"अंतरजाल पर विपणन": अवतरणों में अंतर
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हालाँकि शुरुआती दिनों में इन्टरनेट पर विज्ञापन की अनुमति नहीं थी उदहारण के लिए अरपानेट एवं एन-ऍफ़-एस नेट, ऐसे पश्चात नेट सेवा प्रदाताओं की इस सन्दर्भ में स्वीकरणीय नीतियां थीं जिन्होनें व्यापारिक प्रयोजनों से इन्टरनेट के प्रयोग पर लगाम लगा दी। ई मेल, जो की ऑनलाइन विज्ञापन के लिए पहला सर्वमान्य साधन था, बाद में धीरे - धीरे बहुत अधिक प्रयोग में आने लगा तथा फिर इस प्रकार के ई मेल्स को स्पैम नाम दे दिया गया।
स्पैम मेसेज का पहली बार बहुत बड़े स्तर पर प्रेषण १९९४ में एंड्रूज विश्व विद्यालय के सिस्टम एडमिन के द्वारा किया गया था, उसने सभी यूज़नेट समाचार ग्रुप्स पर इसे पोस्ट किया था।<ref name="आई ए बी"></ref><ref>{{cite web|first=टेम्पलटन|last=, ब्रैड (२००८)|url=http://www.templetons.com/brad/spam/spam25.html|title=रिफ्लेकशन्स ओन दी २५थ एनिवर्सरी ऑफ़ स्पैम|publisher=टेम्पलटन|date= उल्लिखित १४ जून २०१३}}</ref><ref>{{cite web|url=http://www.livinginternet.com/i/ii_nsfnet.htm|title=एन-ऍफ़-एस नेट|publisher=लिविंग इन्टरनेट.२०११|date= उल्लिखित २५ जून २०१३}}</ref>
== प्रेषण माध्यम ==
इन्टरनेट पर विज्ञापनों के लिए निम्न साधनों का प्रयोग किया जाता है-
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==ऑनलाइन विज्ञापन के लाभ ==
ऑनलाइन विज्ञान के कई लाभ होते हैं। इन विज्ञापनों से जहाँ लागत में कमी आती है वहीँ पर इनकी पहुँच को बड़ी ही आसानी से नापा जा सकता है। इनको उपभोक्ताओं की रूचि के अनुरूप ढालना एवं परिवर्तित करना अपेक्षाकृत रूप से अधिक आसान रहता है वहीँ पर लक्ष्य उपभोक्ताओं का निर्धारण करने में भी खासी मशक्कत नहीं करनी पड़ती है। ऑफलाइन विज्ञापनों की तुलना में इनकी गति तथा कवरेज भी बहुत ही त्वरित होती है।<ref
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== नियम कायदे ==
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