"उवट": अवतरणों में अंतर
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:मन्त्रभाष्यमिदं कृत्स्नं पदवाक्यै: सुनिश्चितै:।।
कतिपय विद्वानों के कथनानुसार ये महाराज [[भोज]] के समय ग्यारहवीं शताब्दी ईसवी मे अवंतिनगरी में विद्यमान थे। उव्वट ने भोज के शासन काल में उज्जयिनी में रहकर शुक्ल यजुर्वेद की माध्यन्दिन वाजसनेयी संहिता का सम्पूर्ण चालीस अध्यायों वाला भाष्य किया था, जो उवट भाष्य के नाम से सुविख्यात है। 'भविष्य-भक्ति-माहात्म्य' नामक [[संस्कृत]] ग्रंथ इन्हें [[कश्मीर]] देश का निवासी और [[मम्मट]] तथा [[कैयट]] का समसामयिक बताता है:
:उवटो मम्मटश्चैव कैयटश्चेति ते त्रय:।
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