईयों का जीर्णोद्धार व कई मंदिरों के रख रखाव की व्यवस्था कर सनातन के प्रचार प्रसार में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई| यही नहीं राजा मानसिंह ने सनातन मंदिरों के लिए अकबर के खजाने का भरपूर उपयोग किया और दिल खोलकर अकबर के राज्य की भूमि मंदिरों को दान में दी| बनारस में राजा मानसिंह ने मंदिर व घाट के निर्माण पर अपने एक लाख रूपये के साथ अकबर के खजाने से दस लाख रूपये खर्च कर दिए थे, जिसकी शिकायत जहाँगीर ने अकबर से की थी, पर अकबर ने उसकी शिकायत को अनसुना कर मानसिंह का समर्थन किया|
राजा मानसिंह ने अपने राज्य आमेर के साथ साथ बिहार, बंगाल और देश के अन्य स्थानों पर कई मंदिर बनवाये| पटना जिले बरह उपखण्ड के बैंकटपुर में राजा मानसिंह ने एक शिव मंदिर बनवाया और उसके रखरखाव की समुचित व्यवस्था की जिसका फरमान आज भी मुख्य पुजारी के पास उपलब्ध है| इसी तरह गया के मानपुर में भी राजा ने एक सुन्दर शिव मंदिर का निर्माण कराया, जिसे स्वामी नीलकंठ मंदिर के नाम से जाना जाता है| इस मंदिर में विष्णु, सूर्य, गणेश और शक्ति की प्रतिमाएं भी स्थापित की गई थी| मि. बेगलर ने बंगाल प्रान्त की सर्वेक्षण यात्रा 1872-73 की अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि- “राजा मानसिंह ने बड़ी संख्या में मंदिर बनाये और पुरानों का जीर्णोद्धार करवाया| ये मंदिर आज भी बिहार में बंगाल के उपखंडों में विद्यमान है| रोहतास किले में भी राजा मानसिंह द्वारा मंदिर बनवाये गए थे|
मथुरा के तत्कालीन छ: गुंसाईयों में से एक रघुनाथ भट्ट के अनुरोध पर राजा मानसिंह ने वृन्दावन में गोविन्ददेव का मंदिर बनवाया था|
आमेर के किले शिलादेवी का मंदिर भी राजा मानसिंह की ही देन है| शिलादेवी की प्रतिमा राजा मानसिंह बंगाल में केदार के राजा से प्राप्त कर आमेर लाये थे| परम्पराएं इस बात की तस्दीक करती है कि राजा मानसिंह ने हनुमान जी की मूर्ति को और सांगा बाबा की मूर्ति को क्रमश: चांदपोल और सांगानेर में स्थापित करवाया था| आज भी लोक गीतों में गूंजता है-
आमेर की शिलादेवी, सांगानेर को सांगा बाबो ल्यायो राजा मान|
आमेर में जगत शिरोमणी मंदिर का निर्माण कर उसमें राधा और गिरधर गोपाल की प्रतिमाएं भी राजा मानसिंह द्वारा स्थापित करवाई हुई है|
मंदिर निर्माणों के यह तो कुछ ज्ञात व इतिहास में दर्ज कुछ उदाहरण मात्र है, जबकि राजा मानसिंह ने सनातन धर्म के अनुयायियों हेतु पूजा अर्चना के के कई छोड़े बड़े असंख्य मंदिरों का निर्माण कराया, पुराने मंदिरों का जीर्णोद्धार करवाया और कई मंदिरों के रखरखाव की व्यवस्था करवाकर एक तरह से सनातन धर्म के प्रसार में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई|
== सन्दर्भ ==
{{टिप्पणीसूची}}
|