"पूनिया हत्याकांड": अवतरणों में अंतर

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'''पूनिया हत्याकान्ड''' (या '''रेलू राम पूनिया हत्या का मुकदमा''') भारतीय राजनेता रेलू राम पूनिया और उनके परिवार के सात सदस्यों की सामूहिक हत्या का मामला है। संपत्ति के विवाद के चलते २३ अगस्त २००१ की रात को रेलू राम की बेटी सोनिया ने अपने पति संजीव कुमार के साथ इनकी हत्या कर दी थी। यह मामला न्यायालय मे दायर किया गया था और सोनिया, संजीव और उनके परिवार के विभिन्न सदस्यों पर चलाया गया था। दंपति को हत्या के आरोपों का दोषी ठहराया गया था और जिला न्यायालय ने [[मृत्युदंड|मौत की सजा]] सुनाई थी। [[पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय]] ने इस सजा को कम कर [[आजीवन कारावास]] दिया था लेकिन [[भारत का उच्चतम न्यायालय|उच्चतम न्यायालय]] ने मौत की सजा बहाल की थी। [[भारत का संविधान|भारत के संविधान]] के खंड ७२ (१) के तहत, इस दलील के दौरान दंपति ने राष्ट्रपति को दया याचिका उठाई थी। यह याचिका राष्ट्रपति [[प्रतिभा पाटील]] के कार्यकाल के दौरान अनुत्तरित रही लेकिन उनके उत्तराधिकारी [[प्रणव मुखर्जी]] ने इसे खारिज कर दिया था। हालांकि, एक नागरिक अधिकार समूह "पीपल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स" (पीयूडीआर) ने दया याचिका के निपटान में देरी का कारण देकर सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने जनवरी २०१४ में स्वीकार किया और दंपति कि मौत की सजा वापस लौटा दी गई थी।<ref name="Ground">{{cite web|url=http://www.livemint.com/Politics/Xqy5b3m9sluIV1044grKzL/The-case-of-the-sisters-on-death-row.html |title= The case of the sisters on death row |work=Live Mint |author= Nikita Doval |date= 2 September 2014 |place=Pune | accessdate=23 August 2016 |trans_title= |language=अंग्रेज़ी}}</ref><ref name="Delay">{{cite web | url=http://www.newindianexpress.com/nation/Delay-in-Deciding-Mercy-Plea-Ground-for-Commutation-of-Death-Penalty-SC/2014/01/21/article2011962.ece?service=print | title=Delay in Deciding Mercy Plea Ground for Commutation of Death Penalty: SC | work=Indian Express | date=21 January 2014 | accessdate=23 August 2016 |trans_title= |language=अंग्रेज़ी}}</ref>
 
== जुर्म ==
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== परिवार ==
१९९६ में [[बरवाला विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, हरियाणा|बरवाला विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र]] से रेलू राम पूनिया निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में निर्वाचित हुए थे। उन्होंने [[भारतीय लोक दल]] के प्रचार अभियान को वित्त पोषण दिया था और अटकलें लगाई गईं थी कि वह पार्टी के उम्मीदवार बनेगे, लेकिन वैसा नहीं हुआ। उन्होंने एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और सहानुभूति पर बहुमत प्राप्त किया जब पार्टी ने उन्हे खडा नही किया। चुनाव के बाद उन्होंने [[हरियाणा विकास पार्टी]] की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री [[बंसी लाल]] की अध्यक्षता में सरकार का समर्थन किया।<ref name="Tribune2"/> वह एक गरीब परिवार में पैदा हुए थे लेकिन फरीदाबाद क्षेत्र में औद्योगिक उपयोग के लिए काले बाजार पर बिटुमन और तेल के विपणन के माध्यम से अपनी संपत्ति अर्जित की। उन्होंने कृषि भूमि में निवेश किया और अपने मूल गांव लिटानी में एक हवेली का निर्माण किया। उन्होंने जो धन इकट्ठा किया था, उससे स्थानीय समूहों में धर्मार्थ योगदान दिया। उनके राजनेता [[देवी लाल|चौधरी देवी लाल]] और [[ओमप्रकाश चौटाला]] के साथ अच्छे संबंध थे।<ref name="Tribune1">{{cite web|url=http://www.tribuneindia.com/2001/20010825/main4.htm |title= Ex-MLA, 7 others killed: Daughter clubs them to death, attempts suicide |author=Mohan, Raman |work=Tribuneट्रिब्यून Indiaइंडिया |date=25 August 2001 |accessdate=26 April 2016 |place= Hisar |trans_title= |language=अंग्रेज़ी}}</ref>
 
