"बिस्मिल्ला ख़ाँ": अवतरणों में अंतर
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== प्रारम्भिक जीवन ==
बिस्मिल्ला खाँ का जन्म बिहारी मुस्लिम परिवार में पैगम्बर खाँ और मिट्ठन बाई के यहाँ बिहार के डुमराँव के ठठेरी बाजार के एक किराए के मकान में हुआ था। उनके बचपन का नाम क़मरुद्दीन था। वे अपने माता-पिता की दूसरी सन्तान थे।: चूँकि उनके बड़े भाई का नाम शमशुद्दीन था अत: उनके दादा रसूल बख्श ने कहा-"बिस्मिल्लाह!" जिसका मतलब था "अच्छी शुरुआत! या श्रीगणेश" अत: घर वालों ने यही नाम रख दिया। और आगे चलकर वे "बिस्मिल्ला खाँ" के नाम से मशहूर हुए। |उनके खानदान के लोग दरवारी राग बजाने में माहिर थे जो बिहार की [[भोजपुर|भोजपुर रियासत]] में अपने संगीत का हुनर दिखाने के लिये अक्सर जाया करते थे। उनके पिता बिहार की डुमराँव रियासत के महाराजा केशव प्रसाद सिंह के दरवार में शहनाई बजाया करते थे। 6 साल की उम्र में बिस्मिल्ला खाँ अपने पिता के साथ [[बनारस]] आ गये। वहाँ उन्होंने अपने चाचा अली बख्श 'विलायती' से शहनाई बजाना सीखा। उनके उस्ताद चाचा 'विलायती' [[विश्वनाथ मन्दिर]] में स्थायी रूप से शहनाई-वादन का काम करते थे। वर्ष 1979 में डॉ.शशि भूषण श्रीवास्तव जो कि पेशे से रेलवे अधिकारी भी हैं ने "बाजे शहनाई हमार अंगना" भोजपुरी फिल्म की पूरी टीम लाए थे.डुमरांव राज के बड़े बाग में फिल्म का मुहूर्त हुआ था. साथ ही इसमें अभिनेता भारत भूषण, मोहन चो़टी, नाज़, देवेंद्र खंडेलवाल, पूर्णिमा जयराम आदि थे.उस्ताद के उपर रिसर्च करने वाले लेखक, पत्रकार सह डॉक्यूमेंट्री मेंकर मुरली मनोहर श्रीवास्तव ने "शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खां" पुस्तक लिखी, जिसे इनके उपर सबसे मानक पुस्तक के रुप में माना जाता है.इसके बाद ये दौर यहीं नहीं थमा और मुरली मनोहर श्रीवास्तव ने उस्ताद पर एक डॉक्यूमेंट्री "सफर-ए-बिस्मिल्लाह" बनायी जिसे बिहार सरकार ने रिलीज किया. जबकि उस्ताद की स्मृति में गया जिले के उसास देवरा में वृद्धाश्रम का भी निर्माण किया जा रहा है. वहीं बिस्मिल्लाह खां के नाम पर वर्ष 2013 से डुमरांव में "बिस्मिल्लाह खां विश्वविद्यालय" खोलने के लिए मुरली लगातार काम कर रहे हैं, जिसमें केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक साथ दे रही है.
== धार्मिक विश्वास ==
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