"बीमा": अवतरणों में अंतर

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'''बीमा''' (इंश्योरेंस) उस साधन को कहते हैं जिसके द्वारा कुछ शुल्क (जिसे प्रीमियम कहते हैं) देकर हानि का जोखिम दूसरे पक्ष (बीमाकार या बीमाकर्ता) पर डाला जा सकता है। जिस पक्ष का जोखिम बीमाकर पर डाला जाता है उसे 'बीमाकृत' कहते हैं। बीमाकार आमतौर पर एक कंपनी होती है जो बीमाकृत के हानि या क्षति को बांटने को तैयार रहती है और ऐसा करने में वह समर्थ होती है।
'''बीमा''' (इंश्योरेंस) एक प्रकार का [[अनुबंध]] (ठेका) है। दो या अधिक व्यक्तियों में ऐसा समझौता जो कानूनी रूप से लागू किया जा सके, अनुबंध कहलाता है। बीमा अनुबंध का व्यापक अर्थ है कि बीमापत्र (पॉलिसी) में वर्णित घटना के घटित होने पर बीमा करनेवाला एक निश्चित धनराशि बीमा करानेवाले व्यक्ति को प्रदान करता है। बीमा करानेवाला जो सामयिक प्रव्याजि (बीमाकिस्त, प्रीमीयम) बीमा करनेवाले को देता रहता है, वही इस अनुबंध का प्रतिदेय है। 'बीमा' शब्द [[फारसी]] से आया है जिसका भावार्थ है - 'जिम्मेदारी लेना'। [[डॉ॰ रघुवीर]] ने इसका अनुवाद किया है - 'आगोप'। उसका अंग्रेजी पर्याय "इंश्योरेंस" (Insurance) है।
 
'''बीमा''' (इंश्योरेंस) एक प्रकार का [[अनुबंध]] (ठेका) है। दो या अधिक व्यक्तियों में ऐसा समझौता जो कानूनी रूप से लागू किया जा सके, अनुबंध कहलाता है। बीमा अनुबंध का व्यापक अर्थ है कि बीमापत्र (पॉलिसी) में वर्णित घटना के घटित होने पर बीमा करनेवाला एक निश्चित धनराशि बीमा करानेवाले व्यक्ति को प्रदान करता है। बीमा करानेवाला जो सामयिक प्रव्याजि (बीमाकिस्त, प्रीमीयम) बीमा करनेवाले को देता रहता है, वही इस अनुबंध का प्रतिदेय है। 'बीमा' शब्द [[फारसी]] से आया है जिसका भावार्थ है - 'जिम्मेदारी लेना'। [[रघुवीर|डॉ॰ रघुवीर]] ने इसका अनुवाद किया है - 'आगोप'। उसका अंग्रेजी पर्याय "इंश्योरेंस" (Insurance) है।
== परिचय ==
बीमा उस साधन को कहते हैं जिसके द्वारा कुछ शुल्क (जिसे प्रीमियम कहते हैं) देकर हानि का जोखिम दूसरे पक्ष (बीमाकार या बीमाकर्ता) पर डाला जा सकता है। जिस पक्ष का जोखिम बीमाकर पर डाला जाता है उसे 'बीमाकृत' कहते हैं। बीमाकार आमतौर पर एक कंपनी होती है जो बीमाकृत के हानि या क्षति को बांटने को तैयार रहती है और ऐसा करने में वह समर्थ होती है।
 
बीमा वास्तव में बीमाकर्ता और बीमाकृत के बीच अनुबंध है जिसमें बीमाकर्ता बीमाकृत से एक निश्चित रकम (प्रीमियम) के बदले किसी निश्चित घटना के घटित होने (जैसे कि एक निश्चित आयु की समाप्ति या मृत्यु की स्थिति में) पर एक निश्चित रकम देता है या फिर बीमाकृत की जोखिम से होने वाले वास्तविक हानि की क्षतिपूर्ति करता है।
निश्चित घटना के घटित होने (जैसे कि एक निश्चित आयु की समाप्ति या मृत्यु की स्थिति में) पर एक निश्चित रकम देता है या फिर बीमाकृत की जोखिम से होने वाले वास्तविक हानि की क्षतिपूर्ति करता है।
 
बीमा के आधार के बारे में सोचने पर पता चलता है कि बीमा एक तरह का सहयोग है जिसमें सभी बीमाकृत लोग, जो जोखिम का शिकार हो सकते हैं, प्रीमियम अदा करते हैं जबकि उनमें से सिर्फ कुछ (बहुत कम) को ही, जो वास्तव में नुकसान उठाते हैं, मुआवजा दिया जाता है। वास्तव में जोखिम की संभावना वालों की संख्या अधिक होती है लेकिन किसी निश्चित अवधि में उनमें से केवल कुछ को ही नुकसान होता है। बीमाकर्ता (कंपनी) बीमाकृत पक्षों के नुकसान को शेष बीमाकृत पक्षों में बांटने का काम करती है।
 