रेलू राम और उनकी पहली पत्नी ओमी देवी से एक बेटे सुनील था और दूसरी पत्नी कृष्णा के साथ दो बेटियां, सोनिया और प्रियंका (पम्मी), थी। सुनील का शकुंतला से विवाह हुआ था और उनका एक बेटी लोकेश और दो बेटियां शिवानी और प्रीति थीं।<ref name="Tribune1"/> सोनिया का संजीव कुमार से विवाह हुआ। यह बताया जाता था कि रेलू राम और उनकी पत्नी कृष्णा का सौहार्दपूर्ण संबंध नहीं था। इसी तरह, सोनिया अपने सौतेले भाई सुनील से लगभग ४६ एकड़ (१९ हेक्टर) की फार्महाउस के आसपास की कृषि भूमि पर से विवाद चल रहा था। यह अक्सर दोनों के बीच बहस का कारण बनता था, और कुछ हफ्तों के पहले सोनिया ने सुनील को रिवाल्वर के साथ धमकी दी थी।<ref name="Tribune2"/><ref name="Tribune1"/> हत्याकान्ड के बाद, रेलू राम के भाई राम सिंह पूनिया और उनका परिवार २००४ में फार्महाउस में रहने चले गए।<ref name="Case"/>
 
== मुकदमा ==
मई २००४ में, जिला और सत्र न्यायालय ने पूनिया और उसके परिवार के सात अन्य सदस्यों की हत्या के मामले में सोनिया और उनके पति संजीव कुमार को दोषी ठहराया। हत्याओं के पीछे का मकसद सोनिया और उनके सौतेले भाई सुनील के बीच चल रहे संपत्ति के विवाद को बतया और अदालत ने दोनों को मौत की सजा सुनाई।<ref>{{cite web|url=http://www.business-standard.com/article/news-ians/murder-cases-that-hogged-media-headlines-115090100957_1.html |title= Murder cases that hogged media headlines |work=Business Standard |date=1 September 2015 | accessdate=26 April 2016 |trans_title= |language=अंग्रेज़ी}}</ref> कुमार के आठ रिश्तेदारों सहित उनके पिता, मां और भाई को आरोपों से बरी कर दिया गया।<ref name="Tribune2">{{cite web|url= http://www.tribuneindia.com/2004/20040601/main2.htm |title= Daughter, son-in-law get death for killing ex-MLA Punia |work=Tribuneट्रिब्यून Indiaइंडिया |date=1 June 2004|accessdate=26 April 2016 |place= Hisar |trans_title= |language=अंग्रेज़ी}}</ref> सरकारी अभियोक्ता एस॰ के॰ पंधीर ने कहा कि यह मामला मुश्किल था क्योंकि यह [[परिस्थितिजन्य साक्ष्य]] पर आधारित था। मुकदमे में १०९ से अधिक सूचीबद्ध गवाहों में से कुल ६६ गवाहों की जांच की गई।<ref name="Case">{{cite web|url= http://archive.indianexpress.com/news/-she-wanted-this-house-its-now-a-graveyard/468635/0 |title= ‘She wanted this house, it's now a graveyard' |work=Indian Express |author= Chinki Sinha |date=31 May 2009 | accessdate=22 August 2016 |trans_title= |language=अंग्रेज़ी}}</ref>
 
