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:यह लेख गोरखा या गोरखाली लोगों के बारे में है, अन्य प्रयोग के लिए देखें [[गोरखा (बहुविकल्प)]]
[[File: Prithvi Narayan Shah.jpg|thumb|गोरखा के राजा [[पृथ्वीनारायण शाह]] जो बादमें [[नेपाल के शासक]] बनगए, जिसके सैनिक गोरखाली कहलाते हैं]]
[[File: Bada Kaji Amar Singh Thapa 2013-09-15 00-28.jpeg|thumb|गोरखा फौजको सर्वोच्च कमाण्डर बडाकाजी [[अमर सिंह थापा]]]]
[[File:Nepali Generals.webp|thumb|नेपाली जनरलोंकी सूची]]
[[चित्र:Gurkha Soldier Monument, London - April 2008.jpg|right|thumb| [[रक्षा मंत्रालय (युनाईटेड किंगडम)| इंग्लैण्ड के रक्षा मंत्रालय]] के बाहर स्थापित एक गोरखा की मूर्ति,[[हॉर्स गार्डस अवेन्यु]], [[वेस्टमिन्सटर शहर]], [[लण्डन]].]]
'''गोरखा''' या '''गोरखाली''' ([[नेपाली]]: गोर्खा) [[नेपाल]] के लोग हैं।<ref>"Gurkhas form the major population group in [[Nepal]]." Debnath, Monojit; Tapas K. Chaudhuri </ref> जिन्होने ये नाम 8 वीं शताब्दी के हिन्दू योद्धा संत श्री [[गुरु गोरखनाथ]] से प्राप्त किया था।<ref name="nbt-1mar14"/> उनके शिष्य [[बप्पा रावल]] ने राजकुमार कलभोज/राजकुमार शैलाधिश को जन्माया था, जिनका घर [[मेवाड़]], [[राजस्थान]] ([[राजपुताना]]) में पाया गया था। बाद में बप्पा रावल के वंश सुदूर पुरबपूर्व के तरफ बढ़ें और [[गोरखा जिला|गोरखा]] में अपना घरराज्य स्थापित किया और बाद में उन्होने [[नेपाल अधिराज्य]] को स्थापित किया। उस वंश में [[मेवाड़|चित्तौढगढ]] के मनमथ राणाजी राव के पुत्र भूपाल राणाजी राव नेपाल के रिडी पहुंचे ।<ref>https://www.royalark.net/Nepal/nepal.htm</ref> गोरखा जिला आधुनिक [[नेपाल]] के 75 जिलों में से एक है।
 
खास्तोर्पे नेपाल के पश्चिम के पाहारीपहाडी लदाकुलडाकु जातिया जेइसेजैसे कि [[छेत्रीक्षेत्री]], [[ठकुरी]], [[मगर]] और [[गुरुङ]], और पुर्ब से [[किरात]] जतिया होति हे । गोरखाली लोग अपने साहस और हिम्मत के लिए विख्यात हैं और वे [[नेपाली आर्मी]] और [[भारतीय आर्मी]] के [[गोरखा रेजिमेन्ट]] और [[ब्रिटिश आर्मी]] के [[गोरखा ब्रिगेज]] के लिए भी खुब जाने जाते हैं। गोरखालीयों को [[ब्रिटिश भारत]] के अधिकारियों ने '''मार्शल रेस''' की उपाधि दी थी। उनके अनुसार गोरखाली प्राकृतिक रूप से ही योद्धा होते हैं और युद्ध में आक्रामक होते हैं, वफादारी और साहस का गुण रखते हैं, आत्म निर्भर होते हैं, भौतिक रूप से मजबूत और फुर्तीले, सुव्यवस्थित होते हैं, लम्बे समय तक कड़ी मेहनत करने वाले, हठी लड़ाकू, [[मिलेट्री रणनीति]]के होते हैं।
 
ब्रिटिश भारतीय आर्मी में इन "मार्शल रेसेज़" को भारी मात्रा में भर्ती किया गया था। भारतीय आर्मी के भूतपूर्व चीफ ऑफ स्टाफ जनरल [[सैम मानेकशॉ]] ने एक बार प्रख्यात रूप से कहा था:-
"https://hi.wikipedia.org/wiki/गोरखा" से प्राप्त