"गांधी-इरविन समझौता": अवतरणों में अंतर

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२९5 मार्च सन् १९३१1931 को [[लंदन]] [[द्वितीय गोल मेज सम्मेलन]] के पूर्व [[महात्मा गांधी]] और तत्कालीन वाइसराय [[लार्ड इरविन]] के बीच एक राजनैतिक समझौता हुआ जिसे '''गांधी-इरविन समझौता''' (Gandhi–Irwin Pact) कहते हैं।
 
ब्रिटिश सरकार प्रथम गोलमेज सम्मेलन से समझ गई कि बिना कांग्रेस के सहयोग के कोई फैसला संभव नहीं है। वायसराय लार्ड इरविन एवं महात्मा गांधी के बीच 5 मार्च 1931 को गाँधी-इरविन समझौता सम्पन्न हुआ। इस समझौते में लार्ड इरविन ने स्वीकार किया कि -