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नैन्सी प्राइस का जन्म ३ फरवरी १८८० को किनवर स्टैफोडृशायर इनगलेड मे हुआ था। उनका निदन ३१ मार्च १९७० को हुअ था। वो एक अग्रेजी अभिनेथा , लेखिका और थिएटर निर्देशक थी। लन्दन मन्च,मूक फिल्मे , टाकीज और आखिरकार टेलीविजन की प्रगति करने से पहले उनका अभिनय करियर एक रीपर्टरी थिएटर कम्पनी मे शुरु हुआ था। मन्च पर प्रदर्शित होने के अलावा वो थिएटर उत्पादन मे लीण हो गई और पिपल्स थिएटर के समस्थापक भी थी।
जब नैन्सी प्राइस स्कूल मे थी वि एफ आर बेन्सन कि थिएटर कम्पनी मे शामिल थी। वो कम्पनी शेक्सपियर के नाटको मे विशेष है। उनका पहला बडा ब्रेक तब आया जब उनहोने सर हर्बर्ट बीरबोहम पेड का ध्यान आकर्षित किया जिन्होने १९०२ मे स्टीफन फलिप्स के उलेजिस के उदय मे अपने महामहिम के थिएटर लन्दन मे कैलिस्पो के रूप मे उतारा था जिसमे उन्होने एक बडी भूमिका निभाई थी। हिल्डा गनिङ का हिस्सा १९०४ लेट्टी मे उनके लिए आर्थर विनग पिनोरा द्वारा लिखित है। वो एक भूमिका थि जिनमे थिएटर आलोचक जेटी ग्रिन ने कहा कि लेट्टी मे सब ने अपना प्रसिद्द्द बनाया जबकी नैन्सी प्राइस ने हिल्दा के हिस्से मे अपना नाम बनाया। अगर हम चरित्र को सहि तरिके से पडते है तो नैन्सी प्राइस ने इसे पर्णता के करीब समझा। डच मे जन्मे थिएटर इप्रेसियो जेटी ग्रिन के साथ नैन्सी प्राइस ने पिपल्स नेशनल थिएटर कि स्थापना १९३० मे की थी। उनका पेहला उत्पादन फोर्चून कम्पनी थिएटर मे एक एस्टी द्वारा ब्लेकलीज़ द मैन था। जब ग्रिन ने कम्पनी छोड दिया नैन्सी प्राइस कम्पनी का मानद निर्देशक बन गई। १९३२ मे थिएटर के विनाश के साथ इस कम्पनी का समाप्त हुआ। इस अवधि के दौराण नैन्सी ने अंग्रेज़ी स्कूल थिएटर मूवमेन्ट का स्थापना किया, जिसने शेक्सपियर के निर्माण के कामकाजी बच्चो के लिए नाटक किया।
 
१९५० मे किग्स बर्थेडॅ ओनर्स मे नैन्सी प्राइस को मन्च के लिए सेवाओ के लिए एक सीबीई से सम्मानित किया गया। उसी वर्ष मे उसने एडीन फिलपोउदस के औरेञ और्काड मे न्यू लिडसे मे मार्था ब्लेचर्ड के रूप मे अपना आखरी मन्च प्रदर्शन दिया।