"सुधा अरोड़ा": अवतरणों में अंतर

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==साहित्यिक विशेषता==
सुधा अरोड़ा की कहानियाँ लगभग सभी भारतीय भाषा के अलावा कई विदेशी भाषओं में अनुवादित है |<ref>http://hi.pratilipi.com/sudha-arora</ref> उन्होंने भारतीय महिलाओमहिलाओं, कलाकारोंके आत्मकथ्यों के दो संकलन'‘दहलीज को लांघते हुए’' तथा '‘पंखोकी उड़ान’' तैयार किया हैं लेखन के स्तर पर पत्र-पत्रिकाओं में भी उनकी सक्रियता बनी हुई हैं |<ref>http://kavitakosh.org/kk/सुधा_अरोड़ा </ref> पाक्षिक पत्रिका '‘सारिका’' में ‘आम आदमी जिन्दा सवाल’ और राष्ट्रीय दैनिक '‘जनसत्ता’' में महिलाओं से सम्बंधित मुद्दे पर उनका साप्ताहिक स्तंभ ‘वामा’ बहुचर्चित रहा है महिला संगठनो के सामाजिक कार्यों के प्रति उनकी सक्रियता एवं समर्थन जारी है |<ref>http://hindi.webdunia.com/hindi-poet-interview/नारीवादी-होना-मेरी-मजबूरी-है-सुधा-अरोड़ा-110033100024_1.htm</ref>महिलाओं पर ही केन्द्रित‘औरत की दुनिया बनाम दुनिया की औरत’ लेखोलेखों का संग्रह शीघ्र प्रकाश्य है | ‘उत्तर प्रदेश हिन्दी संसथान’संस्थान’ द्वारा उन्हें खास पुरुस्कार से
सम्मानित किया गया |
 
 
==प्रकाशित कृतियाँ ==