"दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा": अवतरणों में अंतर

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'''दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा''' एक प्रमुख [[हिन्दी]]सेवी संस्था है जो [[भारत]] के दक्षिणी राज्यों [[तमिलनाडु]], [[आंध्र प्रदेश]], [[केरल]] और [[कर्नाटक]] में [[भारतीय स्वतंत्रता|भारत के स्वतंत्रत होने के]] के काफी पहले से हिन्दी के प्रचार-प्रसार का कार्य कर रही है।
 
===;संगठन===
दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा का मुख्यालय टी नगर [[चेन्नै]] में है। इसके चार विभाग हैं जो दक्षिण के चार राज्यों स्थित में हैं।
चार क्षेत्रीय मुख्यालय ये हैं-
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* '''[[कर्नाटक]]''' - [[धारवाड़]] [http://dbhps-karnataka-bed-dharwad.org/ जालघर]
* '''[[केरल]]''' - [[एर्नाकुलम]] [http://www.dbhpskerala.org/ जालघर]
 
हिंदी सीख लेनें की रूचि के आधार पर ही 1918 में [[मद्रास]] में 'हिंदी प्रचार आंदोलन' प्रारम्भ हुआ था और इसी वर्ष में स्थापित हिंदी साहित्य सम्मेलन मद्रास कार्यालय आगे चलकर दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के रूप में स्थापित हुआ। बाद में [[तमिल]] और अन्य दक्षिणी राज्यों की जनता की भावनाओं का आदर करते हुए ही इस संस्था को 'राष्ट्रीय महत्व की संस्था' घोषित किया गया। वर्तमान में इस संस्थान के चारों दक्षिणी राज्यों में प्रतिष्ठित शोध संस्थान है, और बड़ी संख्या में दक्षिण भारतीय इस संस्थान से हिंदी में दक्षता प्राप्त कर हिंदी की प्राणपण से सेवा कर रहें हैं। हिंदी के प्रसार और प्रतिष्ठा में संलिप्त हजारों दक्षिण भारतीय बंधु न मात्र हिंदी से अपनें रोजगार के अवसरों को स्वर्णिम बना रहें हैं अपितु दक्षिण में हिंदी प्रचार के क्रम में ऐसी कई प्रतिष्ठित संस्थाओं को भी स्थापित करते रहें हैं। इसी क्रम में केरल में 1934 में [[केरल हिंदी प्रचार सभा]], आंध्र में 1935 में [[हिंदी प्रचार सभा, हैदराबाद]] और कर्नाटक में 1939 में [[कर्नाटक हिंदी प्रचार समिति]], 1943 में [[मैसूर हिंदी प्रचार परिषद]] तथा 1953 में [[कर्नाटक महिला हिंदी सेवा समिति]] की स्थापना हुई। इन संस्थानों में लाखों छात्र हिंदी की परीक्षाओं में सम्मिलित व उत्तीर्ण होतें हैं।
 
== इतिहास ==