"तुंगभद्रा नदी": अवतरणों में अंतर

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|accessdate=2006-09-20
}}</ref> [[रामायण]] में तुंगभद्रा को पंपा के नाम जाना जाता था। तुंगभद्रा नदी का जन्म तुंगा एवं भद्रा नदियों के मिलन से हुआ है। ये [[पश्चिमी घाट]] के पूर्वा ढाल से होकर बहती है। पश्चिमी घाट के गंगामूला नामक स्थान से ([[उडुपी]] के पास) समुद्र तल से कोई ११९८ मीटर की ऊँचाई से तुंग तथा भद्रा नदियों का जन्म होता है जो [[शिमोगा]] के पास जाकर सम्मिलित होती हैं जहाँ से इसे तुंगभद्रा कहते हैं। उत्तर-पूर्व की ओर बहती हुई, आंध्रप्रदेश में महबूब नगर ज़िले में गोंडिमल्ला में जाकर ये कृष्णा नदी से मिल जाती है। इसके किनारों पर कई हिंदू धार्मिक स्थान हैं। आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित शृंगेरी मठ तुंगा नदी के बांई तट पर बना है और इनमें सबसे अधिक प्रसिद्ध है। चौदहवीं सदी में स्थापित दक्कनी [[विजयनगर साम्राज्य]] की राजधानी रही [[हंपी]] भी इसी के किनारे स्थित है।<ref>{{cite web |url=http://www.tbboard.org/ |title=Tungabhadra Board |publisher=|accessdate=2006-09-20}}</ref>
 
[[चित्र:Two Coracles and Tungabhadra River.jpg|अंगूठाकार|हम्पी के निकट तुंग नदी एवं भद्रा नदी के संगम से तुंगभद्रा नदी का उद्गम होता है।]]
 
== सन्दर्भ ==