२००५ में [[पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय]] ने दंपति की मौत की सजा को आजीवन कारावास तक घटा दिया। लेकिन २००७ में सर्वोच्च न्यायालय ने मौत की सजा को फिर से बहाल किया।<ref name="Request"/> अक्टूबर २००७ में, हरियाणा के गवर्नर ने दंपति की दया याचिका को खारिज कर दिया। इसके बाद, सोनिया और संजीव ने भारत के राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर की, जो भारत के संविधान की धारा ७२ (१) के तहत दया-निहारा दे सकते हैं। फरवरी २००९ में सोनिया ने राष्ट्रपति [[प्रतिभा पाटिल]] को उनकी दया याचिका पे निर्णय लेने के लिए पत्र लिखा था।<ref name="IEApril13">{{cite web|url=http://archive.indianexpress.com/news/they-murdered-entire-families-for-land-loot-or-revenge/1103529/0 |title= They murdered entire families for land, loot or revenge |work= Indian Express |date=17 April 2013 |author1=Varinder Bhatia |author2=Manish Sahu |author3=Johnson T A |author4=Sanjay Singh | accessdate=22 August 2016 |trans_title= |language=अंग्रेज़ी}}</ref> उसने अनुरोध किया कि उसकी दया याचिका खारिज कर दी जाए और उसे मौत की सजा दी जाए क्योंकि कारावास उसके लिए मुश्किल हो रहा था। उसने लिखा: "एकांत में एक कीट की तरह मेरा जीना असंभव हो रहा है। मेरा जीवन भयानक होता जा रहा है और मुझे हर दूसरे गुजरते हुए पल से अधिक दर्द हो रहा है... मेरे पास जीवित रहने का कोई मतलब नहीं है और प्रत्येक गुजरते मिनट के साथ मरने की बजाय मैं तुरंत मरना चाहती हूं।"<ref name="Request">{{cite web|url=http://archive.indianexpress.com/news/let-me-die-says-woman-on--death-row-for-killing-8-govt-tells-president-show-no-mercy/468634/0 |title= Let me die, says woman on Death Row for killing 8, Govt tells President show no mercy |date=31 May 2009 |author=Maneesh Chhibber |work=Indian Express | accessdate=22 August 2016 |quote="It is getting impossible to live like an insect in solitary confinement. My life is becoming horrible and giving me more and more pain by every second passing ... I don't have any means to live and want to die once rather than dying with each passing minute." |trans_title= |language=अंग्रेज़ी}}</ref> उनका पत्र गृह मंत्रालय को भेजा गया था जहा तत्कालीन गृह मंत्री [[पी॰ चिदंबरम]] ने राष्ट्रपति से उनकी याचिका को खारिज करने के लिए कहा था और बतया था कि सोनिया एक महिला होते हुए उसके अपराध की प्रकृति पर विचार करने पर वह सहानुभूति के योग्य नहीं हैं।<ref name="Request"/> इस पुरी प्रक्रिया के दौरान दंपति अंबाला जेल में कैद रही।<ref name="Request"/>
 
अप्रैल २०१३ में, राष्ट्रपति [[प्रणव मुखर्जी]] ने दया याचिका अनुरोध को खारिज कर दिया।<ref name="Reject1">{{cite web|url= http://www.thehindu.com/news/national/pranab-clears-way-for-firstever-hanging-of-a-woman/article4585676.ece |title= Pranab clears way for first-ever hanging of a woman |work=The Hindu |date=6 April 2013 |author= Sandeep Joshi |place=Newनई Delhiदिल्ली | accessdate=26 April 2016 |trans_title= |language=अंग्रेज़ी}}</ref><ref name="Reject2">{{cite web|url=http://indiatoday.intoday.in/story/yakub-memon-death-penalty-pranab-mukherjee-24-mercy-pleas-rejected/1/451616.html |work=India Today |title=Yakub Memon and 23 other mercy pleas rejected by President Pranab Mukherjee |author=Shreya Biswas |date=22 August 2015 |place=Newनई Delhiदिल्ली | accessdate=26 April 2016 |trans_title= |language=अंग्रेज़ी}}</ref> लेकिन एक नागरिक अधिकार समूह "पीपल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स" (पीयूडीआर) ने दया याचिका के निपटान में देरी का कारण देकर सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने स्वीकार किया। न्यायमूर्ति [[पी सतशिवम]] और [[एम वाई इकबाल]] ने निष्कासन पर रोक लगा दी।<ref name="Stay">{{cite web|url=http://www.tribuneindia.com/2013/20130408/main2.htm |title=SC stays execution of Haryana ex-MLA’s daughter, 7 others |work=Tribune Indiaट्रिब्यून इंडिया |date=8 Aprilअप्रेल 2013२०१३ |place=Newनई Delhiदिल्ली | accessdate=26 April 2016 |trans_title= |language=अंग्रेज़ी}}</ref><ref name="Ground"/> बाद में जनवरी २०१४ में, सर्वोच्च न्यायालय ने इसी आधार पर तेरह और मौत की सजा के कैदियों को आजीवन कारावास की सजा दीं।<ref name="Delay"/>
 
== सन्दर्भ ==