"जे॰ बी॰ कृपलानी": अवतरणों में अंतर

→‎परिचय: उन्हों ने गृहस्त भूमिहार कॉलेज में पढ़ाया था।
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आचार्य जे. बी. कृपालानी [[हैदराबाद (सिन्ध)]] के उच्च मध्यवर्गीय परिवार में 1888 में पैदा हुए थे। उन्होंने [[पुणे]] में स्थित फरगूसन कॉलिज से स्नात्तक की परीक्षा उत्तीर्ण की और बाद में इतिहास और अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की परीक्षा पास की।
 
कृपलानी ने 1912 से 1917 तक बिहार में "गृहस्तग्रियर्स भूमिहार ब्राह्मण कॉलेज मुज़फ़्फ़रपुर"में अंग्रेजी और इतिहास के प्राध्यापक के रूप में अध्यापन कार्य किया। उन्होंने थोड़े समय के लिए [[बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय]] में भी पढ़ाया। कृपलानी [[चंपारण सत्याग्रह]] के दौरान महात्मां गांधी के सम्पर्क में आये। उन्होंने 1920 से 1927 तक महात्मा गांधी द्वारा स्थापित [[गुजरात विद्यापीठ]] में प्राधानाचार्य के रूप में नौकरी की। 1936 में वे [[सुचेता कृपलानी]] के साथ विवाह सूत्र में बंध गए।
 
कृपलानी ने 1934 से 1945 तक कांग्रेस के महासचिव के रूप मे सेवा की। उन्होंने 1921 से होने वाले कांग्रेस के सभी आन्दोलनों में हिस्सा लिया और अनेक बार जेल गये। सन् 1946 में उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। कांग्रेस के गठन और सरकार के संबंध को लेकर नेहरू और पटेल से मतभेद थे। अन्त में 1951 में उन्होंने कांग्रेस को अपना इस्तीफा प्रवृत कर दिया।