== बीमा का इतिहास ==
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== बीमा किस स्थिति में हो सकता है? ==
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== बीमा अनुबन्धों के प्रकार ==
बीमा के अनुबंध दो प्रकार की श्रेणियों में विभाजित किए जा सकते हैं। वे अनुबंध जिनमें क्षतिपूर्ति का उत्तरदायित्व होता है और वे जिनमें क्षतिपूर्ति का प्रश्न नहीं होता वरन् एक निश्चित धनराशि अदा करने का अनुबंध होता है। क्षतिपूर्ति विषयक बीमा सामुद्रीय (मैरीन इंश्योरेंस) भी हो सकता है और गैरसामुद्रीय भी। पहले का उदाहरण समुद्र द्वारा विदेशों को भेजे जानेवाले समान की सुरक्षा का बीमा है और दूसरे का उदाहरण अग्निभय अथवा मोटर का बीमा है। क्षतिपूर्ति के अनुबंध में केवल क्षति की पूर्ति की जाती है। यदि एक ही वस्तु का बीमा एक से अधिक स्थानों (बीमा संस्थानों) में है तो भी बीमा करानेवाले को क्षतिपूर्ति की ही धनराशि उपलब्ध होती है। हाँ, वे बीमा कंपनियाँ आपस में अदायगी की धनराशि का भाग निश्चित कर लेती हैं। अतः क्षतिपूर्ति अनुबंध का यह सिद्धांत जीवन बीमा तथा दुर्घटना बीमा पर लागू नहीं होता। अत: जीवन बीमा तथा दुर्घटना बीमा पर लागू नहीं होता। अत: जीवन बीमा तथा दुर्घटना बीमा कितनी भी धनराशि के लिए किया गया है, बीमा करानेवाले को (यदि वह जीवित है) अथवा उसके मनोनीत व्यक्ति को वह पूरी रकम उपलब्ध होती है।
 
== बीमा का इतिहास ==
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=== अग्नि बीमा ===
जैसा कहा जा चुका है, अग्नि बीमा क्षतिपूर्ति का अनुबंध है अर्थात् जो धनराशि बीमापत्र पर अंकित है वह अवश्य मिल जाएगी, ऐसा नहीं वरन् उस सीमा तक क्षतिपूर्ति हो सकेगी। अग्नि बीमा अनुबंध यद्यपि किसी न किसी संपत्ति के संबंध में ही होता है, फिर भी वह व्यक्तिगत अनुबंध ही है अर्थात् उक्त संपत्ति के स्वामी अथवा उस संपत्ति में बीमा हित रखनेवाले व्यक्ति को उस अनुबंध द्वारा क्षतिपूर्ति से आश्वस्त किया जाता है। अत: अगर बीमा करानेवाले को किस संपत्ति में स्वामित्व अथवा अन्य प्रकार का कोई ऐसा अधिकार नहीं है जिससे उसे बीमा हित उपलब्ध होता हो तो वह बीमा करा लेने के बाद भी अनुबंध का लाभ नहीं उठा सकता।
 
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मूल्यांकित बीमा अनुबंध में यदि संपत्ति पूर्ण नष्ट हो जाए तो बीमा पत्र पर लिखित धनराशि बीमा करनेवाले को अनिवार्य रूप से देनी पड़ती है। अमूल्यांकित बीमा अनुबंध में यदि पूर्ण संपत्ति नष्ट हो जाए तो उक्त संपत्ति का मूल्यांकन उस समय किया जाता है। संपूर्ण तथा अनिश्चित अग्नि बीमा अनुबंध में वस्तुओं की सूची नहीं दी जाती वरन् अग्नि से हानिभय का बीमा सामान्य रूप में किया जाता है। निर्वारित अग्नि बीमा अनंबंध में धनराशि निर्धारित बीमा पत्र पर लिखी रहती है। औसत अग्नि बीमा अनुबंध में आनुपातिक क्षतिपूर्ति की जाती है : अग्नि बीमा अनुबंध में पुनस्थापन (Restoration or Restitution), औसत (average) तथा भागदारी (Partial liability) सिद्धांत लागू होते हैं।
 
