"साहित्य दर्पण": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) छो बॉट: वर्तनी एकरूपता। |
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
||
पंक्ति 6:
'''प्रथम परिच्छेद''' में काव्य प्रयोजन, लक्षण आदि प्रस्तुत करते हुए ग्रंथकार ने मम्मट के काव्य लक्षण "तददोषौ शब्दार्थों सगुणावनलंकृती पुन: क्वापि" का खंडन किया है और अपने द्वारा प्रस्तुत लक्षण '''वाक्यं रसात्मकं काव्यम्''' को ही शुद्धतम काव्य लक्षण प्रतिपादित किया है। पूर्वमतखंडन एवं स्वमतस्थापन की यह पुरानी परंपरा है।
'''द्वितीय परिच्छेद''' में वाच्य और पद का लक्षण कहने के बाद शब्द की शक्तियों -
'''तृतीय परिच्छेद''' में रस-निष्पत्ति का विवेचन है और रसनिरूपण के साथ-साथ इसी परिच्छेद में नायक-नायिका-भेद पर भी विचार किया गया है।
|