"सारिका-पत्रिका": अवतरणों में अंतर

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'''सारिका''', [[हिंदी]] मासिक पत्रिका थी जो पूर्णतया गद्य साहित्य के '[[कहानी]]' विधा को समर्पित थी। यह पत्रिका [[टाइम्स ऑफ़ इंडिया]] द्वारा प्रकाशित की जाती थी। [[कमलेश्वर]] इस पत्रिका के संपादक थे। १९७० से करीब १९८५ (?) तक यह पत्रिका प्रकाशित होती रही। इस पत्रिका के अंतिम समय इसका संपादन कमलेश्वर जी ने छोड़ दिया था और पत्रिका के संपादक [[कन्हैयालाल नंदन]] थे।
 
'सारिका' कमलेश्वर जी के संपादन में साहित्य की बहुत ऊँची पसंद रखने वालों की पहली पसंद थी। अनेक नए लेखकों को कमलेश्वर जी ने जोड़ा था जिनमेजिनमें निम्नलिखित प्रमुख थे, जो शायद पहली बार प्रकाशित भी सारिका में हुवेहुए और बाद में साहित्य जगत में छा गए- जीतेन्द्र भाटिया, अभिमन्यु अनंत, प्रणव कुमार बंदोपाध्याय, प्रदीप शुक्ल, मालती जोशी, इब्राहिम शरीफ, मंजूर एहतेशाम, पृथ्वीराज मोंगा प्रमुख हैं। साथ ही [[श्रीलाल शुक्ल]], [[भीष्म साहनी]] जैसे वरिष्ठ लेखक भी सारिका में प्रकाशित हुवाहुआ करते थे। कुछ प्रमुख कहानियां जो सारिका में प्रकाशित हुवीहुई उनके नाम: रमजान में मौत, पराई प्यास का सफर, जीतेन्द्र भाटिया की 'कोई नहीं और रक्तजीवी' शुक्ल जी की 'द्वन्द', प्रणव कुमार की 'बारूद की सृष्टिकथा' आदि। सारिका में मराठवाड़ा में आये अकाल पर जीतेन्द्र भाटिया की दो कड़ियों की लेख माला 'झुलसते अक्स' ने भी काफी प्रभावित किया थे। हिंदी साहित्य में कहानी लेखन को पहले उतना सम्मान शायद नहीं था जितना की सारिका ने दिलवाया और कथा जगत को कई नए सितारे दिए।
 
[[श्रेणी:हिन्दी पत्रिका]]