"ग्रीष्म ऋतु": अवतरणों में अंतर
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गर्मी से हमें लाभ भी बहुत हैं। यदि गर्मी अच्छी पड़ती है तो वर्षा भी खूब होती है। गर्मी के कारण ही अनाज पकता है और खाने योग्य बनता है। ग्रीष्म ऋतु में गर्मी के कारण विषैले कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। इस ऋतु में आम, लीची आदि अनेक रसीले फल भी होते हैं। इनका स्वाद ही निराला होता है।
भारत में सामान्यतया 15 मार्च से 15 जून तक ग्रीष्म मानी जाती है। इस समय तक सूर्य भूमध्य रेखा से कर्क रेखा की ओर बढ़ता है, जिससे सम्पूर्ण देश में तापमान में वृद्धि होने लगती है। इस समय सूर्य के कर्क रेखा की ओर अग्रसर होने के साथ ही तापमान का अधिकतम बिन्दु भी क्रमशः दक्षिण से उत्तर की ओर बढ़ता जाता है और मई के अन्त में देश के उत्तरी-पश्चिमी भाग में यह
उत्तर पश्चिमी भारत के शुष्क भागों में इस समय चलने वाली गर्म एवं शुष्क हवाओं को 'लू' कहा जाता है। राजस्थान, पंजाब, हरियाणा तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रायः शाम के समय धूल भरी आँधियाँ आती है, जिनके कारण दृश्यता तक कम हो जाती है। धूल की प्रकृति एवं रंग के आधार पर इन्हें काली अथवा पीली आँधियां कहा जाता है। सामुद्रिक प्रभाव के कारण दक्षिण भारत में इन गर्म पवनों तथा आँधियों का अभाव पाया जाता है।
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