"आधुनिक हिंदी गद्य का इतिहास": अवतरणों में अंतर
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== द्विवेदी युग ==
पण्डित महावीर प्रसाद द्विवेदी के नाम पर ही इस युग का नाम द्विवेदी युग रखा गया। सन 1903 ईस्वी में द्विवेदी जी ने सरस्वती पत्रिका के संपादन का भार संभाला. उन्होंने
इस युग के निबंधकारों में [[महावीर प्रसाद द्विवेदी]], [[माधव प्रसाद मिश्र]], [[श्याम सुंदर दास]], [[चंद्रधर शर्मा गुलेरी]], [[बाल मुकंद गुप्त]] और [[अध्यापक पूर्ण सिंह]] आदि उल्लेखनीय हैं। इनके निबंध गंभीर, ललित एवं विचारात्मक हैं। [[किशोरीलाल गोस्वामी]] और बाबू गोपाल राम गहमरी के उपन्यासों में मनोरंजन और घटनाओं की रोचकता है।
हिंदी कहानी का वास्तविक विकास द्विवेदी युग से ही शुरू हुआ। किशोरी लाल गोस्वामी की इंदुमती कहानी को कुछ विद्वान हिंदी की पहली कहानी मानते हैं। अन्य कहानियों में बंग महिला की दुलाई वाली, शुक्ल जी की ग्यारह वर्ष का समय, प्रसाद जी की ग्राम और चंद्रधर शर्मा गुलेरी की उसने कहा था महत्त्वपूर्ण हैं। समालोचना के क्षेत्र में पद्मसिंह शर्मा उल्लेखनीय हैं। ''हरिऔध'', शिवनंदन सहाय तथा राय देवीप्रसाद पूर्ण द्वारा कुछ नाटक लिखे गए।
इस युग ने
== रामचंद्र शुक्ल एवं प्रेमचंद युग ==
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