=== जीवन बीमा ===
जीवन बीमा का प्रारंभ भी समुद्री बीमा के प्राय: साथ ही हुआ क्योंकि व्यापारिक यात्रा पर जानेवाले पोतों के मालिकों को जहाँ पोत नष्ट होने की संभावनाओं के विरुद्ध प्रबंध करने की चिंता थी, वहीं उन जहाजों के कप्तानों का जीवन भी उतना ही मूल्यवान था। साथ ही जब कारीगरों के संघों की स्थापना होने लगी और जन्म मृत्यु के लेखे रहने के साथ साथ आयु सीमा के औसत निकालने के नियमों की स्थापना की जा सकी तो जीवन बीमा अनुबंध का भी काफी प्रसार हो सका। लेकिन उस समय के बीमा पत्रों की शर्तें काफी कठिन होती थीं। अमरीकी गृहयुद्ध के पूर्व के जीवन बीमा अनुबंध की शर्तों के अनुसार बीमा पत्र का काई अर्पण मूल्य (Surrender value) नहीं होता था। बीमे पर कोई कर्ज नहीं मिल सकता था। बीमा प्रव्याजि (प्रीमियम) अदा करने के लिए अतिरिक्त समय (Grace period) नहीं मिलता था तथा आत्महत्या, द्वंद्वयुद्ध अथवा समुद्रयात्रा करने पर बीमा अवैध करार दे दिया जाता था।
 
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जीवन बीमा में मिलनेवाली धनराशि बीमा करनेवाले पर कर्ज माना गया है। इसलिए संपत्ति-हस्तांतरण-विधि (T.P.A.) की धारा तीन के अंतर्गत यह "संपत्ति" की श्रेणी में आ जाता है तथा उक्त विधि की धारा 130 के अनुसार इसका हस्तांतरण किया जा सकता था। अब जीवन बीमा की धनराशि के हस्तांतरण की व्यवस्था बीमा विधि की धारा 38 व 39 में की गई है। उक्त धनराशि का हस्तांतरण अभिहस्तांकन (assignment) द्वारा भी किया सकता है (धारा 38) और नामांकन (nomination) द्वारा भी (39)। अभिहस्तांकन में बीमा करानेवाला उस बीमा अनुबंध से उत्पन्न अपन अधिकारों एवं हितों को दूसरे को हस्तांतरित कर देता है। नामांकन का अर्थ केवल यह है कि बीमा करानेवाले की मृत्यु पर यदि नामांकित व्यक्ति जीवित हो तो बीमे की धनराशि उसे उपलब्ध हो जाए। नामांकन बिना सूचना के बदला जा सकता है। यदि नामांकित व्यक्ति की मृत्यु पहले हो जाए तो बीमा करानेवाले को ही धनराशि पाने का अधिकार पुन: प्राप्त हो जाता है। अभिहस्तांकन में ऐसा नहीं है। यदि एक बार बीमा अनुबंध के अधिकार अभिहस्तांकित कर दिए गए तो उसकी पूर्व अनुमति के बिना दूसरा अभिहस्तांकन नहीं किया जा सकता। यदि बीमा करानेवाले के पहले अभिहस्तांकित की मृत्यु हो जाए तो वे अधिकार बीमा करानेवाले को वापस नहीं मिलते वरन् उस मृत व्यक्ति के उत्तराधिकारियों को उपलब्ध हो जाते हैं।
 
=== दुर्घटना बीमा ===
अनुबंध के अंतर्गत दो प्रकार की परिस्थितियाँ आ सकती हैं-
* दुर्घटनावश दूसरों की क्षतिपूर्ति करने का भार तथा
* दुर्घटनावश स्वयं अथवा स्वसंपत्ति को होनेवाली हानि। अमरीका में इसे 'कैजुएल्टी इंश्योरेंस' कहते हैं। [[अंग्रेजी विधि]] में इसे 'क्षतिपूर्ति बीमा' की श्रेणी में रेखा जाता है। भारतीय बीमा विधि में ये प्रकार स्वीकार नहीं किए गए हैं वरन् यहाँ का विभाजन जीवन बीमा तथा [[सामान्य बीमा]] (जनरल इंश्योरेंश) में किया गया है। अत: उपर्युक्त वर्णित दो परिस्थितियों में बादवाली परिस्थिति जीवन बीमा की श्रेणी में आती है। इस प्रकार की दुर्घटनाओं का बीमा मोटर सवारी विधि (1930) तथा विमान वाहन विधि (Air navigation act 1934) के अंतर्गत अनिवार्य कर दिया गया है ताकि क्षतिग्रस्त के हितों की रक्षा हो सके।
 
=== अन्य बीमाएँ ===
* स्वास्थ्य बीमा
* गाड़ी की बीमा (आटोोबाइल इंश्योरेंश)
"https://hi.wikipedia.org/wiki/बीमा" से प्राप्त